एक वीडियो खूब वायरल हो रही है इसे देखिये-
शिवराज जी आँखे खोलो , नींद से जागो , बेबस , लाचार मज़दूरों की दशा देखो , उनकी सुध लो।
वल्लभ भवन से सरकार को बाहर निकालो।
आपके सारे दावे हवा- हवाई साबित हुए है।प्रदेश की सीमाएँ , प्रमुख मार्ग आज भी मज़दूरों से भरे पड़े हुए है , उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है।
1/5 pic.twitter.com/yvRRyD8EeT— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) May 13, 2020
लॉकडाउन की सबसे अधिक मार प्रवासी मजदूरों को ही पड़ी है। कोई भी दिन शायद ऐसा बीतता हो जिसमें मजदूरों की मौत न हुई हो। इससे पहले मौत की तस्वीरों को आपने देखा कि औरंगाबाद में पटरी पर केवल रोटियां बची थी। मालगाड़ी के नीचे 16 मजदूर हमेशा के लिए सो गए। इसी तरह भूख से तड़प-तड़प कर पैदल, बिना चप्पलों के, बिना भोजन के, भूखे-प्यासे बच्चों को लादे मर्द और औरत घर पहुंचने से पहले ही गिरकर मर जा रहे हैं। इतना ही नहीं जिस ट्रक व बसों को घर पर पहुंचाने के लिए सहारा बनना था। वही ठोकर मार रहे हैं। दुर्घटनाओं में इन्ही मजदूरों की मौत हो रही है। आज भी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में तीन हादसों में 16 मजदूरों की मौत हो गई। मध्य प्रदेश के गुना में बस और कंटेनर की टक्कर में 8 मजदूरों की मौत हुई। 54 जख्मी हो गए। हादसा देर रात दो बजे बाइपास मार्ग पर हुआ। यह सभी लोग उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले जा रहे थे। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में बुधवार देर रात रोडवेज की बस ने 6 मजदूरों कि कुचल दिया। ऐसा ही एक हादसा बिहार में भी हुआ। यहां भी प्रवासियों की बस ट्रक से टकराई। दो लोगों की जान चली गई।
इस बीच एक नया खुलासा देश के 12 राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में 5,000 घरों को लेकर किए गए एक सर्वेक्षण में हुआ है कि कोरोनावायरस महामारी को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के बीच इनमें से आधे परिवार कम खाना खा रहे हैं। इस सर्वेक्षण का नाम है- ‘कोविड-19 इंड्यूस्ड लॉकडाउन-हाउ इज हिंटरलैंड कोपिंग’ यानी कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन में दूरदराज के इलाके कैसे जीवनयापन कर रहे हैं? यह सर्वेक्षण 47 जिलों में किया गया है।
सर्वेक्षण के अनुसार लॉकडाउन लागू होने के बाद ग्रामीण इलाकों में 50 फीसदी ऐसे परिवार हैं जो पहले जितनी बार भोजन करते थे उसमें कटौती कर दी है ताकि जितनी भी चीजें उपलब्ध हैं, उसी में किसी तरह से काम चलाया जा सके। वहीं 68 फीसदी परिवार ऐसे हैं जिनके खाने की विविधता में कमी आई है यानी उनकी थाली में पहले के मुकाबले कम प्रकार के भोजन होते हैं।
यह अध्ययन नागरिक संगठन प्रदान, ऐक्शन फॉर सोशल एडवांसमेंट, बीएआईएफ, ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन, ग्रामीण सहारा, साथी-उप्र और आगा खां रूरल सपोर्ट प्रोग्राम ने किया है, इसमें असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार, इनमें से 84 फीसदी ऐसे परिवार हैं जिन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए खाद्य पदार्थ हासिल किया और 37 फीसदी ऐसे परिवार हैं जिन्हें राशन मिला। वहीं, 24 फीसदी ऐसे हैं जिन्होंने गांवों में अनाज उधार लिया और 12 फीसदी लोगों को मुफ्त में खाद्य पदार्थ मिला।
ये परिवार अब कम खाना खा रहे हैं और पहले की तुलना में कम बार खाना खा रहे हैं तथा इनकी निर्भरता पीडीएस के जरिए हासिल किए गए अनाज पर बढ़ गई है। सर्वेक्षण में यह निकलकर सामने आया है कि खरीफ फसल 2020 के लिए तैयारी अच्छी नहीं है और बीज तथा नकदी राशि के लिए मदद की जरूरत है।
अब हम बात करते हैं वीडियो कि-
यह वीडियो दिल को झकझोर देने वाला है जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।इस वीडियो में तंगहाली के शिकार परिवार के एक व्यक्ति को बैल के साथ जुतकर राष्ट्रीय राजमार्ग पर गाड़ी खींचते देखा जा सकता है। खबरों के मुताबिक यह वीडियो इंदौर जिले से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-तीन (आगरा-मुंबई राजमार्ग) का बताया जा रहा है। इस वीडियो में राजमार्ग पर एक बैलगाड़ी धीमी चाल से आगे बढ़ती दिखायी देती है, जिसमें एक बैल और एक व्यक्ति साथ-साथ जुते नजर आते हैं।
घर-गृहस्थी के कुछ सामान से लदी बैलगाड़ी में एक महिला और एक युवक बैठे दिखायी दे रहे हैं। बैल के साथ जुतकर गाड़ी खींचता दिखा व्यक्ति वीडियो में अपना नाम राहुल बता रहा है और उसकी उम्र 40 साल के आस-पास मालूम पड़ती है।
बैल के साथ गाड़ी में जुता व्यक्ति वीडियो में कहता सुनायी पड़ता है, ‘मैं (इंदौर शहर के पास स्थित) पत्थरमुंडला गांव का रहने वाला हूं और (नजदीकी कस्बे) महू से निकला हूं। गाड़ी में मेरी भाभी और छोटा भाई बैठे हैं. हम गांव-देहातों की ओर जा रहे हैं।’
बैलगाड़ी में जुते व्यक्ति ने लाचारगी भरे स्वर में कहा, ‘(लॉकडाउन के कारण) बसें भी नहीं चल रही हैं। अगर बसें चलतीं, तो हम बस से ही सफर करते। मेरे पिता, मेरा भाई और मेरी बहन आगे पैदल चले गये हैं।’
राहुल ने बताया कि उसका परिवार गांव-गांव घूमकर बैलों की खरीद-फरोख्त का काम करता है।
वीडियो में इस व्यक्ति ने कहा, ‘आखिर हम क्या करें? मेरे पास दो बैल थे। लेकिन मेरे घर में आटा और खाना पकाने का दूसरा सामान खत्म हो गया था। इसके चलते मैंने 15,000 रुपये कीमत का एक बैल केवल 5,000 रुपये में 15 दिन पहले ही बेच दिया ताकि मैं अपने घर का खर्च चला सकूं।’
इस बीच, प्रशासन ने इस वायरल वीडियो का संज्ञान लिया है। अनुविभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) प्रतुल सिन्हा ने बुधवार को बताया, ‘मैंने महू की जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) को मामले की पूरी सच्चाई पता लगाने के निर्देश दिये हैं।’
सिन्हा के अनुसार, वीडियो में बैलगाड़ी में जुते दिखायी दिये व्यक्ति की तलाश की जा रही है ताकि संबंधित सरकारी योजना के तहत उसके परिवार की हरसंभव मदद की जा सके।
Be the first to comment on "यह मार्मिक वीडियो खूब वायरल हो रही है, यह है लॉकडाउन की सबसे बड़ी त्रासदी!"