देश में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगमन की खबर से ज्यादा महत्वपूर्ण एक बार फिर नागरिकता कानून हो चुका है। क्योंकि ट्रम्प के आगमन वाले दिन ही राजधानी दिल्ली में हिंसा ने भयावह रूप ले लिया। 23 से ही सीएए समर्थक और विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों में हल्की फुल्की झड़प और पत्थरबाजी ने 24 को माहौल काफी हिंसक बना दिया। अब 4 लोगों की मौत और 25 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर सामने आ रही है। नागरिकता कानून को लेकर देश के कोने कोने में इससे पहले हिंसा हुई थी और इसमें तमाम मौतें भी हुई थीं। महीनों से चल रहे दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शन में अब तक किसी की मौत नहीं हुई थी। लेकिन 23 को हुए विरोध प्रदर्शन में जाफराबाद, सीलमपुर, मौजपुर, चाँदबाग जैसी जगहों पर स्थिति तनावपूर्ण तब हो गयी जब महिलाएं घरों से निकल कर सड़कों पर आकर दूसरा शाहीन बाग नाम देने लगीं और उधर खुद को हिन्दू बताने वाले मोदी समर्थकों ने सड़क पर विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों खिलाफ ही जंग का ऐलान कर दिया।
बता दें कि इस हिंसा में अब तक एक हेड कॉन्स्टेबल समेत कुल चार लोगों की मौत हो गई। वहीं कई पुलिसकर्मी और प्रदर्शनकारी गंभीर रूप से घायल हुए। अभी कई इलाकों में भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात कर दिए गए हैं। क्योंकि 24 और 25 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प भारत दौरे पर आए हुए हैं। इसलिए यह हिंसा काफी सवाल भी खड़ी करती है।
कैसे भड़की हिंसा?
दिल्ली के मौजपुर, जाफराबाद, करावल नगर, खजूरी, भजनपुरा, गोकुलपुरी, सीलमपुर, चांदबाग समेत आसपास के इलाको से 24 फरवरी की दोपहर अचानक हिंसा की खबरें आने लगती हैं। प्रदर्शन कर रहे गुट आपस में भिड़े और बीच बचाव करने पहुंची पुलिस इसका शिकार हुई। पुलिस पर जमकर पत्थरबाजी हुई, जिसके चलते दिल्ली पुलिस के कई जवानों समेत शाहदरा के डीसीपी अमित शर्मा और एक एसीपी घायल हो गए। मौजपुर में शख्स खुलेआम हाथ में पिस्तौल लिए फायरिंग करता नजर आया। सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है।
हिंसा के पीछे कपिल मिश्रा का हाथ?
23 फरवरी को भी दिल्ली के जाफराबाद इलाके में सीएए के विरोध में लोग वहां इकट्ठा हुए थे तो बीजेपी नेता कपिल मिश्रा की अगुआई में सीएए के सर्थमन में लोग जमा हो गए। दोनों पक्षों में जमकर पत्थरबाजी और नारेबाजी हुई। कपिल मिश्रा ने कहा था कि, ‘यही चाहते हैं कि दिल्ली में आग लगी रहे। ट्रंप के जाने तक तो हम शांति से जा रहे हैं। लेकिन, उसके बाद हम आपकी (पुलिस) भी नहीं सुनेंगे। अगर रास्ते खाली नहीं हुए तो ट्रंप के जाने तक आप जाफराबाद और चांद बाग खाली करवा लीजिए ऐसी आपसी विनती करते हैं। इसके बाद हमें रोड पर आना पड़ेगा। इसलिए इन्होंने रास्ते बंद किए हैं। इसलिए इन्होंने दंगे जैसे माहौल बनाए हैं। डीसीपी साहब हमारे सामने खड़े हैं। मैं आप सबकी तरफ से यह बात कह सकता हूं। इसके बाद प्रदर्शन उग्र हो गया था। सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि 24 फरवरी की हुई हिंसा, कपिल मिश्रा के बयान के बाद हुई।
दिल्ली पुलिस को तीन दिन का अल्टीमेटम – जाफराबाद और चांद बाग की सड़कें खाली करवाइए इसके बाद हमें मत समझाइयेगा , हम आपकी भी नहीं सुनेंगे, सिर्फ तीन दिन@DelhiPolice pic.twitter.com/9ozTazMZew
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) February 23, 2020
योगेंद्र यादव और प्रो अपूर्वानंद ने की सड़क खोलने की अपील
योगेंद्र यादव ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों से कहा कि वो वापस अपने प्रदर्शन स्थल पर लौट जाएं। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि ये एक साजिश है और इस हिंसा और दंगे की साजिश को कामयाब न होने दें।
सोशल मीडिया पर हिंसा और पथराव करते हुए लोगों के फोटो वीडियो वायरल हो रहे हैं। हिंसा का दोषी कोई सीएए को पक्ष के लोगों को बता रहा है तो कोई सीएए का विरोध करने वालों को, लेकिन लोगों को ये समझना पड़ेगा कि किसी भी तरह की हिंसा गलत है फिर चाहे वो सीएए के समर्थन कर रहे लोग कर रहे हों या फिर विरोधी।
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