पूरे विश्व में कोरोना वायरस का कोहराम जारी है। इससे बचने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार, 188 देशों में कोरोना मरीजों की कुल संख्या अब तक 43 लाख 83 हजार 360 के पार चली गई है। वहीं, मरने वालों की संख्या 2 लाख, 98 हजार 300 से अधिक हो चुकी है।
विश्व में सबसे ज्यादा कोरोना के मरीजों में अमेरिका है। अमेरिका में 13 लाख 93 हजार लोग अब तक इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। दूसरे नंबर पर रूस है जहां 2 लाख 52 हजार, तीसरे नंबर पर ब्रिटेन में भी 2 लाख 34 हजार, चौथे नंबर पर स्पेन जहां 2 लाख 28 हजार मरीज, पांचवें नंबर पर इटली दो लाख 22 हजार, छठें नंबर पर ब्राजील 1 लाख 90 हजार, 7वें पर फ्रांस 1 लाख 78 हजार, 8वें पर जर्मनी 1 लाख 74 हजार, 9वें स्थान पर तुर्की 1 लाख 43 हजार, 10वें पर ईरान में 1 लाख 14 हजार , 11वें स्थान पर चीन हैं जहां अभी भी 84 हजार 25 मामले हैं। 12वें स्थान पर भारत हैं यहां कोरोना मरीज की संख्या 78,194 हो गई है। भारत में लॉकडाउन होने के बाद भी कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
संक्रमण के मामले में भारत 12 वें स्थान पर मौत में 16 वें स्थान पर
जहां संक्रमण के आधार पर भारत 12 वें स्थान पर बना है। वहीं कोरोना वायरस की मौत की आकड़ों पर नजर डाले तो 84 हजार लोग अमेरिका में मर चुके हैं। अमेरिका के बाद ब्रिटेन में सबसे अधिक फिर इटली, स्पेन, फ्रांस, ब्राजील, बेल्जियम, जर्मनी, ईरान, नीदरलैंड, कनाडा, चीन, मैक्सिको, तुर्की, स्वीडन हैं। इसके बाद भारत का नंबर है जोकि मरने वालों की संख्या के आधार पर 16 वें नंबर पर है। चीन ने अब तक कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों की संख्या साफ तौर पर नहीं बताई वहां जानकारी के अनुसार अभी तक 4,637 लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में 2,564 लोगों की मौत हो चुकी है। इस तरह से भारत में लगातार कोरोना वायरस अगर फैलता रहा तो जल्द ही भारत भी शीर्ष 10 देशों में होने वाली मौतों में गिना जाने लगेगा। इस हिसाब से भारत की स्थिति भयानक हो जाएगी।
चीन में भी लगातार बढ़ रहे मामले?
ऐसा माना जा रहा था कि चीन में स्थिति सामान्य हो गई है इसलिए वहां सब लोग अपना जीवन वैसे ही जी रहे हैं जैसा कि कोरोना वायरस से पहले था लेकिन ये आधा सच है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले हफ़्ते के आख़िरी में वुहान में एक ही कॉम्पलेक्स से छह नए मामलों के सामने आने के बाद कॉम्पलेक्स में रह रहे 5,000 लोगों के टेस्ट कराने के आदेश दिए गए। इन नए मामलों मे कोरोना का कोई भी लक्षण नहीं दिखाई पड़ रहा था लेकिन इनका टेस्ट कोरोना पॉजिटिव आया है। ऐसे मामलों को एसिम्प्टोमैटिक कहते हैं यानी जिनमें संक्रमित होने का कोई लक्षण ना हो। ऐसा लगता है कि चीन में अभी भी संक्रमण का खतरा बना हुआ है।
…तो कभी नहीं खत्म होगा यह वायरस?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनिया भर को कोरोना वायरस को लेकर चेताते हुए कहा है कि ऐसा हो सकता है कि कोविड-19 कभी ख़त्म ही ना हो। ये अपने आप में एक चिंता की बात है क्या अब हमें कोरोना वायरस के साथ ही जीना होगा? क्या इसकी वेक्सीन नहीं बन पाएगी? क्या एचआईवी की तरह कोरोना का भी कोई इलाज नहीं?
