शुक्रवार को दिल्ली सरकार ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के ख़िलाफ़ केस चलाने की मंज़ूरी दे दी है। अरविंद केजरीवाल पर इससे पहले चुनाव में बीजेपी ने कन्हैया के केस को दबाने के कई बार आरोप लगाए।
देखें वीडियो-
अरविंद केजरीवाल की सरकार की ओर से कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ केस की अनुमति मिलते ही कन्हैया ने ट्वीट किया। कन्हैया कुमार ने कहा-
दिल्ली सरकार को सेडिशन केस की परमिशन देने के लिए धन्यवाद। दिल्ली पुलिस और सरकारी वक़ीलों से आग्रह है कि इस केस को अब गंभीरता से लिया जाए, फॉस्ट ट्रैक कोर्ट में स्पीडी ट्रायल हो और TV वाली ‘आपकी अदालत’ की जगह क़ानून की अदालत में न्याय सुनिश्चित किया जाए। सत्यमेव जयते।
दिल्ली सरकार को सेडिशन केस की परमिशन देने के लिए धन्यवाद। दिल्ली पुलिस और सरकारी वक़ीलों से आग्रह है कि इस केस को अब गंभीरता से लिया जाए, फॉस्ट ट्रैक कोर्ट में स्पीडी ट्रायल हो और TV वाली ‘आपकी अदालत’ की जगह क़ानून की अदालत में न्याय सुनिश्चित किया जाए। सत्यमेव जयते।
— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) February 28, 2020
कन्हैया ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि सेडिशन केस में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट और त्वरित कार्रवाई की जरुरत इसलिए है ताकि देश को पता चल सके कि कैसे सेडिशन क़ानून का दुरुपयोग इस पूरे मामले में राजनीतिक लाभ और लोगों को उनके बुनियादी मसलों से भटकाने के लिए किया गया है।
सेडिशन केस में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट और त्वरित कार्रवाई की जरुरत इसलिए है ताकि देश को पता चल सके कि कैसे सेडिशन क़ानून का दुरूपयोग इस पूरे मामले में राजनीतिक लाभ और लोगों को उनके बुनियादी मसलों से भटकाने के लिए किया गया है।
— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) February 28, 2020
आपको मालूम हो कि 9 फ़रवरी, 2016 को जवाहरलाल नेहरू (जेएनयू) में कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने का मामला सामने आया था। इस मामले में पुलिस ने कन्हैया कुमार, उमर ख़ालिद और अनिर्बान के अलावा सात अन्य लोगों को अभियुक्त बनाया था और उनपर राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज किया था। पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दायर कर दी थी, लेकिन केस चलाने के लिए दिल्ली सरकार की इजाज़त चाहिए, लिहाजा दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार था। दिल्ली सरकार के पास दिल्ली पुलिस की मंज़ूरी वाला आवेदन 14 जनवरी, 2019 से लंबित पड़ा हुआ था।
इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके कहा गया कि वो दिल्ली सरकार को केस चलाने की मंज़ूरी देने के आदेश दे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को ख़ारिज कर दी थी। हालांकि अब जबकि दिल्ली सरकार ने इसकी मंज़ूरी दे दी है तो कन्हैया, उमर ख़ालिद, अनिर्बान और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा चलने का रास्ता साफ़ हो गया है और इन आरोपियों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के फ़ैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया है-
Probably keeping current political situation in mind,CM @ArvindKejriwal has finally given sanction to prosecute formerJNUSU leader Kanhiya Kr in a sedition case.We welcome the decision.We had been demanding that the Kejriwal govt gave the approval& let the law take its own course https://t.co/ceEz8iKmqf
— Manoj Tiwari (@ManojTiwariMP) February 28, 2020
कन्हैया के साथ दिल्ली पुलिस ने इन छात्रों पर भी चार्जशीट दायर की थी
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कन्हैया कुमार समेत 10 लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा शुरू करने की अपील की है। हालांकि आरोप पत्र में कुल 36 लोगों के नाम हैं, लेकिन बाक़ी के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत नहीं होने की बात कही गई है. कोर्ट चाहे तो उन्हें समन भेज सकता है। कन्हैया कुमार के साथ उमर ख़ालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य पर भी भारत विरोधी नारे लगाने का मामला दर्ज किया था। इसके अलावा चार्जशीट में आक़िब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईस रसूल, बशीर भट और बशारत के नाम शामिल हैं।
हालांकि चार्जशीट में सीपीआई नेता डी राजा की बेटी अपराजिता और जेएनयू छात्रसंघ नेता शहला रशीद का नाम भी शामिल है।
2016 की घटना जिससे कन्हैया को टुकड़े गैंग का होने का आरोप लगा
साल 2016 में 9 फ़रवरी को जेएनयू में अज्ञात युवकों ने संसद पर हमले के दोषी अफ़ज़ल गुरू को मौत की सज़ा दिए जाने के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया था। गौरतलब है कि अफजल दिसंबर 2001 में संसद पर हुए हमले की साजिश रचने का दोषी था और सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में उसे फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद उसे 9 फ़रवरी 2013 को सुबह दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया।
जेएनयू में हुए विरोध प्रदर्शन में कुछ युवाओं ने कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाए थे। इसके बाद जेएनयू छात्र संघ के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर ख़ालिद को राजद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था।
इस घटना के बाद कन्हैया के बीजेपी सरकार के खिलाफ हमले के बचाव में बीजेपी लगातार कन्हैया को टुकड़े-टुकड़े गैंग का सदस्या बताने लगी। हालांकि कन्हैया ये कहते रहे कि अगर मैं दोषी हूं तो मुझे फांसी पर चढ़वा दो।
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