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डीयू- ओबीसी के दूसरी किस्त की पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर शिक्षकों, शोधार्थियों ने की भूख हड़ताल

हंसराज सुमन, कैलाश प्रकाश सिंह, विनय कुमार

फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस के तत्वावधान में ओबीसी कोटे की सेकेंड ट्रांच (दूसरी क़िस्त) के पदों पर  दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों द्वारा ना भरे जाने के विरोध में शिक्षकों और शोधार्थियों ने शुक्रवार सुबह 10 बजे से 4 बजे तक अपने-अपने घरों में रहकर एक दिन की भूख हड़ताल की। इस भूख हड़ताल में उनके साथ दिल्ली विश्वविद्यालय,जेएनयू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय(हरियाणा ) बिहार,  लखनऊ, मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद के अलावा राष्ट्रीय राजधानी के आसपास के 100 से अधिक शिक्षकों और शोधार्थियों ने भाग लिया। भूख हड़ताल का नेतृत्व फोरम के महासचिव प्रोफेसर कैलाश प्रकाश सिंह यादव ने किया। प्रोफेसर हंसराज ‘सुमन’ व डॉ. विनय कुमार ने भूख हड़ताल पर बैठे शिक्षकों का धन्यवाद किया।

फोरम ने भूख हड़ताल स्थल से फोरम के चेयरमैन प्रोफेसर हंसराज ‘सुमन’ व महासचिव प्रोफ़ेसर कैलाश प्रकाश सिंह यादव ने सेकेंड ट्रांच के पदों को भरवाने की मांग को लेकर एक मांग पत्र ईमेल व वाट्सअप के माध्यम से मानव संसाधन विकास मंत्री, एससी, एसटी कल्याणार्थ संसदीय समिति, ओबीसी संसदीय समिति, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, यूजीसी के चेयरमैन, डीयू के कुलपति को पत्र भेजा है जिसमें, नये शैक्षिक सत्र के प्रारम्भ होने पूर्व इन पदों पर नियुक्ति करने का सर्कुलर जारी कर निर्देश देने की मांग की गई है।

फोरम के चेयरमैन व डीयू की एकेडेमिक काउंसिल के पूर्व सदस्य प्रोफ़ेसर हंसराज ‘सुमन’ ने भेजे गए पत्र में बताया है कि विश्वविद्यालयों/शिक्षण संस्थानों/कॉलेजों में ओबीसी उम्मीदवारों के लिए 27 फीसदी आरक्षण शिक्षक नियुक्तियों में वर्ष-2007 में लागू किया गया था। शिक्षण पदों को आनुपातिक रूप से बढ़ाने के लिए कांग्रेस सरकार ने पहली किस्त जारी की थी। पहली किस्त के आधार पर डीयू के विभागों और कॉलेजों में एडहॉक टीचर्स की नियुक्तियां हुई। वर्ष 2014-15 में कुछ विभागों व कॉलेजों में ओबीसी शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति हुई। इसके पश्चात वर्तमान कुलपति ने 2018-19 में कुछ विभागों में स्थायी नियुक्ति की। इसके बाद नियुक्तियों की प्रक्रिया अवरुद्ध हो गई।

उन्होंने बताया है कि अभी तक 10 फीसदी भी ओबीसी कोटे के अंतर्गत पदों को नहीं भरा गया है। जबकि सरकार द्वारा दी गई कॉलेजों को अनुदान राशि से कॉलेजों ने पुस्तकालय, प्रयोगशाला, कमरों का विस्तार, कॉलेज प्रशासन का विस्तार कर लिया। ओबीसी कोटे के दो बार इन पदों के विज्ञापन भी निकाले गए लेकिन, ओबीसी कोटे के इन पदों को आज तक नहीं भरा। इन कॉलेजों में पिछले  एक दशक से एडहॉक शिक्षकों के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनका कहना है कि बड़े खेद के साथ बताना पड़ रहा है कि ओबीसी कोटे की पहली किस्त के लगे शिक्षकों को आज तक प्रशासन ने स्थायी नहीं किया वे मजबूरन एडहॉक पढ़ाने के लिए विवश है।

 प्रोफेसर ने पत्र में लिखा है कि फोरम आपको यह भी बताना चाहता है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सितम्बर 2019 में दिल्ली विश्वविद्यालय/कॉलेजों के प्राचार्यों को सर्कुलर जारी कर ओबीसी एक्सपेंशन की सेकेंड  ट्रांच (दूसरी क़िस्त) की बकाया शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति करने के आदेश दिए थे। अधिकांश कॉलेज प्राचार्यों ने इस सर्कुलर के आधार पर रोस्टर रजिस्टर तैयार कर विश्वविद्यालय प्रशासन से पास भी करा लिया लेकिन, प्रिंसिपलों ने इन पदों को 9 महीने बीतने के बाद भी आज तक नहीं भरे। ओबीसी कोटे के पदों के साथ-साथ इन पदों पर सामान्य, एससी, एसटी, विकलांगों और ईडब्ल्यूएस कोटे के पदों पर भी नियुक्तियां होनी है।

