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जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने सोनभद्र में तीन हजार टन सोना होने का दावा किया खारिज

तस्वीर - गूगल साभार

सोनभद्र उत्तर प्रदेश का एक जिला है। यह उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे पिछड़ा जिला माना जाता है। सोनभद्र में राज्य सरकार को काफ़ी समय पहले सैकड़ों टन सोना मिलने की जानकारी मिली थी। सोने की तलाश में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (जीएसआई) की टीम पिछले पंद्रह साल से सोनभद्र में काम कर रही है। आठ साल पहले टीम ने ज़मीन के अंदर सोने के ख़जाने की पुष्‍टि कर दी थी। यूपी सरकार ने अब इसी सोने की खुदाई करने के मक़सद से इस टीले को बेचने के लिए ई-नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी है। राज्‍य के खनिज विभाग ने इसकी पुष्टि की है और जल्द ही विभाग इस सोने को निकालने के लिए खुदाई शुरू करने की बात भी की।

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने 22 फरवरी को ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी कि उसने सोनभद्र में 3,350 टन सोने का कोई अनुमान नहीं लगाया है और न ही वो मीडिया में चल रही ख़बरों की पुष्टि करता है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) सोनभद्र में करीब तीन हजार टन सोना मिलने की बात खारिज करता है।

सोनभद्र में तीन हजार टन सोना होने की बात कैसे फैली ?

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने सोना मिलने की खबरों का सारा दोष उत्तर प्रदेश के खनन विभाग पर मढ़ दिया। जीएसआई ने कहा कि उत्तर प्रदेश के भूतत्व एवं खनिकम निदेशालय (माइनिंग डायरेक्टरेट) का 31 जनवरी 2020 का एक पत्र मौजूद है, जिसमें सोनभद्र जिले के सोना पहाड़ी ब्लॉक में कुल 2943.26 टन और हरदी ब्लॉक में 646.15 किलोग्राम सोना होने की संभावना जताई गई है। इस प्रकार यह पत्र बताता है कि सोनभद्र जिले के दो ब्लॉक में करीब तीन हजार टन सोना होने की संभावना है। जीएसआई उत्तरी क्षेत्र लखनऊ की ओर से खनिजों की नीलामी की रिपोर्ट उपलब्ध कराई गई है। खनिजों के ब्लॉकों की नीलामी और सोना निकालने के लिए इस पत्र में सात सदस्यीय टीम के गठन की भी जानकारी दी गई थी।

31 जनवरी का यह पत्र बीते 19 फरवरी को सोनभद्र की स्थानीय मीडिया के हाथ लगा, तो यह खबर आग की तरह फैल गई कि सोनभद्र की कोख में सोना ही सोना भरा है। जिले में तीन हजार टन सोना मिलने की खबरों के बाद टीवी चैनलों ने माहौल बनाना शुरू कर दिया कि भारत फिर से सोने की चिड़िया बनने वाला है।

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव मौर्य भी इसे भगवान का आशीर्वाद बताने लगे। मामले ने जब हद से ज्यादा तूल पकड़ा तो शनिवार को जीएसआई के कोलकाता स्थित मुख्यालय को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सफाई देनी पड़ी। संस्थान ने कहा है कि सोनभद्र में तीन हजार टन सोना मिलने की बात गलत है।

आठ साल पहले की गई थी खजाने की पुष्टि

काफी समय पहले राज्य सरकार को सैकड़ों टन सोना जमीन में दबे होने की बात पता चली थी। सोने की तलाश में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (जीएसआई) की टीम पिछले पंद्रह साल से इस मामले में सोनभद्र में काम कर रही थी। आठ साल पहले टीम ने ज़मीन के अंदर सोने के ख़जाने की पुष्‍टि कर दी थी। यूपी सरकार ने इसी सोने की खुदाई करने के मक़सद से इस टीले को बेचने के लिए ई-नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी। राज्‍य के खनिज विभाग ने इसकी पुष्टि की थी और ऐसा कहा जा रहा था कि जल्द ही विभाग इस सोने को निकालने के लिए खुदाई शुरू कर देगा।

चार राज्यों से मिलती है सोनभद्र की सीमा

सौनभद्र भारत का एक मात्र ज़िला है जिसकी सीमा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार चार राज्यों से मिलती है। एक औद्योगिक क्षेत्र है। यहां बॉक्साइट, चूना पत्थर, कोयला, सोना जैसे बहुत सारे खनिज पदार्थ उपलब्ध हैं। सोनभद्र को ऊर्जा की राजधानी कहा जाता है क्योंकि यहां बिजली संयंत्र बड़ी संख्या में हैं।

सोनभद्र का नाम सोन नदी की वजह से पड़ा है लेकिन इसकी वजह सिर्फ सोन नदी ही नहीं है। सोन नदी का नाम सोन नदी इसलिए पड़ा है क्योंकि इसमें सोने के अंश मिलते रहे हैं। इस क्षेत्र की पहाड़ियों में तमाम कीमती खनिज संपदा होने की बात कहीं गई है। जिला खनन अधिकारी केके राय ने कहा था कि इसमें करीब 3 हजार टन सोना मिलने का अनुमान है। सोने की मौजूदा कीमत के हिसाब से इतने सोने का मूल्य करीब 12 लाख करोड़ रुपये होगा।

इससे पहले भी कई जगह सोना मिलने की अफवाह आती रही है। 2016 में झारखंड के एक गांव में सोना मिलने की अफवाह में पांच फिट पहाड़ खोद डाला था। वहां असल में सोना है भी या नहीं इसकी जांच चल रही है। सोनभद्र में सोना मिलने वाली बात महज अफवाह है या हकीकत? ये तो खुदाई के बाद ही पता चल पाएगा।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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