कभी कर्नाटक के स्कूल और कॉलेज में हिजाब बैन की बात हो या फिर कश्मीरी पंडितों की। कहीं न कहीं हर तरफ धर्म को लेकर राजनीति काफी गरमाई हुई है। पश्चिम बंगाल से लगातार हिंसा की खबरे सामने आती रहती है। 21 मार्च को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता भादू शेख की हत्या कर दी गई, जिसके बाद पश्चिम बंगाल में हिंसा का एक नया घटनाक्रम जुड़ गया। इस घटना के बाद बीरभूम ज़िले के रामपुरहाट के बोगटुई गांव में आठ लोगों को कथित तौर पर ज़िंदा जलाकर मार दिया गया था। इस हिंसा के बाद वहां पर एक डर का माहौल पैदा हो गया है। इसके बाद भी टीएमसी के 2 नेताओं पर जानलेवा हमला हुआ। नतीजतन अब वहां के लोग पलायन भी करने लगे हैं। अब इस पर सियासत भी गरमाने लगी है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य हिंसा और जंगलराज के हवाले कर दिया गया है। साथ ही, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि वह 72 घंटों में बीरभूम की घटना की रिपोर्ट राज्य सरकार से मांगेंगे।
बीरभूम ज़िले में आठ लोगों को कथित तौर पर ज़िंदा जलाने की घटना के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सवाल उठ रहे हैं। बीजेपी, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफ़े और राज्य में केंद्रीय हस्तक्षेप की मांग कर रही है। बीरभूम में हिंसा फैलने के बाद विपक्ष राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर रहा है।
Governor West Bengal Shri Jagdeep Dhankhar reaction on worst in recent memory grisly carnage at Rampurhat, where six women and two children were burnt alive. Barbarity of dastardly act shames humanity and democracy. pic.twitter.com/MxQDBgBobO
— Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) March 23, 2022
जगदीप धनखड़ ने इस घटना को लोकतंत्र और इंसानियत के लिए शर्मसार कर देने वाली घटना बताया हैं। राज्यपाल धनखड़ के इस बयान का जवाब देते हुए ममता बनर्जी ने राज्यपाल को एक पत्र लिखकर कहा है कि प्रशासन को निष्पक्ष जांच करने दीजिए।
एक पत्र में बनर्जी ने लिखा है कि ये बहुत दुख की बात है कि आपने 21 मार्च को रामपुरहाट में हुई घटना जिसमें कई लोगों की जान गई, ‘प्रशासन को निष्पक्ष जांच करने दीजिए’। ममता आगे लिखती हैं कि आपके बयानों में अन्य राजनीतिक दलों का समर्थन करने वाला राजनीतिक अंदाज़ है और लगता है कि ये बंगाल सरकार को धमकाने की कोशिश है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार,
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि ये हमारी सरकार है। हमें अपने राज्य के लोगों की चिंता है. हम कभी नहीं चाहेंगे कि किसी को भी तकलीफ़ हो। बनर्जी ने कहा कि वहां के शीर्ष अधिकारियों को हटा दिया गया है। ममता बनर्जी ने आगे कहा कि उनकी सरकार को बदनाम करने की साज़िश की जा रही है। ऐसी घटनाएं गुजरात और राजस्थान में भी हुई हैं, मैं रामपुरहाट की घटना को सही नहीं ठहरा रही हूं। हम निष्पक्ष तरीक़े से कार्रवाई करेंगे।
ममता बनर्जी ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि ये बंगाल है, उत्तर प्रदेश नहीं। हर किसी को घटनास्थल पर जाने की अनुमति है, ये यूपी नहीं है, कोई भी कहीं जा सकता है. मैंने अपनी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल हाथरस भेजा था, लेकिन हमें वहाँ जाने नहीं दिया गया, लेकिन हम बीरभूम जाने से किसी को रोक नहीं रहे हैं।
अखिर क्या है हिंसा की वजह?
बीरभूम के रामपुरहाट में फैली हिंसा की वजह टीएमसी नेता भादू शेख की हत्या है। बताया जा रहा है कि भादू 21 मार्च की शाम को एक दुकान पर चाय पी रहे थे। उसी समय कुछ अज्ञात युवकों ने उन पर बम से हमला कर दिया। उसके बाद गंभीर हालत में उन्हें रामपुर हाट अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। भादू की मौत की ख़बर फैलते ही पूरे गांव में तनाव फैल गया इसके बाद बताया जा रहा है कि गुस्साई भीड़ ने एक दर्जन से ज्यादा घरों में आग लगा दी। आग लगने से 8 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई। परिवार का कहना है कि महिलाएं और बच्चे एक साथ एक ही कमरे में छिपे हुए थे और हमलावरों ने उन्हें आग के हवाले कर दिया।
इस मामले में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं, आरोप है कि पीड़ित परिवार के 10 लोगों की सोमवार रात को मौत हुई है, लेकिन पुलिस प्रशासन आठ लोगों की मौत का ही दावा कर रहा है। आरोप है कि उन आठ शवों को भी परिवार को नहीं सौंपा गया बल्कि पुलिस ने 22 मार्च की रात को शवों को दफ़ना दिया। गौरतलब है कि ऐसे मामलों में पुलिस की भूमिका पर हमेशा से ही सवालिया निशान लगते रहे हैं।
बीरभूम की हिंसा के संदर्भ में बंगाल के डीजीपी मनोज मालवीय ने कहा, यह व्यक्तिगत दुश्मनी का मामला हो सकता है. आग लगने की वजह की जांच की जा रही है. उन्होंने कहा उन्होंने कहा, अगर इसे टीएमसी नेता की मौत के बदले से जोड़ा जाता है, तो यह आपसी दुश्मनी की वजह से हो सकती है. यह राजनीतिक हिंसा से जुड़ा मामला नहीं है?
पलायन को मजबूर गांव वाले
रामपुरहाट के बोगटुई गाँव में हिंसा के बाद चारो तरफ डर का माहौल और सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव के लोगों के मन में दोबारा हिंसा फ़ैल जाने का डर है। मृत टीएमसी नेता भादू शेख के भाई नूर अली गाँव को छोड़ कर जाने की तैयारी में है। फ़िलहाल, गांव में घटना के तीसरे दिन भी ख़ौफ का माहौल है। बड़ी तादाद में रैपिड ऐक्शन फ़ोर्स के जवानों और पुलिस की तैनाती की गई है। यहां देखने वाली बात यह है कि टीएमसी नेता भादू शेख की मौत किसी आपसी रंजिश का नतीजा है या राजनीतिक हत्या।
बहरहाल पश्चिम बंगाल में हिंसा ये कोई नया या पहला मामला नहीं है इससे पहले भी पश्चिम बंगाल कई हिंसक घटनाओं का गवाह रह चुका है।
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