फोरम के महासचिव प्रोफ़ेसर कैलाश प्रकाश सिंह यादव ने भेजे गए पत्र में चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ओबीसी कोटे की दूसरी क़िस्त के अंतर्गत दिए गए शिक्षकों के पदों को स्थायी/एडहॉक नियुक्ति के स्थान पर गेस्ट टीचर्स में तब्दील ना कर दें क्योंकि डीयू प्रशासन ने 28 अगस्त 2019 को कॉलेजों को एक पत्र भेजा था। भेजे गए पत्र में एडहॉक टीचर्स के स्थान पर गेस्ट टीचर्स लगाने की बात कहीं गई थी। उसी आधार पर कुछ कॉलेजों ने एडहॉक पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील कर नियुक्ति की। इसलिए बिना किसी देरी किए इसी शैक्षिक सत्र 2020-21 में ओबीसी कोटे के सेकेंड ट्रांच के शिक्षकों के पदों के विज्ञापन निकलवाकर पहले चाहे इन पदों को एडहॉक के रूप में ही भरें लेकिन, इन पदों पर नियुक्तियों के निर्देश जारी करें। इसी के साथ-साथ बाकी वर्गों सामान्य, एससी, एसटी, विकलांगों और ईडब्ल्यूएस पदों को भी भरने संबंधी सर्कुलर जारी करें।

प्रोफ़ेसर यादव ने बताया है कि है जिस प्रकार यूजीसी ने ओबीसी एक्सपेंशन के सेकेंड ट्रांच में शिक्षकों के बकाया पद दिये हैं। उसी तरह से केंद्र सरकार ने ईडब्ल्यूएस कोटे के पदों को भरने के निर्देश दिए थे। डीयू प्रशासन ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण को प्रवेश और नियुक्तियों में लागू तो कर दिया। इस आरक्षण के तहत विश्वविद्यालयों/संस्थाओं/कॉलेजों में 10 फीसदी सीटें सामान्य वर्गों के आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को एडमिशन में आरक्षण जा रहा है, परन्तु  ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत शिक्षकों की नियुक्तियां (ऊंट के मुंह में जीरा) बहुत ही कम हुई है। विश्वविद्यालय प्रशासन और कॉलेज प्राचार्यों का नैतिक दायित्व बनता है कि दूसरी क़िस्त के अंतर्गत ओबीसी कोटे के शिक्षकों के पदों पर स्थायी नियुक्ति होने तक इन्हें एडहॉक टीचर्स के माध्यम से भरते लेकिन, उन्होंने ऐसा नहीं किया।

किन कॉलेजों में बढ़ेंगे पद

ओबीसी कोटे से बढ़ी सेकेंड  ट्रांच (दूसरी क़िस्त) की शिक्षकों की जिन कॉलेजों में  सीटों का इजाफा होगा। वे कॉलेज इस प्रकार हैं

जाकिर हुसैन कॉलेज- 42

दयाल सिंह कॉलेज-41

देशबंधु कॉलेज -40

रामजस कॉलेज-39

स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज-39

लक्ष्मीबाई कॉलेज-39

गार्गी कॉलेज-38

आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज-35

शिवाजी कॉलेज-34

श्यामा प्रसाद मुखर्जी-34

पीजीडीएवी-33

हंसराज कॉलेज-32

वेंकटेश्वर कॉलेज-32

मोतीलाल नेहरू कॉलेज-31

कालिंदी कॉलेज-31

मिरांडा हाउस कॉलेज-31

मैत्रेयी कॉलेज-30

सत्यवती कॉलेज-30

श्री अरबिंदो कॉलेज-28

श्यामलाल कॉलेज-28

राजधानी कॉलेज-28

इस तरह से 47 कॉलेजों में सेकेंड ट्रांच के अंतर्गत 1282 पदों पर नियुक्ति की जानी है।

फोरम के सचिव डॉ. विनय कुमार का कहना है कि ओबीसी कोटे के इन पदों को भरने के लिए यूजीसी ने 19 सितम्बर 2019 को सर्कुलर जारी कर प्राचार्यों/विश्वविद्यालय/ कॉलेजों को सेकेंड ट्रांच की पोस्ट रिलीज की थी। कॉलेजों के प्राचार्यों को इन पदों को भरने के निर्देश दिए थे। लेकिन, 9 महीने बीतने के बाद भी इन पदों पर सामान्य, एससी, एसटी, ओबीसी ,विकलांग, ईडब्ल्यूएस के पदों पर आज तक कोई नियुक्ति क्यों नहीं की। उन्होंने मांग है कि जब तक स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं होती है तब तक इन पदों पर एडहॉक शिक्षकों के रूप में शैक्षिक सत्र-2020-21 आरम्भ होने से पहले सभी वर्गों के शिक्षकों की नियुक्ति की जाए, ताकि खाली पड़े पदों के कारण छात्रों की शिक्षा प्रभावित ना हो।

साथ ही फोरम ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो धरना प्रदर्शन, भूख हड़ताल जारी रख सकते है।

फोरम के द्वारा किए गए आज के भूख हड़ताल में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रोफ़ेसर मुकेश मिरोठा, जेएनयू से डॉ. राम प्रताप व डॉ. पवन, एमडी यूनिवर्सिटी डॉ. हरिओम दहिया, जगदीप दहिया, डॉ. मनोज सिंधु, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के स्कॉलर श्री आर पी रंगा, लखनऊ से डॉ. अशोक कुमार सोनकर, डॉ. बसंत कनोजिया, रांची से डॉ. जयंत कुमार कश्यप,  बिहार से डॉ. अभय कुमार , मेरठ और हापुड़ में डॉ. बबलू सिंह, डॉ. सुरेंद्र कुमार, डॉ. राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में शोधार्थियों व शिक्षकों ने भूख हड़ताल में भाग लिया। इसके अलावा मनीष माहौर और ज्योति के नेतृत्व में शोधार्थियों ने भाग लिया।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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