अक्सर हो जाती हैं
इकट्ठी
ढेर सारी व्यस्तताएँ
और आदमी
फंस जाता है इन व्यस्तताओं
के जाल में
पर आदमी सोचता जरूर
है कि छोड़ आएं
व्यस्तताएं कोसों दूर अपने से
पर जब हम निकलते
व्यस्तताओं को
दूर करने के लिए
तब लाख कोशिशों
के बाद पीछा नहीं छोड़ती
ये व्यस्तताएं हमारा
और हमे
मजबूरन जीना पड़ता है
ये व्यस्तताओं भरा जीवन
और लड़ना पड़ता है अपने आपसे
और व्यस्तताओं से
तब इन व्यस्तताओं से बचने के बहाने
तलाशता आदमी
हमेशा व्यस्त नजर आता है
व्यस्तताओं के जाल में

Be the first to comment on "व्यस्तताओं के जाल में"