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कोरोना के डर से जेएनयू प्रशासन ने छात्रों को हॉस्टल खाली करने का दिया निर्देश

तस्वीर - गूगल साभार

कोरोना वायरस के कारण दिल्ली समेत कई राज्यों में स्कूल, कॉलेज, सिनेमा हॉल, जिम, नाइट क्लब सब 31 मार्च तक बंद करने का आदेश दिया हैं। 16 मार्च को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की ओर से छात्रों को हॉस्टल खाली कर घर जाने का निर्देश दिया गया है। जेएनयू की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने के लिए कहा गया है। जेएनयू प्रबंधन ने कहा है कुछ ही हॉस्टल में विदेशी और जरूरतमंद छात्रों को मेस की सुविधा दी जाएगी।

हॉस्टल खाली करने की बात को लेकर जेएनयू के छात्र फारूक ने बातचीत में बताया कि हॉस्टल खाली कराने के पीछे ये कोई सेंसीबल लॉजिक नहीं है। आप क्लास, सेमिनार औऱ परीक्षाएं सब पोस्टपोंड कर दीजिए। आपने लाइब्रेरी बंद किया ये भी ठीक है क्योंकि वहां लोग एक साथ बैठते हैं, लेकिन हॉस्टल में लोग तीन टाइम खाना खाकर निकल जाते हैं। सबका अपना अपना रूम है। उसके बाद ढाबा में बैठते हैं लेकिन हम कमरे में ऐसे ही आइसोलेटेड है। हॉस्टल खाली करके इतने बच्चे जाएंगे कहा? घर जाए या किसी दोस्त के यहां जाए, तो क्या गारंटी है कि वहां पर जाकर ऐसा नहीं होगा। वहां भी लोगों के बीच रहना है। ऐसा नहीं है कि हमें मंगल ग्रह पर भेज दिया जा रहा है। हमको पृथ्वी से अलग दुनिया में भेज दिया जा रहा है। तो ये बेवकूफी है इससे बहुत भगदड़ मच रहा है। ट्रेन की टिकट नहीं मिल रही है। ट्रेन में बहुत भीड़ है। अब कैसे कोई यहां से जाएगा?

फारूक ने कहा कि मान लीजिए अगर वायरस का कोई लक्षण आ गया जोकि पता ही न चल पाए। ऐसे में अगर में घर चला गया दो दिन बाद मुझे पता चलता है कि मुझे कोरोना वायरस पॉजिटिव है तो हम क्या करेंगे? मेरी भी जान जाएगी और घर वाले भी परेशान होंगे। हॉस्टल खाली करने का लॉजिक बिल्कुल गलत है जो जहां है वो वहीं रहे। अपना ख्याल रखें और जिसको ये वायरस हो गया है वो दूसरे लोगों के संपर्क में न आए। लेकिन हॉस्टल खाली कराने का फैसला बिल्कुल गलत है।

वहीं जेएनयू के छात्र नेता प्रशांत (एनएसयूआई) ने कहा कि चिकित्सा समुदाय द्वारा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए, हमें कहा गया है कि हम खुद से स्वच्छता संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करें। हॉस्टल सार्वजनिक सभा हैं और अगर हम यहां रहते हैं, तो वायरस कुछ ही समय में फैल सकता है। जेएनयू उन छात्रों को रहने की अनुमति देता है जिनके पास वैध कारण हैं। इसलिए हॉस्टल को खाली करना एक अच्छा विचार है।

मालूम हो कि 12 मार्च को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने भी कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए सभी स्नातक और स्नातकोत्तर के इंटरनल एग्जाम को 31 मार्च तक स्थगित कर दिया है। स्नातक और स्नातकोत्तर का सभी कॉलेजों और विभागों से शिक्षकों द्वारा वेबसाइट पर हर सप्ताह अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। पाठ्यक्रम से संबंधित शिक्षक टाइम टेबल के हिसाब से ई-संसाधन उपलब्ध कराएंगे। यहां तक कि सभी सेमिनार, कॉन्फ्रेंस, संगोष्ठियां, वर्कशॉप और ग्रुप एक्टीविटी 31 मार्च तक स्थगित कर दी गई है।

इसी तरह जामिया ने भी 31 मार्च तक सभी सेमिनार रद्द कर दिए हैं। साथ ही छात्रों को भीड़ वाले आयोजनों को नजरअंदाज करने की सलाह दी है। इस दौरान शिक्षक पाठ्यसामग्री ऑनलाइन उपलब्ध कराएंगे और ऑनलाइन ही मूल्यांकन होगा। हालांकि, परीक्षाएं पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत ही आयोजित होंगी। विश्वविद्यालय ने इसके अंतर्गत चलने वाले स्कूलों की कक्षाएं भी 31 मार्च तक निलंबित करने का फैसला किया है, लेकिन बोर्ड की परीक्षाएं तय कार्यक्रम के अनुसार जारी रहेंगी।

 

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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