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स्वतंत्रता दिवस पर विशेष: इस बार 15 अगस्त क्यों है खास?

तस्वीरः कोमल कश्यप

भारत का स्वतंत्रता दिवस  हर वर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है। सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। यह भारत का राष्ट्रीय त्योहार है। प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं। 15 अगस्त 1947 के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।

इस बार 15 अगस्त है खास-

धारा 370 की समाप्ति- धारा 370 समाप्त हो चुका है, भारती के माथे का दर्द खत्म हो चुका। इस बार कश्मीर से कन्याकुमारी तक तिरंगा लहराएगा।

रक्षाबंधन भी साथ-  इस बार भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन भी 15 अगस्त के दिन ही है, जो हमे ये स्मरण कराता है कि हमे अपनी आजादी की रक्षा करनी है।

पाकिस्तान मना रहा काला दिवस-  जब से कश्मीर से धारा 370 हटाई गई है पाकिस्तान की बौखलाहट चरम सीमा पर है। पाकिस्तान कभी भारत के साथ व्यापार बंद कर रहा तो कभी ट्रेन।

विंग कमांडर अभिनंदन- भारतीय वायुसेना के बहादुर सिपाही विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को उनकी बहादुरी के लिए 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के तीसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार वीर चक्र से सम्मानित किया जाएगा।

15 अगस्त से जुड़े कुछ तथ्य

15 अगस्त 1947 को महात्मा गांधी कहां थे?

15 अगस्त 1947 को जब भारत को आजादी मिली थी तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इस जश्न में शामिल नहीं हो सके थे, क्योंकि तब वे दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे।

जब नेहरू ने लाल किला से झंडा फहराया

हर साल स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं, लेकिन 15 अगस्त, 1947 को ऐसा नहीं हुआ था। लोकसभा सचिवालय के एक शोध पत्र के मुताबिक नेहरू जी ने 16 अगस्त, 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था।

कहां-कहां स्वतंत्रता दिवस एक साथ मनाया जाता है?

15 अगस्त की तारीख को ही दक्षिण कोरिया, बहरीन और कांगो देश का भी स्वतंत्रता दिवस होता है। हांलाकि ये देश अलग-अलग वर्ष क्रमश: 1945, 1971 और 1960 को आजाद हुए थे।

15 अगस्त को रोचक राशि

15 अगस्त 1947 को 1 रुपया 1 डॉलर के बराबर था और सोने का भाव 88 रुपये 62 पैसे प्रति 10 ग्राम था।

नेहरू का ऐतिहासिक भाषण

14 अगस्त की मध्यरात्रि को जवाहर लाल नेहरू ने अपना ऐतिहासिक भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टनी’ दिया था। इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना था लेकिन महात्मा गांधी ने इसे नहीं सुना क्योंकि उस दिन वे जल्दी सोने चले गए थे। स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जी का भाषण

कई सालों पहले, हमने नियति से एक वादा किया था, और अब समय आ गया है कि हम अपना वादा निभायें, पूरी तरह न सही पर बहुत हद तक तो निभायें। आधी रात के समय, जब दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जाग जाएगा। ऐसा क्षण आता है, मगर इतिहास में विरले ही आता है, जब हम पुराने से बाहर निकल नए युग में कदम रखते हैं, जब एक युग समाप्त हो जाता है, जब एक देश की लम्बे समय से दबी हुई आत्मा मुक्त होती है। यह संयोग ही है कि इस पवित्र अवसर पर हम भारत और उसके लोगों की सेवा करने के लिए तथा सबसे बढ़कर मानवता की सेवा करने के लिए समर्पित होने की प्रतिज्ञा कर रहे हैं।… आज हम दुर्भाग्य के एक युग को समाप्त कर रहे हैं और भारत पुनः स्वयं को खोज पा रहा है। आज हम जिस उपलब्धि का उत्सव मना रहे हैं, वो केवल एक क़दम है नये अवसरों के खुलने का। इससे भी बड़ी विजय और उपलब्धियां हमारी प्रतीक्षा कर रही हैं।

भारत की सेवा का अर्थ है लाखों-करोड़ों पीड़ितों की सेवा करना। इसका अर्थ है निर्धनता, अज्ञानता, और अवसर की असमानता मिटाना। हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही इच्छा है कि हर आँख से आंसू मिटे। संभवतः ये हमारे लिए संभव न हो पर जब तक लोगों कि आंखों में आंसू हैं, तब तक हमारा कार्य समाप्त नहीं होगा। आज एक बार फिर वर्षों के संघर्ष के बाद, भारत जागृत और स्वतंत्र है। भविष्य हमें बुला रहा है। हमें कहाँ जाना चाहिए और हमें क्या करना चाहिए, जिससे हम आम आदमी, किसानों और श्रमिकों के लिए स्वतंत्रता और अवसर ला सकें, हम निर्धनता मिटा, एक समृद्ध, लोकतान्त्रिक और प्रगतिशील देश बना सकें। हम ऐसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं को बना सकें जो प्रत्येक स्त्री-पुरुष के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सके? कोई भी देश तब तक महान नहीं बन सकता जब तक उसके लोगों की सोच या कर्म संकीर्ण हैं।

हम सभी का कर्तव्य है कि अपने राष्ट्र का सम्मान करें, आज़ादी का उत्सव उल्लास पूर्वक मनाएं और साथ ही साथ उन शहीदों को भी याद करें, जिनकी शहादत के बल पर हमे ये आज़ादी मिली है, आइये  देश के सुप्रसिद्ध कवि, कवि प्रख्यात मिश्रा की इन पंक्तियों के साथ उन शहीदों को याद करें जिन्होंने अपना सर्वस्व राष्ट्र के लिए बलिदान कर दिया-

“प्राण दे दिये जिन्होंने भारती की आरती में

क्रांति अग्नि धधकाने वालों को न भूलना

लाडलों ने वक्त पर रक्त की आहुतियां दीं

राष्ट्रधर्म यूं निभाने वालों को न भूलना

फाँसियों के फंदों पर गान वन्दे मातरम

बार-बार दोहराने वालों को न भूलना

उत्सव-महोत्सव को शान से मनाएं किन्तु

छातियों पे गोली खाने वालों न भूलना

जय हिंद, जय हिंद की सेना

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

पूजा वर्मा
कविताएं लिखने का शौक है, कई काव्य संग्रह किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। समसामयिक विषयों पर लेख भी लिखती हैं।

1 Comment on "स्वतंत्रता दिवस पर विशेष: इस बार 15 अगस्त क्यों है खास?"

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