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द कश्मीर फाइल्स को लेकर क्यों छिड़ा है विवाद ?

आज कल पूरे देश और मीडिया में एक मुद्दा काफी तूल पकड़े हुए है। इस मुद्दे पर राजनीति भी जम कर हो रही है। पक्ष विपक्ष सभी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। दरअसल कश्मीर और कश्मीरी पण्डितों का मुद्दा पिछले कई दशकों से भारतीय राजनीति में मुख्य भूमिका निभाता रहा है। जिसका फायदा कई राजनीतिक दलों को सीधे तौर पर मिलता रहा है। चाहे वो विस्थापित कश्मीरी पंडितों को दोबारा कश्मीर में स्थापित करने के वादों के सहारे हो या धारा 370 के सहारे।

हम बात कर रहे हैं हाल ही में रिलीज हुई फ़िल्म “द कश्मीर फाइल्स” की। जो 1990 में कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन के दुखद इतिहास को दिखाया गया है। यही वजह है कि ये फ़िल्म काफ़ी सुर्खियां बटोर रही है। इस फ़िल्म को दिल्ली में भी टैक्स फ्री कर देने मांग भी हो रही है। दिल्ली के जंतर-मंतर पर दिल्ली बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन करते हुए दिल्ली सरकार से इस फ़िल्म को टैक्स फ्री करने की मांग की है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल  ने भी इस फ़िल्म को पूरे देश में टैक्स फ्री करने की मांग की है। बता दें कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक समेत कई राज्यों में “द कश्मीर फाइल्स” को टैक्स फ्री कर दिया गया है।

पिछले दिनों “द कश्मीर फ़ाइल्स” की टीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की। लेकिन मीडिया में इस फ़िल्म के अभिनेता अनुपम खेर से जुड़ा एक पुराना बयान वायरल हो रहा है, इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फ़िल्म अभिनेता अनुपम खेर को “रील के साथ साथ रियल लाइफ का विलेन” भी बता रहे हैं।

दरअसल अनुपम खेर ने 2016 में योगी आदित्यनाथ और साध्वी प्राची को कहा था कि बीजेपी पार्टी में कुछ लोग ऐसे हैं, जो बकवास करते हैं। चाहे वो साध्वी हो, या योगी आदित्यनाथ हो। उनको अंदर कर देना चाहिए और उनको निकाल देना चाहिए। अनुपम खेर के इसी बयान पर पलटवार करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अनुपम खेर सिर्फ फिल्मों में ही खलनायक नहीं है बल्कि असल जीवन में भी खलनायक हैं। अनुपम खेर ने 2016 में असहिष्णुता पर चर्चा पर एक चैनल के कार्यक्रम में बयान दिया था। लेकिन अब जब अनुपम खेर योगी आदित्यनाथ से मिले तो ये पूराना बयान सोशल मीडिया पर वारयल होने लगा। 

इस फिल्म पर हर कोई अपनी राय रख रहा है। फिल्म में दिखाए गए दृश्य काफी दिल दहला देने वाले हैं। कश्मीरी पंडितों के इस नरसंहार से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता लेकिन इसको लेकर विवाद खत्म होने का नाम ले ही नहीं रहा है।

फिल्म “द कश्मीर फाइल्स” को लेकर मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस नियाज खान के ट्वीट पर बवाल मचा हुआ है। नियाज खान ने लिखा कि “द कश्मीर फाइल्स” ने ब्राह्मणों का दर्द दिखाया है। उनको पूरे सम्मान के साथ कश्मीर में रहने की इजाजत मिलनी चाहिए। प्रोड्यूसर को विभिन्न राज्यों में मारे गए मुस्लिमों पर भी एक फिल्म बनानी चाहिए | मुस्लिम कोई कीड़े-मकोड़े नहीं हैं, वो भी इंसान हैं और देश के नागरिक हैं।

नियाज खान के इसी बयान को लेकर मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने की बात कही जा रही है।

नियाज खान इतने पर ही नहीं रूकते हैं वो आगे लिखते हैं कि वो मुस्लिमों पर हुए अत्याचार पर आधारित एक किताब लिखना चाहते हैं ताकि कुछ प्रोड्यूसर इस पर फिल्म बना सकें। “द कश्मीर फाइल्स” के जरिए जो भी पैसा कमाया गया है उसे कश्मीरी पंडितों के बच्चों की शिक्षा और कश्मीर में उनके घर बनाने के लिए खर्च होना चाहिए। बता दें कि नियाज खान इस से पहले कई क्राइम आधारित किताबें भी लिख चुके हैं।

फिल्म के निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने भी नियाज खान के ट्वीट का जवाब दिया कि वो 25 मार्च को भोपाल आएंगे और IAS खान से मुलाकात करने की कोशिश करेंगे और चर्चा करेंगे कि वो कैसे मदद कर सकते हैं। लेकिन जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि आपकी फिल्म से जो कमाई होगी उससे क्या कश्मीरी पंडितों को हिस्सा दिया जाएगा। इसके जवाब में विवेक ने कहा कि कमाई होगी तब बात करेंगे अभी आपकी गलतफहमी है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

सुमित
सुमित वीडियो जर्नलिस्ट के साथ -साथ समसामयिक मुद्दों पर लेखन भी करते हैं।

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