कभी तो मुझ में घुल जाने के लिए आ
-कहकशां आना है तो पूरी तरह आ कभी तो मुझ में घुल जाने के लिए आ, ये दिया यूँ ही रखा है कभी तो इसे जलाने के लिए आ, कब तक तनहा काटें…
-कहकशां आना है तो पूरी तरह आ कभी तो मुझ में घुल जाने के लिए आ, ये दिया यूँ ही रखा है कभी तो इसे जलाने के लिए आ, कब तक तनहा काटें…
-संजय भास्कर फ्लाईओवर के बारे में कविता लिखना कोई आसान काम नहीं है। फ्लाईओवर के बारे में कविता लिखने से पहले शहर के लोगों के विचार जान लेने जरूरी हैं, जो हर रोज या अक्सर…