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डीयूः पोस्ट एडहॉक की निकाली भर रहे गेस्ट फैकल्टी के रूप में, ये हेराफेरी क्यों?

भीमराव आंबेडकर कॉलेज ने पोस्ट तदर्थ शिक्षक की निकाली लेकिन कॉलेज अतिथि शिक्षक को लगा रहा है। यूजीसी नियमों की सरेआम अवहेलना की जा रही है।

एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम ने दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध भीमराव आंबेडकर कॉलेज के हिंदी विभाग में एससी, एसटी और ओबीसी शिक्षकों को तदर्थ शिक्षक (एडहॉक टीचर्स) के साक्षात्कार लेने के बाद उन्हें अतिथि शिक्षक (गेस्ट टीचर्स) लगाने की शिकायत करते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग, एससी, एसटी के कल्याणार्थ संसदीय समिति और यूजीसी चेयरमैन को पत्र लिखा है। पत्र में मांग की है कि कॉलेज द्वारा आरक्षित सीटों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील करने पर उचित कार्यवाही की जाए साथ ही कॉलेज के रोस्टर को मंगवाकर जांच कराई जाये।

टीचर्स फोरम के महासचिव प्रो. केपी सिंह यादव ने यूजीसी, संसदीय समिति और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को लिखे पत्र में बताया है कि भीमराव आंबेडकर कॉलेज के हिंदी विभाग व पत्रकारिता विभाग ने फरवरी माह में अपने यहाँ एडहॉक टीचर्स के पदों का विज्ञापन निकाला था। इन पदों के लिए कॉलेज ने 4 फरवरी को बाकायदा साक्षात्कार लिया और इंटरव्यू के बाद चयन समिति ने चयनित उम्मीदवारों को दो दिन बाद फोन पर ज्वाइनिंग करने के लिए कहा गया। अगले दिन जब ज्वाइनिंग करने गए तो उन्हें गेस्ट टीचर्स का टाइम टेबल दे दिया गया, जब शिक्षकों ने इस संदर्भ में पूछा तो उन्हें कोई जवाब नहीं दिया।

प्रो. सिंह ने बताया है कि जब भी कॉलेज में एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के पद रोस्टर में आते हैं कॉलेज जानबूझकर उन्हें या तो समाप्त कर देता है  या उसके स्थान पर गेस्ट टीचर्स में पदों को तब्दील कर देते है। उन्होंने कॉलेजों द्वारा एडहॉक टीचर्स के पदों को समाप्त कर उन्हें गेस्ट फैकल्टी में तब्दील करने की कड़ी आलोचना की है और कहा है कि हाल ही में जारी किए गए गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति को लेकर यूजीसी सर्कुलर की सरेआम अवेहलना की गई है। इतना ही नहीं दिल्ली विश्वविद्यालय ने गेस्ट फैकल्टी के नियमों को एसी/ईसी में बिना पास किए अपने से लागू कर दिया है। उनका कहना है कि और न ही डीयू प्रशासन की ओर से कॉलेज को कोई ऐसा सर्कुलर जारी किया गया है जिस पर यूजीसी के सर्कुलर को मानते हुए एडहॉक के स्थान पर  गेस्ट टीचर्स को रखा जाए। कॉलेज प्रशासन नहीं चाहता कि यहां पर एससी, एसटी और ओबीसी के शिक्षकों की नियुक्ति एडहॉक टीचर्स पर हो।उनका कहना है कि कॉलेज प्रबंध समिति के चेयरमैन ने इन पदों पर एडहॉक पदों को भरने की संस्तुति दी थी उसके बावजूद प्रिंसिपल ने अपनी मनमानी व अनैतिक तरीके से इन पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील कर दिया।

