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sahitya maurya

आर्टिकल 15- कभी हम हरिजन बने कभी बहुजन, लेकिन हम कभी “जन” नहीं बन सके

आर्टिकल 15- कभी हम हरिजन बने कभी बहुजन, लेकिन हम कभी “जन” नहीं बन सके। इस लाइन का अर्थ अगर सरल शब्दों में परिभाषित किया जाए तो कुछ इस तरह होगा, इंसान हर वक्त किसी…


महिलाओं के दायरे सीमित करना सोची समझी रणनीति तो नहीं

महिला, मतलब अनेक रूपों में समाहित एक कार्यरत स्त्री। जिसे हर समय समाज में बेहतर वातावरण देने का प्रयास किया जाता रहा है। महिलाओं को हर क्षेत्र में उनकी भागीदारी को बढ़ावा दिया जाता रहा है। जो महिलाएं…


ज़ुबानी जंग को पीछे छोड़ता डूसू चुनाव  

-साहित्य मौर्या 12 सितंबर को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) का चुनाव होने वाला है यह दिन जैसे-जैसे क़रीब आ रहा है। परिसर में सौहार्द ख़त्म होता जा रहा हैं। पिछले कई साल यह चुनाव…