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लेखक

मीत 

-अंकित कुंवर जेई न समझे मित्र का मान, होई दुखदायी कहूँ महान।   सच्चा मित्र सम्मान पाहिजे, शत्रु विधाता पापित काहिजे।   केहू कहि दुख हरि हमारो, देखत देखत गुण बौछारो।   अवगुण अस्त व्यस्त…


“हमन हैं इश्क मस्ताना” पढ़िए तो जान जाएंगे कि फेसबुक पर प्यार और शादी के क्या हैं मायने

हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या ? रहें आजाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या ? अगर साहित्य में आप रुचि ऱखते होंगे तो आपने कबीर की ये पंक्तियां जरूर पढ़ी…