आज का दिन का स्वतंत्र भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। इसी दिन हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का देहावसान हुआ था। आजादी के बाद देश में इस काल तक के इतिहास को जिसे नेहरू युग के नाम से संबोधित किया जाता है इस दिन उस युग का अंत हो गया था। हमारे देश में नेहरू युग को महत्वपूर्ण माना जाता है और देश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पंडित नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता है। स्वतंत्रता के बाद उन्होंने देश में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को मजबूत बनाने का कार्य किया और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से देश में कृषिगत और औद्योगिक विकास के आधुनिक युग का सूत्रपात किया। नेहरू को द्वितीय विश्वयुद्धोत्तरकालीन वैश्विक चिंतन के प्रमुख मनीषियों में देखा जाता है और उन्होंने संसार के नव स्वतंत्र एशियाई अफ्रीकी देशों के संगठन के रूप में गुट निरपेक्ष आंदोलन को संगठित किया।
महात्मा गाँधी को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारतीय जनमानस के संघर्ष का महानायक कहा जाता है तो नेहरू देश की आजादी की इस कथा के नायक कहे जा सकते हैं। उन्होंने 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस के नये अध्यक्ष की हैसियत से ब्रिटिश शासन से देश की पूर्ण स्वतंत्रता के प्रस्ताव को प्रस्तुत किया था और इसके पारित होने के बाद हमारे देश का स्वतंत्रता आंदोलन सच्चे अर्थों में देश की राजनीतिक दासता के बरख्श कालांतर में आजादी के महासंग्राम के रूप में सामने आया। जवाहरलाल नेहरू को काफी सालों तक ब्रिटिश शासन में सलाखों के पीछे जीवन गुजारना पड़ा। वे अपने देश और यहाँ के लोगों से प्यार करते थे और हर तरह की घटिया बातों से नफरत करते थे। इनमें मजहबी कट्टरता के अलावा स्वार्थ और मौकापरस्ती से जुड़ी बातें महत्वपूर्ण हैं।
नेहरू आधुनिक चिंतक थे और लोकतंत्र के अलावा उनके मानस पर समाजवादी विचारों का भी गहरा प्रभाव था इसलिए उन्होंने भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया और पंचशील के आदर्शों से संसार के देशों को अपने आपसी विवादों को सुलझाने का आग्रह किया। वे सैन्यवाद और प्रसारवाद के विरोधी थे और संयुक्त राष्ट्र को विश्व चिंतन विमर्श की संस्था के रूप में देखते थे।
जवाहरलाल नेहरू ने देश विभाजन और सांप्रदायिक हिंसा के भयावह सामाजिक राजनीतिक परिवेश में स्वतंत्र भारत की सार्वभौम सरकार का गठन किया और काफी सूझबूझ से कश्मीर के तत्कालीन शासक हरि सिंह से सुलह करके राष्ट्र का मुकुटमणि कहे जाने वाले इस अनुपम राज्य को हड़पने की पाकिस्तानी चाल को विफल कर दिया था। वह देशहित को सर्वोपरि मानते थे और उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में उन्होंने सभी विचारधारा के लोगों को स्थान दिया।
उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल के सहयोग से भारतीय संघ में सैकड़ों देशी राज्यों के विलय के कठिन कार्य को संपन्न करके भारत की भौगोलिक एकता में राजनीतिक एकता का समन्वय किया था।
वे आजीवन राष्ट्रीय जीवन में उच्च मूल्यों और आदर्शों से अनुप्राणित रहे और देश के विकास में यहाँ के नागरिकों के जीवन की सकारात्मक सच्चाई को स्थित मानते थे। वे महात्मा गाँधी के सच्चे अनुयायी और महान लेखक थे। हम भारत के लोग उन्हें सदैव याद करेंगे।
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