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प्रेग्नेंट छात्रा सफूरा तिहाड़ में तो सोशल मीडिया में फैली गंदगी, असली गुनहगार कैसे हैं बाहर?

दिल्ली में सीएए प्रदर्शन में शामिल कुछ लोगों पर यूएपीए के तहत कार्रवाई की गई। इसमें जामिया मिल्लिया इस्लामिया में एमफिल कर रही सफूरा जरगर भी शामिल हैं। 27 साल की जरगर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 10 अप्रैल को दिल्ली दंगों के मामले में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया था। अब उनके खिलाफ यूएपीए के तहत हुई कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं तो लोग उनके समर्थन में सोशल मीडिया पर उतर गए हैं। वहीं उनके खिलाफ ट्विटर व फेसबुक पर मैसेज की भरमार भी  है, कई पोस्ट में ऐसा दावा है कि उन्हें तिहाड़ जेल में मेडिकल जांच के बाद प्रेगनेंसी के बारे में पता चला। साथ ही प्रेग्नेंसी को शाहीन बाग प्रदर्शन से भी जोड़ रहे हैं और ऐसा लिख रहे हैं- ‘शाहीन बाग के विरोध के पीछे का सच’। ऐसा करने वालों के विरोध में भी लोग सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट को आपत्तिजनक व महिला के सम्मान से जोड़कर बता रहे हैं।

बता दें कि अप्रैल को जामिया के ही एक पीएचडी स्कॉलर मीरान हैदर को गिरफ्तार किया। उनके ऊपर भी UAPA लगाई गई। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू के उमर खालिद को भी गिरफ्तार किया, यूएपीए लगाया। इसके साथ ही और भी कई लोगों की गिरफ्तारियां हुई हैं।

सफूरा पर हुई कार्रवाई से उठ रहे हैं सवाल?

बताया जा रहा है कि सफूरा पर कथित तौर पर फरवरी में दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों के भड़काने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि उन्होने सीएए के प्रदर्शनों के दौरान जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नजदीक बैरिकेड लगाए थे। साथ ही जाफराबाद में प्रदर्शनकारियों को उकसाने का काम किया था। इसके कारण दंगे तेजी से भड़के और कई लोगों को जान गंवानी पड़ी। इस दौरान सरकारी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा था। हालांकि इस कार्रवाई को दिल्ली दंगों से जोड़कर देखने के बाद लोग पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगा रहे हैं। सोशल मीडिय़ा पर दावे किए जा रहे हैं कि पुलिस यूएपीए के तहत कार्रवाई करके नागरिकता कानून का विरोध करने वालों की आवाज दबाना चाहती है। साथ ही इसमें केवल एक समुदाय को ही लक्ष्य बनाया जा रहा है। खासकर ऐसे समय में जब लोग कोरोना के खतरे की वजह से लॉकडाउन में घर में बैठे हुए हैं। इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं कि सफूरा को मेडिकल जांच में पता चला कि वो प्रेग्नेंट हैं। ऐसी हालात में महिला की गिरफ्तारी को अमानवीयता वाला कदम बताया जाने लगा। लेकिन, इसके बाद ही सोशल मीडिया पर प्रेग्नेंट होने वाली खबर को कुछ यूजर्स ट्रोल करने लगे, जिसे आईटी सेल की साजिश के रूप में देखा जाने लगा।

क्या है पूरा मामला?

10 अप्रैल को सफ़ूरा की गिरफ्तारी हुई। उनके वकील ने अगले ही दिन अधिकारियों को जानकारी दे दी कि सफ़ूरा प्रेग्नेंट हैं। उनकी बेल की अपील की गई। 13 अप्रैल को उन्हें ज़मानत मिल भी गई। लेकिन वो जेल से बाहर आ पातीं, उससे पहले ही दिल्ली पुलिस ने उन्हें दंगे भड़काने की साजिश करने का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार कर लिया। सफूरा पर इसके बाद यूएपीए लगा दी गई।

