SUBSCRIBE
FOLLOW US
  • YouTube
Loading

व्यापार की अनिवार्य रणनीति और विभिन्न उभरते आयामों पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

तस्वीरः गूगल साभार

श्री अरविन्द महाविद्यालय के वाणिज्य विभाग एवं आईसीएसएसआर के संयुक्त तत्त्वावधान में  व्यापार की अनिवार्य रणनीति: नई पद्धति और संवृद्धि की संभावनाएँ’ विषय पर दो दिवसीय  राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी 18-19  जनवरी को आयोजित की गई।

इस अवसर पर बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के चेयरमैन एस रवि, आईसीएसएसआर के प्रसिद्ध और मोटिवेशनल चार्टर एकाउंटेंट सीएस नन्दा, दधीचि देहदान संस्था के निदेशक हर्षदीप मलहोत्रा, द बिजनेस लाइन के वरिष्ठ संपादक शिशिर सिन्हा, वेद्या पार्टनर्स के  साझेदार करण पण्डित, बीएसआर एण्ड को. एलएलपी के साझेदार अतुल जैन, टाइम्स ऑफ  इण्डिया के बिजनेस संपादक सिद्धार्थ  के. महाविद्यालय के चेयरमैन एवं दैनिक  जागरण  के  सह-संपादक संजय मिश्रा तथा महाविद्यालय के प्राचार्य  डॉ. विपिन  कुमार अग्रवाल उपस्थित  हुए।

दीप प्रज्ज्वलन औऱ सरस्वती वन्दना के साथ शुरू हुए उद्घाटन के सत्र में व्यापार, रणनीति और इसकी चुनौतियाँ जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर बीएसई के चेयरमैन एस रवि ने व्यापक रूप से प्रकाश डालते हुए विभिन्न प्रांतों से आए शोधार्थियों, महाविद्यालय  के  छात्र-छात्राओं  और  शिक्षकों को सम्बोधित किया। उनका मानना है कि किसी भी व्यवसाय के लिए नवीनता, रचनात्मकता तथा नवीन तकनीकी विकास से उत्पन्न चुनौतियों की सही समझ, रणनीति तथा  प्रतिबद्धता उसे ऊँचाई तक ले जा सकती है। उन्होंने कहा कि कोई भी कम्पनी बाजार में तभी टिक सकती है जब वह बाजार की नई चुनौतियों को निरन्तर रू-ब-रू होती रहे। आईपैड से आई-10 तक का सफर तय करने वाले एप्पल, नोकिया, सैमसंग आदि की तरह लगातार  बाजार में बनी रहने वाली कम्पनियाँ इसके ज्वलंत उदाहरण हैं।

इसके उपरांत अन्स्र्ट एण्ड यंग कम्पनी के साझेदार विपिन सप्रा ने नीति स्तर पर नए उद्यम एवं व्यापार आरम्भ करने में उत्पन्न चुनौतियों के विषय में चर्चा की। उन्होंने कहा कि डिजिटल शिक्षा का ज्ञान ठीक से प्राप्त न होने के कारण ही ऐसा हो रहा है। उन्होंने विमुद्रीकरण, साइबर  क्राइम, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस जैसे विषयों पर भी विस्तारपूर्वक चर्चा की।

इस संगाष्ठी में मार्केटिंग क्षेत्र के मोटिवेशनल गुरु माने जाने वाले सीएस नन्दा ने अपने  विचारोत्तेजक वक्तव्य में सभागार में उपस्थित सभी विद्वानों, छात्र-छात्राओं को व्यापार एवं  उद्यम के गुर सिखाए।

इसके उपरान्त दिल्ली विश्वविद्यालय के फाइनेंशियल स्टडीज के विभागाध्यक्ष प्रो. संजय सहगल  ने वित्तीय बाजार की वस्तुस्थिति पर विशेषज्ञतापूर्ण वक्तव्य देते हुए उसमें हो रहे तकनीकी परिवर्तनों, चुनौतियों, क्षमताओं, नई सम्भावनाओं आदि के बारे में बताया। इस अवसर पर फाइनेंशियल स्टडीज के प्रोफेसर मुनीश कुमार ने फिनटेक जैसी नवाचार पद्धति के अन्तर्गत  आने वाली विभिन्न प्रकार की डिजिटल सेवा प्रदान करने वाली कम्पनियों के बारे में बताया कि  ये किस तरह से नई सेवाओं को आपस में जोडती हैं और किस प्रकार पारम्परिक बैंकिंग सेवा से  भिन्न हैं। इसके अलावा अल्फा के निदेशक अखिल भारद्वाज तथा वाई स्टार्ट के निदेशक कासिफ  आलम जैसे उभरते युवा उद्यमियों ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए ’नए स्टार्टअप्स’ के बारे  में महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को परिचित कराया और भविष्य की नई व्यापारिक  संभावनाओं पर बात की।

दिल्ली  विश्वविद्यालय के एफएमएस के प्रोफेसर हर्ष वर्मा और श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीएस शर्मा ने भी सूचना और तकनीकी सम्पर्क का उपभोक्ताओं पर बढ़ता प्रभाव के बारे में बहुत रोचक, कौतूहल एवं ज्ञानवर्द्धक चर्चा की।

कार्यक्रम के दूसरे दिन द बिजनेस लाइन के वरिष्ठ संपादक शिशिर सिन्हा ने व्यापार में प्रभावकारी गवर्नेंस और कार्पोरेट गवर्नेंस की आवश्यकता पर जोर दिया। संगोष्ठी में टाइम्स ऑफ इण्डिया के बिजनेस संपादक सिद्धार्थ के. ने तीसरी दुनिया के देशों में भारत, चीन जैसे  देशों की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था एवं उनके भविष्य पर प्रकाश डाला। व्यापार क्षेत्र में कानून और शासन की अनिवार्यता के बारे में चर्चा करते हुए अप्रत्यक्ष कर एवं जीएसटी मामलों के विशिष्ट जानकार करण पण्डित ने वित्तीय नियमितता, सुरक्षा, शान्ति, जीवन की गुणवता आदि  में कानून की जरूरत पर बात की।

हमेशा की तरह महाविद्यालय के मेंटर और गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन संजय मिश्रा ने व्यापार और व्यापारिक शिक्षा के सामाजिक सरोकारों पर चर्चा करते हुए व्यापार को समाज-हित में किस तरह से इस्तेमाल किया जाए, इस पर रोशनी डाली। इसके बाद वाणिज्य विभाग के एसो. प्रोफेसर तथा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विपिन कुमार अग्रवाल ने इस विषय की व्यापकता एवं अनिवार्यता पर प्रकाश डालते हुए सभा को संबोधित किया।

समापन सत्र में इण्डिया टूडे के सम्पादक अंशुमन तिवारी, रवि सिंघानिया और दैनिक जागरण परिवार के हरीकिशन शर्मा ने विशेषज्ञता पूर्ण चर्चा करते हुए भारत की उभरती अर्थव्यवस्था पर विस्तृत वक्तव्य दिया। इस अवसर पर देश के विभिन्न प्रान्तों से आए शोधार्थियों ने अपना-अपना शोध पत्र वाचन किया।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

Be the first to comment on "व्यापार की अनिवार्य रणनीति और विभिन्न उभरते आयामों पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*