SUBSCRIBE
FOLLOW US
  • YouTube
Loading

poem by neeraj singh

मैं सफ़र का था (कविता)

मैं कभी उत्तर तो कभी पूर्व हो चला ऐसा जीवन बनाया कि खानाबदोश हो चला पहाड़ों पर रात बिताई कितनी बंजर खेतों में कई बार पसर गया मैं सफ़र का था सफ़र में ही रह…


कविताः यह पल प्रभाव डालेगा

मरना लाज़मी है पर मर कैसे रहे हैं, यह पल प्रभाव डालेगा ज़िन्दा मर रहे हैं या ज़िन्दा रहने के लिए मर रहे हैं   भूख मारने के लिए मर रहे हैं, या भूखे मर…