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आखिर क्या सचमुच ट्विटर, फेसबुक कल से बंद होने वाला है?

जब मोदी सरकार और राज्य सरकारें कोरोना वायरस से लड़ने में नाकाम रहीं तो यही न्यू मीडिया प्लेटफॉर्म यानी सोशल मीडिया ट्विटर, वाटंसएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम लोगों की जान बचा रहे हैं। इन्हीं के माध्यम से लोगों को दवा, आक्सीजन और अन्य सुविधाएं घर और अस्पतालों तक पहुंची। ऐसे समय में आज इन्हीं सोशल मीडिया पर औऱ इन्हें ही बैन करने की बातें ट्रेंड हो रही हैं। ऐसे में आपके भी मन में सवाल उठ रहा होगा कि क्या कल से ट्विटर, फेसबुक, इंस्टा, वाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म भारत में बैन कर दिये जाएंगे? इसका उत्तर आपको आगे मिलने वाला है।

पूरा मामला आपको सिलसिलेवार बताएंगे। यह भी बताएंगे कि आखिर टट्विटर पर सभी सोशल मीडिया के नाम आज ट्रेंड क्यों कर रहे हैं। साथ ही यह भी बताएंगे कि ट्विटर के ऑफिस में दिल्ली पुलिस की छापेमारी क्यों हो रही है?

समाचार यह है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे Facebook, Twitter, WhatsApp और Instagram जिसके करोड़ों यूजर्स है, कल यानी 26 मई 2021 से भारत में बैन हो सकते हैं। जी हां, आप सही सुन रहे हैं।

केंद्र की नई इंटरमीडियरी गाइडलाइन को लागू नहीं करने वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बैन कर दिया जाएगा। मोदी सरकार की नई गाइडलाइन्स को मंजूरी देने की समय सीमा आज यानी 25 मई को खत्म हो रही है। ऐसे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Facebook, Twitter और Instagram पर कल यानी 26 मई 2021 से प्रतिबंध लागू हो जाएंगे।

भारत में WhatsApp के 53 करोड़, Youtube के 44.8 करोड़ और Facebook के 41 करोड़ यूजर हैं। इंस्टाग्राम के 21 करोड़ यूजर है, 1.75 करोड़ Twitter एकाउंट होल्डर हैं। वहीं Koo ऐप के 60 लाख से ज्यादा यूजर्स हैं।

शायद यही वजह है कि ट्विटर और फेसबुक पर लोग पूछ रहे हैं कि आखिर क्या सच में ऐसा होने वाला है कि फेसबुक, ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्मस को बंद कर दिया जायेगा? लोग तरह-तरह की मीम्स शेयर कर रहे हैं। और इसके बंद होने की आशंका में मोदी सरकार की आलोचना भी कर रहे हैं।

एक तरफ टूलकिट और ट्विटर के ऑफिस में छापेमारी की खबर चल रही है तो वही ट्विटर के बंद होने और और उसके विकल्प के रूप में कू एप के इस्तेमाल की बात चल रही है।

पहले जान लीजिये क्या है पूरा मामला-

मोदी सरकार ने इस साल फरवरी में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए नई गाइडलाइन को जारी किया गया था, उस वक्त मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेसन टेक्नोलॉजी (MEITy) की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नये आईटी रूल को लागू करने के लिए तीन माह का वक्त दिया गया था। बाताय जा रहा है कि इंडियन वर्जन Twitter प्लेटफॉर्म Koo एक मात्र सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है, जिसने नई गाइडलाइन को लागू कर दिया है।

यह गाइडलाइन है क्या?

गाइडलाइन में कहा गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भारत में नोडल ऑफिसर, रेसिडेंट ग्रीवांस ऑफिसर तैनात करना होगा।, जो इंडिया में बेस्ड होगा। इस ऑफिसर को 15 दिनों के भीतर ओटीटी कंटेंट के खिलाफ मिलने वाली शिकायतों का निवारण करना होगा।

दूसरा यह कि नई गाइडलाइन के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को एक मंथली रिपोर्ट जारी करनी होगी, जिसमें शिकायतों और उनके निवारण की जानकारी होगी। साथ ही किन पोस्ट और कंटेंट को हटाया गया और इसकी क्या वजह थी। इसके बारे में विस्तार से जानकारी देनी होगी। सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के पास इंडिया का फिजिकल पता होना चाहिए, जो कंपनी के मोबाइल ऐप और वेबसाइट पर दर्ज होना चाहिए।

