-अंकित कुंवर
पाकिस्तान में नई सरकार बनने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को लेकर द्विपक्षीय वार्तालाप की शुरुआत हो चुकी है। यह कोई नई बात नहीं है क्योंकि सिंधु जल संधि दोनों देशों के मध्य एक विवादस्पद मसला रहा है। वहीं इस मसले को लेकर दोनों देश कई बार आपसी बैठक कर चुके हैं। पाकिस्तान की इमरान सरकार ने अपनी पहली आधिकारिक वार्ता के रूप में सिंधु जल संधि को प्राथमिकता दी है। पाकिस्तान की इमरान सरकार इस तथ्य से वाकिफ़ है कि सिंधु जल संधि उनके मुल्क के लिए अहम है क्योंकि इस संधि के तहत भारत सिंधु बेसिन में स्थित छ : नदियों का 80 फीसद जल पाकिस्तान को मुहैया कराता है। वहीं, भारत को सिंधु जल संधि के अनुसार केवल 20 फीसद पानी को रोकने का अधिकार है।
गौरतलब है कि सिंधु जल संधि की नींव सन् 1960 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा रखी गई थी। इस संधि के नियमानुसार पश्चिम हिस्से की नदियाँ सिंधु, चिनाब और झेलम के जल का भारत सीमित इस्तेमाल कर सकता है। सिंधु जल संधि पर प्राथमिकता दिखाते हुए भारतीय जल आयोग का एक प्रतिनिधिमंडल सिंधु जल संधि के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत करने के लिए पाकिस्तान पहुंचा है। यहां एक बात विचारणीय है कि पाकिस्तान की इमरान सरकार ने कश्मीर मसले पर बातचीत करने के बजाय सिंधु जल संधि पर भारत से वार्तालाप करना उचित समझा है। इससे प्रतीत होता है कि पाकिस्तान के लिए सिंधु जल संधि कितना अहम मसला है। पाकिस्तान सिंधु नदी के जल का उपयोग बिजली उत्पादन और खेती के लिए करता है।
पिछले वर्ष सिंधु जल संधि की बैठक में भारत ने सीधे तौर पर पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा था कि ‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते’ अर्थात् पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे अमानवीय कृत्यों को भारत कभी भी पनाह नहीं देगा। यथास्थिति अनुसार पाकिस्तान के लिए इस नदी का महत्व अधिक है। यदि भारत चाहे तो सिंधु जल संधि पर कड़ा रूख अपनाते हुए पाकिस्तान को करारा सबक सिखा सकता है किंतु इस मसले पर भारत का कड़ा रूख अपनाना अंतराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों के मध्य भारत की छवि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यहां उचित तो यही है कि इस मसले पर दोनों देश वार्तालाप के जरिये शांतिपूर्ण तरीके से आपसी सहयोग को बढ़ावा दें और साथ ही पाकिस्तान की इमरान सरकार अपने नये कार्यकाल में पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे अमानवीय कृत्यों पर लगाम लगाए तभी भारत और पाकिस्तान के मध्य संबंधो की नयी कड़ी विकसित हो पाएगी।
(अंकित कुंवर स्वतंत्र लेखक हैं एवं हाल ही में इनकी पहली पुस्तक नज़रिया एक युवा सोच प्रकाशित हुई है)
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