सत्ता स्वार्थी हो चली है (कविता)
-पूजा कुमारी सत्ता की रस्म हो चली है हर त्योहार पर उपहार त्योहार कैसा? उपहार कैसा? इज्जत लूटने का त्योहार हो तो लाख टके का उपहार जीवन जाने का त्योहर हो तो लाख टके…
-पूजा कुमारी सत्ता की रस्म हो चली है हर त्योहार पर उपहार त्योहार कैसा? उपहार कैसा? इज्जत लूटने का त्योहार हो तो लाख टके का उपहार जीवन जाने का त्योहर हो तो लाख टके…
शीतल चौहान मीडिया का निष्पक्ष होना किसी भी लोकतांत्रिक देश को और सुदृढ़ बनाने के लिए बहुत जरूरी है। मीडिया अगर जनता की समस्याओं को सरकार तक और सरकार के कामकाज को जनता तक बिना…