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शिक्षकों की नियुक्तियों की मांग को लेकर फोरम 12 जून को करेगा भूख हड़ताल

दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों को यूजीसी ने ओबीसी कोटे के सेकेंड ट्रांच (दूसरी क़िस्त) के पदों को सितंबर 2019 में सर्कुलर जारी कर रिलीज किया था। ओबीसी कोटे के इन पदों से सामान्य, ओबीसी, एससी, एसटी, पीडब्ल्यूडी व ईडब्ल्यूएस के सभी उम्मीदवारों को लाभ मिलता लेकिन, कॉलेजों ने अपने यहां इन पदों को नहीं निकाला। सेकेंड ट्रांच के पदों को ना निकाले जाने के विरोध में “फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस” ने 12 जून को सुबह 10 बजे से 4 बजे तक अपने घरों में रहकर एक दिवसीय भूख हड़ताल करने का निर्णय लिया है।

मिली जानकारी के अनुसार, भूख हड़ताल में सामाजिक संगठन, शिक्षक संगठन के प्रतिनिधियों के अलावा शोधार्थी भी भाग लेंगे। भूख हड़ताल का नेतृत्व फोरम के महासचिव प्रोफ़ेसर केपी सिंह यादव करेंगे। इसका संचालन चेयरमैन प्रोफ़ेसर हंसराज ‘सुमन’ व सचिव डॉ. विनय कुमार के द्वारा किया जाएगा। भूख हड़ताल स्थल से ईमेल के माध्यम से मानव संसाधन विकास मंत्रालय, एससी, एसटी कल्याणार्थ संसदीय समिति, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन से मांग की जाएगी कि डीयू के कॉलेजों के इन पदों को भरने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को लिखे साथ ही इन पदों को न भरने पर अनुदान कटौती की चेतावनी दे।

फोरम के महासचिव प्रोफ़ेसर केपी सिंह यादव ने बताया है कि यूजीसी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों को ओबीसी कोटे की  सेकेंड ट्रांच (दूसरी क़िस्त) के इन पदों को भरने के लिए सितंबर 2019 में सर्कुलर जारी कर भरने के निर्देश दिए थे लेकिन, सर्कुलर जारी होने के 9 महीने के बाद भी कॉलेजों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से रोस्टर पास करा लेने के बाद भी आज तक इन पदों के विज्ञापन तक नहीं निकाले। जबकि इन पदों को निकलवाने के लिए फोरम लंबे अरसे से यूजीसी, एमएचआरडी से मांग करता रहा है। उन्होंने चिंता जताई है कि सरकार कोरोना की आड़ में इन पदों को भरने के लिए डीयू प्रशासन पर दबाव क्यों नहीं डालता। उन्हें लगता है कि आर्थिक संकट के बहाने शिक्षकों के पदों को कम करना और उन्हें ना भरना है।

फोरम के चेयरमैन प्रोफ़ेसर हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों/विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में ओबीसी आरक्षण 2007 में लागू किया गया ,आरंभ में कुछ पदों पर एडहॉक टीचर्स लगाने के बाद 2014-15 में ओबीसी शिक्षकों को स्थायी किया गया। उसके बाद 2019 में तीन विभागों में नियुक्तियां होने के बाद नियुक्तियां रोक दी गईं। पिछले 13 वर्षों से ओबीसी आरक्षण लागू है लेकिन, इन पदों पर एडहॉक टीचर्स लगे हुए हैं, जिन्हें स्थायी नहीं किया गया। उन्होंने बताया है कि अब सेकेंड ट्रांच की बकाया पदों पर नियुक्तियां होनी है मगर कॉलेजों ने भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की। भर्ती प्रक्रिया शुरू कराने की मांग को लेकर ही भूख हड़ताल कर रहे हैं यदि विश्वविद्यालय प्रशासन नहीं मानता तो लॉकडाउन समाप्ति के बाद फोरम के सदस्य सड़कों पर उतरेंगे।

शोधार्थी मनीष माहौर ने बताया है कि उनकी टीम फोरम के समर्थन में एक दिन की भूख हड़ताल करेगी। उनका कहना है कि पिछले एक दशक से विश्वविद्यालयों में पीएचडी करके निकलने वाले शोधार्थियों की संख्या में इजाफा हो रहा है लेकिन, कॉलेज/विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए हैं। उन्हें नहीं भर रहे जिससे, उच्च शिक्षा बिना शिक्षकों के प्रभावित हो रही है।

फोरम के सचिव डॉ. विनय कुमार ने सवाल पूछा है कि कॉलेजों द्वारा डीयू प्रशासन से सेकेंड ट्रांच के पदों का रोस्टर पास करा चुके हैं तो फिर इन पदों को क्यों नहीं भरा जा रहा? उन्होंने इन पदों को ना भरने के पीछे प्राचायों की मंशा पर सवाल खड़े किये और कहा कि इसकी जांच कराई जाए।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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