फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली के मुख्यमंत्री से दिल्ली सरकार से सम्बद्ध 12 पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों की ग्रांट तुरंत रिलीज करने की मांग की है। बता दें कि पिछले दो महीने से सैलरी ना मिलने के कारण अतिथि, एडहॉक और कंट्रक्चुअल कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। ग्रांट रिलीज कराने की मांग को लेकर एक सप्ताह पूर्व शिक्षकों ने अपने घरों में एक दिन की भूख हड़ताल की थी, लेकिन अभी तक उन्हें सैलरी नहीं मिली है।
फोरम के चेयरमैन व पूर्व एकेडमिक काउंसिल के सदस्य प्रोफेसर हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों के हजारों शैक्षिक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों और उनके परिवारों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है, एक तरफ कोविड- 19 महामारी और दूसरी तरफ मार्च 2020 के महीने से उनको वेतन का भुगतान न होना है। उन्होंने बताया है कि इनमें बहुत से अतिथि, एडहॉक और कंट्रक्चुअल कर्मचारियों को हर महीने मकान का किराया, ईएमआई ,मकान की क़िस्त, गाड़ी की क़िस्त आदि भरनी पड़ती है।
प्रोफेसर सुमन का कहना है कि 12 कॉलेजों की ग्रांट रिलीज ना होने से इससे न केवल वेतन भुगतान प्रभावित हुआ है, बल्कि चिकित्सा बिल, सेवानिवृत्ति लाभ और अन्य विकास व्यय भी लंबित हैं। उनका कहना है कि लॉक डाउन समाप्ति के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय का नया शैक्षिक सत्र-2020-21 शुरू हो जाएगा, जिसमें छात्रों के प्रवेश, ओबीसी कोटे के अंतर्गत सेकेंड ट्रांच की शिक्षकों की नियुक्तियां, गैर शैक्षिक कर्मचारियों की नियुक्ति के अलावा परीक्षा और उसका मूल्यांकन आदि में ग्रांट की आवश्यकता है।
प्रोफेसर सुमन का कहना है कि दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों में पिछले 14 महीनों से गवर्निंग बॉडी के ना होने से दिल्ली सरकार को गवर्निंग बॉडी के गठन के बारे में दिल्ली विश्वविद्यालय से शिकायत हो सकती है, लेकिन इन कॉलेजों को दी जाने वाली ग्रांट को रोकना बिल्कुल ही गैर-कानूनी है और महामारी और तालाबंदी के बीच अमानवीय भी है।
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