उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर में दरियागंज इलाके में सीएए और एनआरसी के विरोध में हुई हिंसा के दौरान एक कार को आग लगा दी गई थी। इसके साथ ही पथराव भी हुआ था। पुलिस का आरोप है कि इस घटना में भी कलीता की भूमिका थी। उस पर उत्तर पूर्वी जिले में हुई हिंसा को लेकर जाफराबाद थाने में पहला मामला दर्ज हुआ था और दूसरा मामला दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दर्ज किया था।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन को लेकर गिरफ्तार की गईं ‘पिंजरा तोड़’ की कार्यकर्ता और जेएनयू में एमफिल की छात्रा देवांगना कलीता को बीते मंगलवार को दरियागंज हिंसा मामले में जमानत मिल गई। सीएए और एनआरसी के विरोध में दरियागंज हिंसा मामले में पुलिस ने रविवार को देवांगना को गिरफ्तार किया था।
तीस हजारी अदालत के महानगर दंडाधिकारी अभिवन पांडेय ने जमानत याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए देवांगना कलीता को 30 हजार रुपए के निजी मुचलके व दो जमानती मुचलकों पर जमानत प्रदान की। कोर्ट ने कलीता को जांच में सहयोग करने और पासपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया। महानगर दंडाधिकारी अभिनव पांडे ने कहा कि पुलिस ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं दे सकी है जो ये साबित कर सके कि विवादास्पद नागरिकता कानून के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन के दौरान दरियागंज में दिसंबर 2019 में हुई हिंसा में कलीता की भूमिका थी।
द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, कलीता को जमानत देते हुए दंडाधिकारी पांडे ने कहा, ‘कथित तौर पर आरोपी ने सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर एनआरसी बिल के खिलाफ प्रदर्शन में भाग लिया, लेकिन अब तक की गई जांच में अभियुक्तों के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं मिला है, जो कि आईपीसी की धारा 325/352 के तहत उन पर आरोप सिद्ध कर पाए।’
उन्होंने आगे कहा कि पुलिस ने घायल व्यक्तियों के मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट (एमएलसी) के आधार पर आरोप लगाया है, जिन्होंने दावा किया कि वह हिंसा के स्थल पर मौजूद थीं, लेकिन सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि आरोपी हिंसा में शामिल नहीं थीं।
कोर्ट ने कहा कि घायलों के एमएलसी के आधार पर ये दावा नहीं किया जा सकता है कि आरोपी को जमानत देने से मना किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि कलीता के लैपटॉप और फोन में ऐसी कोई सामग्री बरामद नहीं हुई है जिसके कारण उन्हें जेल में रखा जाए।
हालांकि द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक एक अन्य मामले में अभी उनसे पूछताछ चल रही है। इसका मतलब है कि देवांगना कलीता अभी जेल में ही बंद रहेंगी।
कलीता के अलावा पिंजरा तोड़ की एक अन्य सदस्य और जेएनयू में पीएचडी की छात्रा नताशा नरवाल को भी पुलिस ने 23 मार्च को दिल्ली हिंसा के संबंध में गिरफ्तार किया था।
इससे बाद कोर्ट ने दोनों कार्यकर्ताओं को जाफराबाद प्रदर्शन मामले में जमानत दे दी थी और कहा था कि आरोपी सिर्फ एनआरसी और सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, किसी हिंसा में शामिल नहीं थे। लेकिन, इसके बाद ही दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने तत्काल उन्हें एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया और उन पर हत्या, हत्या के प्रयास, दंगा और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया।
बाद में क्राइम ब्रांच ने नरवाल को यूएपीए कानून के तहत भी गिरफ्तार किया। दोनों को 28 मई को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
बता दें कि फरवरी में दिल्ली दंगे को लेकर नरवाल और कलीता के अलावा दिल्ली पुलिस ने जामिया के शोधार्थी छात्र मीरान हैदर, सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा और एल्युमनी एसोसिएशन ऑफ जामिया मिलिया इस्लामिया के अध्यक्ष शिफाउर्ररहमान खान को गिरफ्तार किया है। इन छात्रों पर यूएपीए, राजद्रोह, हत्या, हत्या के प्रयास, धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच नफरत को बढ़ावा देने और दंगा करने के अपराध के लिए भी मामला दर्ज किया गया है।
इधर, दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दिल्ली हिंसा मामले में मंगलवार को कड़कड़ड़ूमा कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी है। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व नेता और पार्षद ताहिर हुसैन को मास्टरमाइंड बताया है। चार्जशीट में पार्षद ताहिर हुसैन समेत 15 लोगो को आरोपी बनाया गया है।
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