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डीयू- एनसीवेब में लगे दो दिवसीय ‘जॉब फेयर’ में 335 छात्राओं को मिला रोजगार

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के नॉन कॉलेजिएट विमेंस एजुकेशन बोर्ड (एनसीवेब ) ने दो दिवसीय जॉब फेयर का आयोजन किया। यह जॉब फेयर 18 से 19 फरवरी को डीयू के अरबिंदो कॉलेज में लगाया गया। पहले दिन इसमें देशभर से 23 राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कंपनियां शामिल हुई। इन कंपनियों ने छात्राओं की योग्यता व क्षमता के आधार पर प्लेसमेंट किया। इन कंपनियों ने सुबह 9 बजे से 2 बजे तक हजार छात्राओं का पंजीकरण किया। वहीं बुधवार को  1669 छात्राओं ने अपना पंजीकरण कराया।

दो दिवसीय जॉब फेयर में कुल मिलाकर 2572 छात्राओं ने अपना पंजीकरण कराया था, जिसमें 335 छात्राओं का चयन किया गया। इसके अलावा 657 छात्राओं को अंतिम सूची में शामिल किया गया है, जिन्हें मार्च में ऑफर दिया जाएगा।

जॉब फेयर में ये कंपनियां हुईं शामिल?

उपनिदेशक डॉ. उमाशंकर ने बताया है कि पहले दिन 23 बड़ी कंपनियों ने भाग लिया। इनमें इकाया ग्लोबल  (500 पद), आइसीसीएस (250 पद), सारथी प्लेसमेंट (200 पद), अंडस्टेड (150 पद), एग्जामिन टेलेंट मैनेजमेंट (120 पद ), नेट एंबिट (500 पद), पेस सेटर (160 पद), आर वन आरसीएम (250 पद), आइएसओएन (60 पद), आरकिस प्राइवेट लिमिटेड (100 पद) आदि कम्पनियों ने भाग लिया। इसके अलावा अन्य कंपनियों ने अपने यहां 4000 हजार से अधिक रोजगार देने का अवसर दिया।

‘मेगा प्लेसमेंट ड्राइव’ के आयोजन से पूर्व बोर्ड के चेयरमैन व डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. राजीव गुप्ता, मुख्य अतिथि वित्त अधिकारी सिया सरण, बोर्ड की निदेशक डॉ. गीता भट्ट, उप निदेशक डॉ. उमा शंकर, अरबिंदो कॉलेज के प्रभारी प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

किसी महिला को शिक्षित करना कई पीढ़ियों को शिक्षित करने के समान

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डीयू के वित्त अधिकारी सिया सरण ने शिक्षा व रोजगार के महत्व को बताते हुए स्पष्ट किया कि किसी महिला को शिक्षित करना कई पीढ़ियों को शिक्षित करने के समान है। औपचारिक शिक्षा बहुआयामी व्यक्तित्व को निखरता है। शिक्षा, रोजगार के साथ उद्मशीलता बढ़ाते हुए महिला सशक्तिकरण को भी समाज में स्थापित करती है।

डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. राजीव गुप्ता ने कहा कि शिक्षा, रोजगार के अवसर जुटाने और बेटियों को समृद्ध बनाते हुए देश को आगे बढ़ाने का अपना महत्वपूर्ण दायित्व निभाती है। केंद्र सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं की चर्चा करते हुए नारी सशक्तिकरण और उनकी उद्यमशीलता से देश की अर्थव्यवस्था को मिलने वाले लाभांश का उल्लेख किया।

बोर्ड की निदेशक डॉ. गीता भट्ट ने बोर्ड की उपलब्धियों को बताते हुए कहा कि वर्ष 1944 से स्थापित इस संस्था ने वर्तमान में 27 शैक्षणिक केंद्र और 30 हजार से अधिक छात्राओं तक अपना विस्तार कर लिया है। बोर्ड औपचारिक शिक्षा एवं व्यावसायिक शिक्षा के साथ-साथ रोज़गारपरक कार्यक्रमों के आयोजनों में भी संलग्न है। इसी कड़ी में डीयू में बोर्ड ने पहली बार बड़े स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय एवं गैर सरकारी संस्थानों के सहयोग से “मेगा प्लेसमेंट ड्राइव” का आयोजन कर छात्राओं को आर्थिक रूप से सक्षम और आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया।

दो दिवसीय जॉब फेयर के समापन समारोह के अवसर पर उन्होंने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि दो दिवसीय जॉब फेयर के प्रति छात्राओं के उत्साह को देखते हुए अब हर साल रोजगार मेले का आयोजन फरवरी माह में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हमे नहीं मालूम था कि इतनी बड़ी संख्या में विभिन्न सेंटरों से हमारी छात्राएं आएंगी। इस बार हमने 23 कंपनियों को आमंत्रित किया था अगली बार 50 कंपनियों को आमंत्रित करेंगे।उन्होंने जॉब फेयर में चुनी गई छात्राओं को अपनी बधाई और शुभकामनाएं दी।

बोर्ड के उप निदेशक डॉ. उमा शंकर ने बताया कि एनसीवेब की स्थापना का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने पहली प्राथमिकता है। इसी दिशा में अब तक शिक्षा का कार्य संम्पन्न हो रहा था किंतु इस रोजगार मेले के माध्यम से शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने का यह सफल प्रयास रहा है।

जॉब फेयर से छात्राओं में आत्मविश्वास एवं आत्मनिर्भरता की भावना को मिलता है बल

प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने कहा कि बोर्ड द्वारा रोजगार के अवसर प्रदान कर छात्राओं में आत्मविश्वास एवं आत्मनिर्भर बनाने की भावना को बल मिलता है। उन्होंने बताया कि इन आयोजनों का मुख्य लाभ समाज के कमजोर वर्गों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है। उनका कहना है कि ये छात्राएं शैक्षणिक एवं अन्य गतिविधियों में नियमित छात्राओं से किसी भी स्तर पर कम नहीं है।

जॉब फेयर के लिए नॉन कॉलेजिएट को क्यों चुना?

प्रो. सुमन ने बताया कि मंगलवार को कंपनियों ने नॉन कॉलेजिएट की छात्राओं को इसलिए चुना है कि इसमें पढ़ने वाली छात्राएं के लिए रविवार या छुट्टी के अन्य दिनों में कक्षाएं लगती हैं इसलिए उनके पास बाकी दिन जॉब के लिए उपलब्ध रहते हैं। जॉब करते हुए छात्राओं में आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ आगे के करियर तथा उच्च शिक्षा भी अर्जित करने में आर्थिक बल और आत्मविश्वास पैदा होता है।

 

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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