आज हम आपके सामने एक बड़ा खुलासा करने वाले हैं। याद होगा आपको मेरे साथ बेड संबंधी पूछताछ के दौरान वीडियो रिकॉर्ड करने को लेकर दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल के कर्मचारियों ने मारपीट और बदसलूकी की थी। घटना 7 जून की है। मैंने इस संबंध में नजदीकी पुलिस स्टेशन नॉर्थ एवन्यू थाने में शिकायत दर्ज करा दी है। मेडिकल भी उसी दिन करा दिया है। लेकिन अभी तक मेरे मामले में पुलिस ने एफआईआऱ तक दर्ज नहीं की है। पुलिस का कहना है कि मेडिकल डॉक्टर द्वारा वेरिफाई होने के बाद ही एफआईआर दर्ज होगी। कुल मिलाकर मामले को ठंडा करने की कोशिश है। पत्रकारों ने भी इस घटना पर चुप्पी साध ली है। उन्हें शायद कोई फर्क नहीं पड़ता चाहे किसी भी पत्रकार से बदसलूकी और मारपीट की गई हो। क्योंकि पत्रकारिता में लोगों ने अपना एक लेवल बना रखा है। शायद सोशल मीडिया या न्यूज पोर्टल के पत्रकारों को उतनी अहमियत न दी जाती हो। ये अलग बात है कि टीवी के संपादकों से अच्छी डिग्री और पढ़ाई की हो आपने और आप उनसे अच्छी योग्यता के साथ काम भी अच्छा करते हों। लेकिन सब पैसे का खेल है, सबका अपना अपना धंधा है। खैर हम अपनी तरफ से जिस खुलासे की बात कर रहे थे। उसकी बात करते हैं। मैंने अपनी तरफ से सीसीटीवी फुटेज घटना स्थल के दौरान की निकलवा ली है। सीसीटीवी फुटेज 2 कैमरे से मिली है। हालांकि मुख्य घटनास्थल जहां मारपीट की घटना हुई। जहां मुझे डंडे से मारा गया वो आप नहीं देख सकते क्योंकि हॉस्पिटल के अनुसार उस जगह पर कैमरा नहीं लगा है। लेकिन फुटेज से सारी घटना का पर्दाफाश हो जाता है जैसा कि पुलिस को दिए शिकायती पत्र में लिखा है।
शिकायती पत्र के अनुसार इमरजेंसी केस में एक मरीज को जीटीबी हॉस्पिटल से आरएमएल में रेफर किया गया था। मैं एंबुलेंस में मरीज के आने से 30 मिनट पहले ही आरएमएल पहुंचा था। 7 जून को 1.30 बजे सुबह ही मैं हॉस्पिटल के गेट नं 4 पर पहुंचा था। गार्ड ने मुझे ट्रामा सेंटर जो कि गेट नं 5 के ठीक सामने अंदर है वहां जाकर पता करने को कहा। वहां पर जाकर मैंने उन्हें मरीज को रेफर किये गए कागजात दिखाते हुए एडमिट करने की बात कही। जानकारी देने वाले व्यक्ति ने जो कि पीपीई किट पहना था, ने मुझे बेड खाली न होने की बात कही और मरीज को इमरजेंसी हालात में भर्ती न करने की बात की, जिसे मैंने अपने मोबाइल फोन में रिकॉर्ड कर लिया। इसके तुरंत बाद जानकारी देने वाला व्यक्ति मुझे पकड़ने को कहा और जब मैं भागने लगा तो सभी को चिल्लाते हुए कहा कि इसे पकड़ो, मेरे पीछे और आगे 6-7 गार्ड्स, बाउंसर और अन्य स्टाफ लग गये। मैं गेट नं 4 पर पहुंचा जहां डंडे से और हाथ से मुझे मारा गया और मोबाइल की वीडियोज डिलीट कर दिया गया। इस दौरान पत्रकार समझकर मेरे साथ गाली गलोज भी की गई। इसके बाद मैंने 100 नं पर पुलिस को कॉल की। देखिये सीसीटीवी फुटेज को तीन भागों में बांटकर आपके सामने रखते हैं-
देखें वीडियोः
यह सीसीटीवी फुटेज गेट नं 5 के लिए लगा है। जहां1:43:09- 1:43:35 गेट नंबर 4 पर स्कूटी खड़ी करके अंदर से ही गेट नंबर 5 की ओर आया था। और वहां से ट्रामा सेंटर मुझे जानकारी लेने के लिए जाते हुए आप देख सकते हैं। मेरे कंधे पर काला बैग है। और मैं हेलमेट पहन रखा हूं।
ट्रामा सेंटर के बाहर से बेड की पूछताछ करने के बाद वीडियो रेकॉर्ड की। समय- 1:49:44- 1:50:01 के बीच की इस सीसीटीवी फुटेज में देखिए कि कैसे मुझे पकड़ने के लिए मेरे पीछे हॉस्पिटल स्टाफ भाग रहा है। पकड़ने और मारने के लिए सभी को बुलाया जा रहा है। मैं गेट नं 4 की ओर जहां स्कूटी खड़ी की थी औऱ मेरे मित्र गेट पर रुके थे उस ओर भाग रहा हूं। फुटेज में साफ दिख रहा कि मेरा काला बैग छीन कर पीपीई किट पहने व्यक्ति मुझे दौड़ा रहा है। सीसीटीवी में मेरे पीछे भागते हुए जो व्यक्ति दिख रहे हैं वे सभी मेरे साथ बदसलूकी और मारपीट में शामिल थे।
गेट नं 4 के प्रवेश द्वार के ठीक बगल ही मेरे साथ परिसर में जहां सब कुछ हो रहा था। वहां हॉस्पिटल का कहना है सीसीटीवी नहीं लगा है। लेकिन गेट नं 4 के ठीक सामने कुछ दूर चलने पर एक बिल्डिंग के पास एक सीसीटीवी लगा है। जहां से यह स्पष्ट हो रहा है कि उस समय मारपीट कहां हुई और कैसे वहां लोग जुट रहे हैं। ये सीसीटीवी गेट नंबर 4 की ओर अंदर से जाते हुए लगा है। 5 से 4 की ओर आते हुए सीसीटीवी नहीं लगा है। ध्याने से देखिये इसमें दिख रहा है कि गेट नंबर 4 की ओर से गार्ड मारपीट के घटनास्थल पर जा रहे हैं। और वहां 1:50:10- 1:54:01 के बीच तक लोग जुट रहे हैं। और जहां हलचल दिख रही है। वहां मारपीट की जा रही है। इसमें यह भी देख सकते है मारपीट खत्म होने के बाद गार्ड गेट से अंदर की ओर लौटने लगते हैं।
और फिर यह मोबाइल कॉल डिटेल्स अगर देखे और समय को ठीक से देखें तो इसके बाद ही तुरंत 100 नंबर पर कॉल करने की बात का प्रमाण आपके सामने है।
यह सब सुबूत जुटाने का काम पुलिस का होता है लेकिन जब एफआईआर तक अभी तक दर्ज नहीं की गई, जबकि इस मामले के बारे में दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार, मीडिया में सबको जानकारी दे दी गई है। जब मेरे साथ ऐसा कुछ होता है और यह ढुलमुल रवैया पुलिस प्रशासन का स्पष्ट राजधानी में दिख रहा है तो आप ही बताइये कि एक आम व्यक्ति के साथ कैसे न्याय मिलता है?
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