शत-शत बार सदा भारत माँ के चरणों में वंदन है
हिमा दास है बेटी और इसका बेटा अभिनंदन है
कश्मीर से धनुषकोटि फैली इसकी हरियाली है
इसकी वह डल झील हमें गंगा जमुना सी प्यारी है
इस मिट्टी में उगने वाले पौधे भी मुस्काते हैं
पुण्य भूमि पर जन्म लिया ये सोच-सोच इतराते हैं
कितने पुण्य करे मानव तब जन्म यहाँ वो पाता है
जिसने ज्यादा पुण्य किये वो भरत भूमि पर आता है
साथ हमारे यहाँ पेड़ पौधे भी सब लहराते हैं
खग मृग मधुकर साथ हमारे गीत यहाँ पर गाते हैं
खूब फली फूली है धरती रत्नों की भरमार है
पूज्यनीय पावन माटी को नमन हजारों बार है
Be the first to comment on "मेरा भारत"