नए दिशा-निर्देशों के अनुसार शिकायत के 24 घंटे के अंदर इंटरनेट मीडिया से आपत्तिजनक कंटेंट को हटाना होगा। इसके अलावा कंपनियों को एक शिकायत निवारण तंत्र रखना होगा और शिकायतों का निपटारा करने वाले ऑफिसर को भी रखना होगा। 24 घंटे में शिकायत का पंजीकरण होगा और 15 दिनों में उसका निपटारा होगा।

आसान भाषा में कहे तो अगर कोई सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट या कंटेंट से खुश नहीं है तो वो कंटेंट पोस्ट करने वाले व्यक्ति और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म दोनों को कोर्ट ले जाया सकता है।

सोशल मीडिया पर पीड़ित लोगों को यह नहीं पता कि वे किससे शिकायत करें और कहां उनकी समस्या का समाधान होगा। कुछ प्लेटफॉर्म ने इसके लिए छह महीने का समय मांगा है। कुछ ने कहा कि वे अमेरिका में अपने मुख्य कार्यालय से निर्देशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ये कंपनियां भारत में काम कर रही हैं, भारत से मुनाफा कमा रही हैं, लेकिन दिशानिर्देशों के पालन के लिए मुख्य कार्यालय से हरी झंडी का इंतजार करती हैं। ट्विटर जैसी कंपनियां अपने खुद के फैक्ट चेकर रखती हैं, जिनकी न तो पहचान बताती है और न ही तरीका कि कैसे तथ्यों की जांच की जा रही है।

डेडलाइन खत्म होने से पहले Facebook की तरफ से बयान जारी करके कहा गया है कि वो सरकार की नई गाइडलाइन का सम्मान करती है। साथ ही इसे लागू करने की दिशा में काम कर रही है। Facebook ने कहा कि नई गाइडलाइन को लागू करने को लेकर उसकी सरकार के साथ बातचीत चल रही है। वहीं Twitter की तरफ से नई गाइडलाइन को लागू करने के लिए 6 माह का वक्त मांगा जा रहा है।

यह भी कहा जा रहा है कि 25 मई के बाद भी ये प्लेटफॉर्म्स काम करते रहेंगे लेकिन किसी यूजर के पोस्ट के लिए उन्हें कानूनी प्रोटेक्शन नहीं दिया जाएगा. अभी तक ये कंपनियां सेक्शन 79 ऑफ Information Technology Act के तहत वो किसी यूजर के पोस्ट के लिए कानूनी तौर पर जिम्मेदार नहीं होती थी. अब नए रूल्स को फॉलो नहीं करने पर उन्हें भी भारतीय कानून के हिसाब से दोषी ठहराया जा सकता है.

उधर दिल्ली पुलिस ट्विटर के ऑफिस पहुंच रही है। यह मामला ‘टूलकिट’ से संबंधित बताया जा रहा है। इस मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ट्विटर के दो ऑफिस पहुंची। ट्विटर के ये दफ्तर दिल्ली के लाडो सराय और गुरुग्राम में हैं. इससे पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ टैग विवाद को लेकर ट्विटर को नोटिस जारी किया था और मामले को लेकर उससे प्रतिक्रिया मांगी थी।

लल्लनटॉप की खबर के मुताबिक ये तथाकथित टूलकिट पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइज़र में नज़र आई थी। बीजेपी के कई नेताओं ने 18 मई को इसे लेकर ट्वीट किया, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल रहा।

ट्विटर ने बीजेपी नेताओं के ट्वीट को ‘मैनिपुलेटfड मीडिया’ या भ्रामक करार दिया। ट्विटर ऐसा तब करता है, जब वो शेयर किए गए किसी फोटो, वीडियो या ऑडियो में भ्रम पैदा करने वाले बदलाव पाता है. जिस इमेज या वीडियो को मैनिपुलेटेड मीडिया करार दिया जाता है, उसके नीचे एक लेबल लगा दिया जाता है। यदि आप उस पर क्‍लिक करेंगे तो इस बारे में विस्‍तार से जानकारी मिल जाएगी। ये लेबल चर्चा में तब आया था, जब अमेरिका में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के इलेक्शन में झूठे दावों वाले कई ट्वीट्स को ट्विटर ने भ्रामक बताकर ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ का लेबल लगा दिया था।

