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आत्महत्या

“चुनाव, वादा और किसान”: ये संबंध तोड़ दो तो बन जाए जिंदगी

आप सोच रहे होंगे कि मैंने “चुनाव, वादा और किसान” इस लेख का शीर्षक क्यों लिखा? आप बिलकुल सही सोच रहे हैं।  आपको बता दूं इन तीनों शब्दों में एक गहरा नाता है। हमारे देश…


हौसला हारता किसान और बेशर्म सरकार, कब तक चलता रहेगा ऐसे?

–साहित्य मौर्या हमें तेरे सत्ता के सियासी खेल का हिस्सा नहीं बनना  हमें हमारी परिश्रम का मेहनताना दे दो और हमारी मांग पूरी करो। कुछ ऐसे ही नारे के साथ 5 सितंबर को लाल रंग…