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‘नारी का अलग-अलग रूपों में मानसिक उत्पीड़न चिंता का विषय’

तस्वीर - गूगल साभार

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज में 24 फरवरी को इतिहास संघ ने ‘सिनेमेटिक रिप्रजेंटेशन ऑन जेंडर्ड वायलेंस एंड कास्ट’ पर एक सेमिनार का आयोजन किया। सबसे पहले जेएनयू की प्रसिद्ध प्रोफेसर डॉ ज्योति अतवाल ने ‘सिनेमेटिक रिप्रजेंटेशन ऑन जेंडर्ड वायलेंस एंड कास्ट’ विषय पर अपने विचार रखे।

इतिहास विभाग की अध्यक्ष हिमांशी गर्ग ने सेमिनार का परिचय दिया। इसके बाद प्रोफेसर ज्योति अतवाल का पौधे के साथ स्वागत किया गया। प्रोफेसर अतवाल ने लैंगिग असमानता और जाति एवं श्रेणी की भूमिका पर ज़ोर डाला। उन्होंने ने कहा कि हिंसा एवं लिंग असमानताएं काफी बड़े पैमाने पर हो रही हैं। रोजमर्रा की जिंदगी में नारी का अलग अलग रूपों में मानसिक उत्पीड़न काफी चिंता का विषय है।

प्रोफेसर अतवाल ने उपस्थित लोगों को विभिन्न जातियों एवं श्रेणियों में नारियों के साथ होने वाली उत्पीड़न से अवगत कराया। साथ ही “अछूत कन्या”,”अंकुर”,”बैंडिट क्वीन” और “आर्टिकल १५” जैसी फिल्मों का उदाहरण देते हुए अपने तर्कों को समर्थन दिया। इन फिल्मों के कुछ दृश्य दिखाए गए जिन्होंने वास्तव में निम्न जाति एवं महिलाओं पर किये जाने वाले मानसिक एवं शारीरिक उत्पीड़न पर कठोर संदेश दिया। इन फिल्मों ने यह भी दर्शाया कि किस प्रकार से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं पर अत्याचार को सामान्यीकृत कर दिया गया है। अंत में उन्होंने जाति एवं वर्ग के अंतर्गत किये जाने वाले असमानताओं पर विचार करने पर ज़ोर दिया। आखिर में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों द्वारा किये गये सवालों के साथ सत्र का समापन हुआ।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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