वायरल टूलकिट के आधार पर आरोप लगाए गए कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि वो सोशल मीडिया पर कोरोना के ‘इंडियन स्ट्रेन’ के लिए ‘मोदी स्ट्रेन’ और ‘सुपर स्प्रेडर कुम्भ’ जैसे शब्दों और वाक्यों का इस्तेमाल करें। वायरल टूलकिट की तस्वीर में ऊपर दाईं तरफ कोने में कांग्रेस पार्टी का लोगो लगा हुआ था।

इस टूलकिट में कथित तौर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं से लाशों और अंतिम संस्कार की नाटकीय तस्वीरों का इस्तेमाल करने को भी कहा गया. ये भी लिखा था,

“लोगों को ‘सुपर स्प्रेडर कुंभ’ याद दिलाते रहना है. ये सब ज़रूरी है क्योंकि ये बीजेपी की हिंदू राजनीति है, जो इतना संकट पैदा कर रही है.”

इस टूलकिट को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। बीजेपी के प्रवक्ताओं के साथ सरकार के कई मंत्रियों ने भी ट्वीट किए और बयान दिए। उधर, कांग्रेस ने इस टूलकिट को ही फर्जी करार दे दिया। उसने बीजेपी नेताओं पर FIR कराने की भी बात कही।

बहरहाल, सरकार के सूत्रों ने पुलिस की इस गतिविधि को रूटीन प्रोसेस बताया है। इंडिया टुडे/आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक, उनका कहना है कि पुलिस की टीम नोटिस देने के लिए ट्विटर के ऑफिस गई थी। सूत्रों ने कहा कि दिल्ली पुलिस ये सुनिश्चित करना चाहती थी कि उसका नोटिस सही व्यक्ति को मिले, क्योंकि भारत में ट्विटर के मैनेजिंग डायरेक्टर के जवाब काफी अस्पष्ट रहे हैं।

मामले को लेकर विपक्षी दलों ने बीजेपी को घेरा है

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने टूलकिट मामले को लेकर लिखा है कि, सत्य डरता नहीं।

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा कि ट्विटर के दिल्ली और गुरुग्राम के ऑफिस पर छापा मरवाना भाजपा सरकार की गिरती हुई वैश्विक छवि को और नीचे गिराएगा. ये एक अलोकतांत्रिक और घोर निंदनीय कृत्य है।

उन्होंने आगे लिखा कि भाजपाई अपने ही बिछाये झूठ के जाल में फंस गये हैं। ये भूल गए, हर कोई दाना नहीं चुगता.इस बार बहेलिए को चिड़िया ले उड़ी।

द क्विंट ने इस मामले में ताजा अपडेट देते हुए लिखा है कि बीजेपी के कथित ‘कांग्रेसी टूलकिट’ वाले मामले में एक के बाद एक कार्रवाई हो रही है। 24 मई को दिल्ली पुलिस के ट्विटर के दफ्तर पर पूछताछ के लिए पहुंचने के बाद अब 25 मई को 2 कांग्रेसी नेताओं को दिल्ली पुलिस ने नोटिस दिया है। ये वही कांग्रेसी नेता है जिन्होंने बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर से कहा है कि वो टूलकिट मामले में जिन 11 केंद्रीय मंत्रियों ने ट्वीट किए है, उन सबके ट्वीट पर मैनिपुलेटेड मीडिया वाला टैग लगाएं।

चूंकि ये सारे मामले हमने अभी जिसपर बात की है, सोशल मीडिया और उनसे संबंधित विवादों पर है इसलिए हमने सभी की बात की है। और यह भी बताने की कोशिश की है कि बीजेपी और केंद्र की मोदी सरकार एक ऐसे समय में इन मुद्दों पर लड़ रही है जब उसे लोगों को कोरोना वायरस जैसे महामारी से बचाना है औऱ लोगों की जिंदगी की रक्षा करनी है। लेकिन इन सब पर ध्यान न होकर आये दिन इसी तरह के विवादों पर लोगों का ध्यान खींचना है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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