गलतियां जान कर, पर बन कर अनजाने करो
रिश्ता तोड़ना है तो कुछ बहाने करो गलतियां जान कर पर बन कर अनजाने करो बेमतलब की, बेवजहों की कुछ अफ़साने करो रोज कहो मिलेंगे-मिलेंगे पर थोड़ा कम आने-जाने करो मत…
रिश्ता तोड़ना है तो कुछ बहाने करो गलतियां जान कर पर बन कर अनजाने करो बेमतलब की, बेवजहों की कुछ अफ़साने करो रोज कहो मिलेंगे-मिलेंगे पर थोड़ा कम आने-जाने करो मत…
– संजय भास्कर तू किसी रेल सी गुज़रती है, मैं किसी पुल सा थरथराता हूं – दुष्यंत कुमार कवि और हिंदी के पहले गज़लकार स्व. दुष्यंत कुमार आज 1 सितंबर, 1933 के दिन ही पैदा हुए…
-दिगम्बर नासवा दिन पुराने ढूंढ लाओ साब जी लौट के इस शहर आओ साब जी कश पे कश छल्लों पे छल्ले उफ़ वो दिन विल्स की सिगरेट पिलाओ साब जी मैस की पतली…