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किसान, मजदूर के बेटे-बेटियां नहीं दे पा रहे किराया, सरकार से किरायामाफी को लगा रहे गुहार!

तस्वीर-प्रतीकात्मक

नमन केशरवानी कहते हैं कि मैं इसी साल मार्च में तैयारी के लिए प्रयागराज गया था किंतु लॉडाउन के चलते घर वापस चला आया। मैंने पहले महीने का किराया दिया था। उसके बावजूद लगातार हमारे मकान मालिक हमसे किराये के लिए दबाव बना  रहे है। मेरे पिता एक किसान है और ऐसी में जब कुछ बन्द पड़ा हो तो किराया कहाँ से देंगे।”

ऐसे ही तमाम छात्र आज सरकार से किराया माफी की गुहार लगा रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में लॉकडाउन की मार छात्रों तक सीधे-सीधे पहुंच रही है। गरीब, शोषित, वंचित वर्ग के छात्रों की आय का साधन कुछ भी नहीं है सिवा अपने माता पिता से जोकि मजदूरी करके अपना खर्च निकालते हैं। लेकिन लॉकडाउन में जब प्रवासी मजदूरों सहित लगभग हर प्रकार के लोगों का रोजगार छिन गया तो वे आखिर कैसे अपने बच्चे को पढ़ा सकेंगे। इन सबमें छात्रों के बीच सबसे बड़ी समस्या वो जहां रह रहे हैं वहां अपने कमरे का किराया भुगतान करने को लेकर है।

इससे पहले मार्च में दिल्ली, नोएडा जैसे देश के अन्य शहरों में रहने वाले गरीब तबके के मजदूरों और कामगारों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आदेश जारी कर कहा था कि कोरोना वायरस से महामारी फैलने के दौरान ऐसे लोगों से कोई भी मकान मालिक एक महीने तक किराया नहीं ले सकेंगे। इसके बाद तमाम शहरों में इसको लेकर प्रशासन ने नोटिस जारी किया था और कहा था कि अगर किसी मकान मालिक ने ऐसे कामगारों या छात्रों पर किराया देने के लिए दबाव बनाया या फिर उनसे जबरन मकान खाली कराने की कोशिश की तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन क्योंकि लॉकडाउन अभी भी जारी है औऱ मई चल रहा है। ऐसे में स्थिति स्पष्ट ने होने की वजह से मकान मालिक किराया मांग रहे हैं, जिससे छात्रों की परेशानी बढ़ गई है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र नेता (सीवाईएसएस) विराट तिवारी ने इन्हीं सब बातों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को भी पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा है-

“हम सभी इस बात से भली भांति वाकिफ़ है कि लगभग 2 महीने से कोरोना जैसी महामारी के बीच देशव्यापी लॉकडाउन चल रहा है और आगे कब तक चलेगा स्थिति बिल्कुल भी साफ नही है। ऐसे में सबसे ज़्यादा दंश किसान और मजदूर वर्ग के साथ साथ छात्र वर्ग भी झेल रहा है। हमारे प्रदेश में स्थित सभी विश्वविद्यालयों के आंकड़ा उठा कर देखें तो प्रदेश भर के लगभग 60 फीसद छात्र ऐसे है, जिनके परिवार की मासिक आय 6000 से भी कम है। और इन छात्रों में से कोई किसान का बेटा है, कोई दिहाड़ी मजदूर का, कोई रिक्शे वाले का बेटा तो कोई प्रवासीय श्रमिक का तो कोई अन्य गैर सरकारी कर्मचारी का। अब सवाल ये उठता है कि जब दो महीनों से रोजी रोटी का जरिया बिल्कुल ठप्प है आमदनी शून्य है तो फिर ये छात्र जो इलाहाबाद लखनऊ आगरा कानपुर या अन्य शहरों में रह कर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं वो अपना किराया कहाँ से  देंगे? और सरकार की ओर से भी किराया माफी को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया।

ऐसे में हम उत्तर प्रदेश सरकार तथा उन सभी शहरों के प्रशासन से ये माँग करते है कि किराया माफी को लेकर अपना रवैया स्पष्ट करें और कम से कम 2 महीने (अप्रैल-मई) का किराया माफ करने का आदेश दें, जिससे कि छात्र मजबूती के साथ अपनी पढ़ाई पर केंद्रित हो सकें।”

छात्र क्या कहते हैं?

नमन केशरवानी कहते हैं कि मैं इसी साल मार्च में तैयारी के लिए प्रयागराज गया था किंतु लॉकडाउन के चलते घर वापस चला आया। मैंने पहले महीने का किराया दिया था। उसके बावजूद लगातार हमारे मकान मालिक हमसे किराये के लिए दबाव बना  रहे है। मेरे पिता एक किसान है और ऐसी में जब कुछ बन्द पड़ा हो तो किराया कहाँ से देंगे।

प्रयागराज में किराये पर एक साल से रह कर एयर फोर्स की तैयारी कर रहे छात्र गौरव मिश्रा का कहना है कि “मेरे पापा एक ट्यूशन टीचर है। इस लॉकडाउन से हमे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और ऊपर से कमरा मालिक का भी दबाव है कि जल्द जल्द से किराये का भुकतान करूँ। ऐसी स्थिति में किराया दे पाना बहुत मुश्किल है।”

कानपुर से नीट की तैयारी कर रहे छात्र आनंद चौहान कहते हैं कि “मेरे पिता पेशे से ऑटो चालक है और जब से लॉकडाउन हुआ है घर का खर्च चलना मुश्किल है। ऐसे में 3 माह का किराया एक साथ दे पाना मेरे लिए सम्भव नही है। मैं सरकार से माँग करता हूँ कि हमारा किराया माफ किया जाए।”

वहीं, लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक कर रहे छात्र ऋषभ कहते हैं कि “मेरे पापा दिल्ली की एक फैक्ट्री में काम करते है । और जब से लॉकडाउन हुआ वो वही फँसे हुए है। ऐसी स्थिति में लखनऊ में कमरे का किराया दे पाना मेरे बस का नही है। हर रोज मकान मालिक फ़ोन करके किराया माँगता है। अब हम किराया कहाँ से लाकर दे?”

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

1 Comment on "किसान, मजदूर के बेटे-बेटियां नहीं दे पा रहे किराया, सरकार से किरायामाफी को लगा रहे गुहार!"

  1. Sadique Raza | May 10, 2020 at 4:16 PM | Reply

    ज़रूरी मांग, योगी सरकार द्वारा इस पर काम किया जाना चाहिए ?

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