डब्ल्यूएचओ के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. माइकल जे रायन ने कहा है कि ये वायरस हमारे समाज में एंडेमिक वायरस भी बन सकता है और हो सकता है ये कभी ख़त्म ही ना हो। उन्होंने एचआईवी का उदाहरण देते हुए कहा कि यह वायरस भी ख़त्म नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि मैं दोनों बीमारियों के बीच तुलना नहीं कर रहा, लेकिन हम लोगों को सच का सामना करना चाहिए।
भारत में कैसे हैं हालात?
अगला नंबर आता है भारत का। भारत में कोरोना मरीजों की संख्या 78,194 हो गई है। 2,564 लोगों की मौत हो गई हैं और 26,235 लोग कोरोना से ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं। भारत में 24 मार्च से 21 दिनों तक के लिए लॉकडाउन किया गया था, लेकिन बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए सरकार की ओर से 21 दिन बाद लॉकडाउन आगे बढ़ा दिया गया था। अब लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा है जो 17 मई को खत्म होगा। इसे भी बढ़ने के स्पष्ट संकेत आ गए हैं। पीएम मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए आत्मनिर्भर भारत बनाने के बात की औऱ 20 लाख करोड़ रुपये यानी भारत की जीडीपी का कुल 10 फीसद अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए लगाने की बात की। इस बीच सरकार की ओर से कहा गया कि सभी लोगों तक राशन पहुंचाया जाएगा जो जहां है वो वहीं रहे, लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव मजदूरों पर पड़ा। लाखों प्रवासी मजदूरों ने शहरों से गांव की ओर पलायन करना शुरू किया। इसमें काफी मजदूरों ने अपनी जान तक गवां दी। हर दिन तमाम प्रवासी मजदूरों की भूख और दुर्घटनाओं में मौतें हो रही हैं।
इसी बीच निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि 8 करोड़ मजदूरों को फ्री में राशन देंगे। इसका पूरा खर्च केंद्र सरकार उठायेगी। बिना राशन कार्ड वालों को भी 5 किलो चावल व गेहूं मिलेगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही वन नेशन वन राशन कार्ड भी लाएंगे।
पीएम केयर्स कोष में कितना फंड आया ?
यह एक बड़ा सवाल विपक्ष लगातार उठाता रहा कि आखिर पीएम केयर्स में कितना पैसा आया और उसका क्या हो रहा है? कोरोना महामारी में जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए पीएम केयर्स फंड का गठन किया गया। लोगों ने पीएम केयर्स फंड में अपनी इच्छानुसार दान किया, लेकिन ये बात साफ नहीं हो पा रही थी कि पीएम केयर्स फंड में कितने रुपये दान में आए। कांग्रेस की तरफ से इसकी ऑडिट की मांग लगातार की जा रही है। इस फंड को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई थी।
अब यह जानकारी आई है कि प्रधानमंत्री कार्यालय से कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए 3100 करोड़ रुपए पीएम केयर्स फंड से दिये जाएंगे। 3100 करोड़ में से 2100 करोड़ रुपए से वेंटिलेटर खरीदे जाएंगे। साथ ही उनमें से 1000 करोड़ रुपए प्रवासी मजदूरों पर खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा लगभग 100 करोड़ रुपए वैक्सीन बनाने के लिए दिए जाएंगे।
PM-CARES Fund Trust Allocates Rs. 3100 Crore for Fight against COVID-19. https://t.co/jMaY8ZTE7F
via NaMo App pic.twitter.com/fwlgJYVeRO
— PMO India (@PMOIndia) May 13, 2020
भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक वर्ष तक अपने वेतन का 30 फीसद हिस्सा ‘पीएम-केयर्स फंड’ में दान करने का निर्णय लिया है। राष्ट्रपति भवन की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी सूचना के अनुसार राष्ट्रपति भवन ‘आत्म-निर्भर भारत अभियान’ के लिए योगदान देगा।
Rashtrapati Bhavan to support ‘Self-Reliant India’ movement through greater flow of resources towards COVID-19. The Rashtrapati Bhavan will undertake several measures to reduce its expenditure.
Details: https://t.co/0nVLkZPVD9 #AatmanirbharBharat
— President of India (@rashtrapatibhvn) May 14, 2020
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने 12 मई के भाषण में आत्मनिर्भरता और वोकल फ़ॉर लोकल पर जोर दिया।
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