इसके बाद कांग्रेसी नेता सलमान निजामी ने 1 मई को एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा है कि रमजान के दौरान भी सोशल एक्टिविस्ट सफूरा जरगर में बंद है, जबकि वह गर्भवती है। वहीं, दंगा और नफरत फैलाने वाले कपिल मिश्रा जैसे लोग आज़ाद हैं। मोदी के भारत में मुसलमान होना अपराध है। इस पर शर्म करनी चाहिए। बता दें  कि बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा ने कथित तौर पर दंगों से पहले उकसाने व भड़काने का काम किया था। इसको लेकर दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली पुलिस से जवाब भी मांगा था। लेकिन बीजेपी नेताओं पर कार्रवाई होने से पहले ही जस्टिस मुरलीधर का तबादला कर दिया गया था।

निजामी के ट्वीट का जवाब देते हुए बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि दिल्ली हिंसा के दौरान दिए मेरे भाषण को कृपया सफूरा जरगर की प्रेगनेंसी से न जोड़ें, यह उस तरह से काम नहीं करता है।

खैर, आगे बढ़ते हैं। कपिल मिश्रा के इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर #सफूरा_जरगर ट्रेंड करने लगा। उनकी प्रेग्नेंसी को लेकर लोगों ने गंदे-गंदे कमेंट लिखकर सोशल मीडिया पर पाट दिया।

सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट पर कार्रवाई न होने से पुलिस पर उठते सवाल?

एक तरफ सफूरा को गिरफ्तार किया गया है। राजनैतिक रूप से प्रभावित तमाम लोग उन पर निजी हमला कर रहे हैं। मीडिया पर सफूरा जरगर के बारें में अफवाहें फैलाई जा रही है कि सफूरा की शादी नहीं हुई है और वो दो महीने गर्भवती हैं। लोग सफूरा के गर्भवती होने पर सवाल उठाने लगे। सीएए और शाहीन बाग से जोड़ने लगे। इसका इन सबसे कोई लेनादेना ही नहीं था। लोग सफूरा को ट्रोल कर रहे हैं कि बिना शादी किये गर्भवती कैसे हो सकती हैं? लेकिन सवाल उठाने के साथ ही आपत्तिजनक पोस्ट लिखने के बाद पुलिस को जहां आईटी एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई करनी चाहिए, वहीं वह मौन होकर केवल देख रही है।

एक फेसबुक यूजर ने लिखा कि शाहीन बाग अय्याशी का अड्डा है वह सच साबित हुआ अब पूरा भेद खुल जाने पर तमाम एक्टिविस्ट यह कह रह हैं सफूरा जरगर की तो सगाई हो गई थी और वह अपने फियांसे के साथ लिव इन में रहती थी।

 

इतना ही नहीं आपत्तिजनक पोस्ट के अलावा गंदे मीम्स भी सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से शेयर किये जा रहे हैं। इन सबको हम ठीक से सार्वजनिक रूप से परोस भी नहीं सकते। इसलिए हमने उसे हटाने या मिटाने का प्रयास किया है।

क्या है सच?

  1. सफ़ूरा की 2018 में शादी हुई थी उनकी शादी की तस्वीरे सामने आयी हैं। ये बात साफ हो गई कि वो शादीशुदा हैं।
  2. अगर वह अविवाहित होती तो भी गर्भवती होना या न होना उनका खुद का चुनाव होता। लेकिन उनकी इमेज खराब करने की साजिश में ऐसा कुछ विशेष प्रकार के लोगों द्वारा किया जा रहा है, जिसमें बीजेपी से जुड़े लोगों के भी शामिल होने का आरोप है।

सफ़ूरा के घर वाले क्या कहते है?

सफूरा जरगर के घर वाले काफी परेशान हैं। कोरोना वायरस के चलते इस वक्त सफूरा के पति, बहन और माता-पिता उनके और उनके बच्चे की सेहत की फिक्र कुछ ज्यादा ही कर रहे हैं। दिन-रात उनके जेल से निकलने के लिए कोशिश कर रहे है। लेकिन ट्विटर पर बने माहौल को देख उनकी बहन समीया जरगर ने उनके लिए खत लिखा। इसमें वो उम्मीद जता रही हैं कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा। वो सफ़ूरा को मजबूत बने रहने के लिए कह रही हैं।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

कोमल कश्यप
कोमल स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं।

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