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पत्रकार अर्नब के बाद अब अमिश देवगन व सुधीर चौधरी के खिलाफ भी शिकायत दर्ज

इन दिनों जब देश कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है ऐसे में हर नागरिक के सामने एक और बड़ा संकट खड़ा है वो है ‘फेक न्यूज़’ का। सोशल मीडिया पर तो फेक न्यूज एजेंडे और नफरत के तहत फैलाई ही जाती है लेकिन मेन स्ट्रीम मीडिया में भी फेक न्यूज फैलाना, लोगों को उकसाना और भड़काना देखा जा रहा है। इसलिए मीडया के एक हिस्से को गोदी मीडिया भी कहा जाने लगा है। क्योंकि उसने जनमानस की आवाज को बुलन्द करने की बजाए उसे तमाम तरह से कुचलने का भी प्रयास कर रही है। इसलिए मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ बनने की बजाए लोकतंत्र को ही खत्म करने में लगी है। हम बात कर रहे हैं न्यूज 18 के एंकर अमिश देवगन की जिनके खिलाफ 1 मई के शो आर पार में झूठी खबर फैलाने का आरोप है। इनके खिलाफ मुम्बई में कुर्ला पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गयी है।

देखें वीडियो-

इससे पहले रिपब्लिक भारत के सम्पादक अर्णब गोस्वामी के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। इन्होंने महाराष्ट्र के पालघर जिले में दाे साधुओं की लिचिंग मामले में गाेस्वामी ने टीवी चैनल के कार्यक्रम में सोनिया गांधी के खिलाफ तथाकथित आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। और लोगों को उकसाने का भी आरोप लगा था।

हम बता रहे हैं आपको कि अमिश के खिलाफ किसने और क्यो दर्ज कराई शिकायत?

दरअसल न्यूज 18 के एंकर अमिश देवगन के खिलाफ ये शिकायत पब्लिक केअर फाउंडेशन के संस्थापक सदस्य शहजाद खान और ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट कोंग्रेस के अध्यक्ष अजीम खान ने फर्जी खबर फैलाने के संबंध में दर्ज कराई। अमिश पर आरोप है कि उन्होंने फेक न्यूज फैलाकर मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को आहत किया। शिकायत के अनुसार 29 अप्रैल को मुंबई के कुर्ला में एक विवाद हुआ था। लेकिन अमिश ने एक मई को उसका वीडियो प्रसारित करके यह दावा किया कि यह उसी दिन का वीडियो है और जो विवाद हुआ है वह ओफ़ाति लेन इलाके में हुआ जबकि अमिश ने इसे लॉक डाउन के दौरान कुर्ला मस्जिद के पास लोगों के जमा होने का दावा करते हुए फ़र्ज़ी तरह से ये वीडियो दिखाया। जिसका संबंध कुर्ला मस्जिद से नहीं था।

पब्लिक केयर फाउंडेशन और आईएनटीयूएस यानी ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट कोंग्रेस ने फर्जी खबरें फैलाने के लिए अमिश देवगन और न्यूज18 पर धारा 129 (ए) और धारा 124 (ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है।

एक खबर और आ रही है कि ज़ी न्यूज के एंकर सुधीर चौधरी के खिलाफ केरल में गैरजमानती धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गयी है। सुधीर चौधरी ने खुद ट्विटर पर इस बात की जानकारी दी। चौधरी ने ट्वीट किया, “ये रहा मेरा पुलित्ज़र पुरस्कार, सच की रिपोर्टिंग करने के लिए, प्रशस्ति पत्र साझा कर रहा हूँ- मेरे खिलाफ केरल पुलिस द्वारा गैर-जमानती धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई। असुविधाजनक तथ्यों को उजागर करने का पुरस्कार। मीडिया के लिए एक स्पष्ट संदेश…।”

एफआईआर के मुताबिक, “11 मार्च, 2020 को ज़ी न्यूज़ चैनल पर एक शो “डीएनए” प्रसारित किया गया। इस शो के दौरान आरोपी सुधीर चौधरी ने एक प्रोग्राम पेश किया जिसमें मुस्लिम धर्म को अपमानित किया गया।”

11 मार्च को प्रसारित हुए इस शो का हाईलाइट ‘जिहाद चार्ट’ था। अपने इस शो में सुधीर चौधरी ने दर्शकों को विस्तार से ‘जिहाद के प्रकार’ समझाए थे।”

एक अन्य ट्वीट में सुधीर चौधरी ने लिखा, “केरल पुलिस ने मेरे ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती धाराओं में FIR दर्ज की है। आरोप लगाया है कि DNA में #ZameenJihad का मुद्दा उठाकर मैंने मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। मेरा सवाल: क्या भारत में जिहाद का मुद्दा उठाना गुनाह है? जिहाद का नाम लिया तो जेल में डाल देंगे?”

सुधीर चौधरी द्वारा शो में दिखाए गए इस “जिहाद चार्ट” को लेकर खूब विवाद हुआ था। ट्विटर पर उनकी काफी आलोचना हुई थी। इसके अलावा उनका मज़ाक भी उड़ाया गया था। इसके बाद ही यह कार्रवाई हुई।

इस तरह से हम देख रहे हैं कि ऐसे पत्रकारों के खिलाफ शिकायतें और मामले दर्ज किए जा रहे हैं जो लोकतंत्र के नाम पर धब्बा हैं। किसी एक समुदाय को भड़काने की कोशिश है। समाज को बांटने की कोशिश है। अगर ऐसे पत्रकार इस तरह की पुलिस कार्रवाई के बाद भी इस तरह की हरकतें करते रहेंगे तो फिर हर तरह के अंजाम को भुगतने वाली जनता ही होगी। इनका तो कुछ नहीं होगा। इसलिए आप से भी आग्रह है टीवी पर चलाई जा रही खबरों की सत्यता की पड़ताल करें। यह जरूर सोचें कहीं आप उसके बहकावे में आकर कुछ तो नहीं कर रहे। बिना सत्यता की पड़ताल किये आप न तो कुछ शेयर करें और न ही किसी के प्रति धारणा बनाएं।

अमिश ने 1 मई को अपने शो आर पार में एक फ़र्ज़ी वीडियो चलाई। और 6 मई को उन्होंने कहा कहते है कि 1 मई को जो वीडियो दिखाया गया था वो 29 अप्रैल का था। इस तरह से अमिश जैसे लोग ही जिम्मेदार नागरिक होने के कर्तव्यों को भूलते तो हैं ही साथ ही वे भूल जाते हैं कि एक पत्रकार होने के नाते वे कितनी बड़ी गलती कर रहे हैं। इस गलती का अंजाम आम लोगों को भुगतना पड़ता है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

कोमल कश्यप
कोमल स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं।

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