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डीयू के कुलपति को एसी मेंबर ने एडहॉक शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति के लिए लिखा पत्र

दिल्ली विश्वविद्यालय विद्वत परिषद् (एसी) के सदस्य प्रो. हंसराज सुमन ने डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश कुमार त्यागी को संबोधित करते हुए शिक्षकों की 20 जुलाई को 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर पर पुनर्नियुक्ति करने के संदर्भ में एक खुला पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने 5 मार्च 2018 के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सर्कुलर (जिसमें विभाग आधारित रोस्टर बनाने का निर्देश दिया गया था) के विरोध में कहा है कि कॉलेज खुलने के पहले ही दिन 20 जुलाई को एडहॉक शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति की जाए। उन्होंने मांग की है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में केस विचाराधीन है तब तक किसी भी शिक्षक को उसके पद से न हटाया जाए। साथ ही उन्होंने विद्वत परिषद (एकेडेमिक काउंसिल) की मीटिंग जल्द से जल्द बुलाने की मांग की है ताकि इन विषयों पर संवाद की स्थिति बन सके और कोई समाधान निकाला जा सके।

डेढ़ हज़ार शिक्षकों की नौकरी खतरे में

यूजीसी के सर्कुलर आने के बाद से ही शिक्षक चिंतित हैं कि यदि उन्हें पुनर्नियुक्त नहीं किया गया तो उनका भविष्य संकट में पड़ जाएगा। ऐसी स्थिति में वे तनावपूर्ण स्थिति में पहुँच जाएंगे। प्रो सुमन ने पत्र में कहा है कि एडहॉक शिक्षकों को अपने-अपने कॉलेजों में फिर से 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर के आधार पर नियुक्त किया जाए। यदि कॉलेजों ने यूजीसी के सर्कुलर को लागू किया और विभागवार रोस्टर लागू किया जाता है तो डेढ़ हजार एससी, एसटी और ओबीसी कोटे के एडहॉक शिक्षक बाहर हो सकते हैं।

आखिर क्या है मामला

यूजीसी ने 5 मार्च 2018 को 958 सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी, स्टेट यूनिवर्सिटी और डीम्ड यूनिवर्सिटी के अलावा यूजीसी से ग्रांट लेने वाले संस्थानों को सर्कुलर जारी कर कहा था कि कॉलेज/यूनिवर्सिटी विभाग स्तर पर रोस्टर बनाएं। इसके बाद यूजीसी ने एक पत्र 20 अप्रैल को भेजा जिसमें यूजीसी गाइड लाइन 2006 को लागू करते हुए 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर लागू करने के लिए कहा गया।

डीयू के कई कॉलेज ने यह नियम लागू करते हुए विज्ञापन भी जारी किए थे। यदि विभाग स्तर पर सब्जेक्ट वाइज रोस्टर लागू किया जाता है तो एससी, एसटी और ओबीसी कोटे के 1500 पदों के घटने की स्थिति बन रही है।

13 महीने हो गए, कुलपति ने नहीं की कोई कार्रवाई

वाइस चांसलर को लिखे पत्र में उन्होंने बताया कि पिछली बैठक में कुलपति ने शिक्षकों के सभी स्थगित मुद्दों का निपटारा करने का आश्वासन दिया था, किंतु उसमें अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है। कुछ लंबे समय से स्थगित मुद्दें जिसमें शिक्षकों का रेगुलाइजेशन, पास्ट सर्विस को काउंट करना, प्रमोशन के लिए बैठकें बुलाना, (नियुक्ति और पदोन्नति के लिए पैनल बनाना) पेंशन ग्रांट क्लियर करना आदि मुद्दे जिन्हें आसानी से सुलझाया जा सकता था, उनमें भी कोई प्रगति नहीं हुई है। उनका कहना है, “सारे मुद्दें वैसे ही है बल्कि अन्य मुद्दे जुड़ते जा रहे हैं।

उनका आरोप है कि योगेश कुमार त्यागी को कुलपति बने हुए 28 महीने हो चुके हैं, पर अभी तक इनमें से एक भी मसले पर काम नहीं किया गया। इस संदर्भ में शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित रिपोर्ट भी तैयार करके दी गई थी, लेकिन, एक कॉलेज में नियुक्ति के बाद यह प्रक्रिया रोक दी गई, नहीं तो अब तक 4500 शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती।

कॉलेज कराने लगे एडहॉक शिक्षकों का इंटरव्यू

प्रो सुमन का कहना है कि रोस्टर के नाम पर कुछ कॉलेजों जैसे मिरांडा हाउस, आईपी कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, गार्गी कॉलेज, लक्ष्मीबाई कॉलेज आदि ने बिना किसी आरक्षण सीटों का ब्यौरा दिए सभी विभागों में एडहॉक शिक्षकों का इंटरव्यू लेना प्रारम्भ कर दिया है। उनका कहना है कि डीयू में उन सभी शिक्षकों को ज्वाइन कराया जाता है जो पहले दूसरे समेस्टर में पढ़ा रहे थे लेकिन, इस बार नियमों को ख़ारिज कर फिर से इंटरव्यू लिए जा रहे हैं।

डीयू ने नहीं बनाई गाइडलाइन

कॉलेजों में रोस्टर कैसे लागू हो, इसके लिए डीयू ने इस पर कोई वर्कशॉप नहीं बुलाई और न ही लायजन ऑफिसर को बुलाकर रोस्टर बनाने की गाइड लाइन दी गई है। उन्हें जबरदस्ती यह कहा जा रहा है कि विभाग आधारित रोस्टर बनाकर दिया जाये, कैसे बनेगा, कहां से, एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण किस तिथि से कुछ नहीं बताया जा रहा है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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