प्रो. यादव  ने आगे बताया है कि भीमराव आंबेडकर कॉलेज ने अपने यहां एडहॉक टीचर्स के पदों का जो विज्ञापन निकाला है उस विज्ञापन के अनुसार हिंदी-4 (एससी-2, एसटी-1, ओबीसी-1) पद के अलावा 1 पद गेस्ट टीचर के लिए था। इसी तरह से साइकोलॉजी विभाग में  एसटी-1 और 5 पदों पर गेस्ट टीचर्स का विज्ञापन निकाला गया था। उन्होंने बताया है कि राजनीति विज्ञान विभाग में भी 1 पद ओबीसी, 1 पद एससी और 1 गेस्ट टीचर के पदों का विज्ञापन निकाला था पर कॉलेज ने साक्षात्कार एडहॉक टीचर्स का लिया, लेकिन उसके बाद इन पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील कर दिया गया।

जिन टीचर्स को लगाया गया है उन्होंने बताया है कि जिन पदों पर एडहॉक का इंटरव्यू हुआ था लेकिन, जब अपॉइंटमेंट्स लेटर की बात आई तो उन्हें गेस्ट टीचर्स का टाइम टेबल दे दिया गया। वे लगभग एक माह से पढ़ा रहे हैं।

ओबीसी कोटे के शिक्षक को आज तक ज्वाइनिंग नहीं दी

प्रो. यादव ने बताया है कि पिछले एक महीने से अधिक इंटरव्यू लिए हो गया है लेकिन, ओबीसी पद पर जिस उम्मीदवार का चयन हुआ है उसे कॉलेज ने आज तक न तो फोन किया और न ही किसी तरह का पत्र ही लिखा। उनका कहना है कि जब सारे पदों पर ज्वाइनिंग हो चुकी है तो उसे भी क्यों नहीं ज्वाइनिंग कराया गया ?

उनका यह भी कहना है कि कॉलेज सरेआम यूजीसी नियमों की अवहेलना करते हुए एडहॉक टीचर्स के स्थान पर गेस्ट टीचर्स को रख रहे हैं। यूजीसी ने नियुक्ति संबंधी जो नियम बनाए थे उन्हें दरकिनार करते हुए पुराने नियमों के आधार पर गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति की जा रही है। जबकि नए नियमों के अनुसार गेस्ट टीचर्स को लगाया जाना चाहिए। यूजीसी ने पिछले दिनों इनका मानदेय भी 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये तक किया है।

यूजीसी ने गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति के लिए बनाए नये नियमों की सरेआम अवहेलना

प्रो. यादव ने  बताया है कि गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति विभाग/कॉलेजों में स्वीकृत पदों के आधार पर की जाएगी, हालांकि विश्वविद्यालयों में जहां स्वीकृत पद शैक्षिक वर्कलोड को ध्यान में रखते हुए अपर्याप्त हैं वहां गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति स्वीकृत पदों के 20 फीसद या उससे अधिक हो सकती है। साथ ही गेस्ट टीचर्स की योग्यता का निर्धारण विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में यूजीसी के अनुसार नियुक्ति नियमित शिक्षकों के बराबर ही होगी। उनका कहना है कि नए नियमों को अभी तक एसी/ईसी में पारित नहीं किया गया है। पुराने नियमों के आधार पर ही कॉलेज गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति कर रहे हैं। प्रो.यादव ने यह भी बताया है कि गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति की प्रक्रिया उसी तरह होगी जिस प्रकार से नियमित असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों के लिए होती है जबकि नियुक्तियों के लिए निर्मित सलेक्शन कमेटी बैठेगी लेकिन, उसकी सरेआम अवहेलना हो रही है। कॉलेज यूजीसी नियमों को दरकिनार करते हुए गेस्ट टीचर्स लगा रहे हैं।

इन उम्मीदवारों का चयन हुआ है

प्रो. यादव ने यूजीसी व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को पत्र में बताया है कि चयन समिति ने जिन उम्मीदवारों का चयन किया है उसमें एससी उम्मीदवार-1.डॉ.समला 2. कपिलदेव कुमार पासवान, एसटी- बलराम मीणा, ओबीसी- राज कुमार यादव के अलावा पत्रकारिता विभाग में गेस्ट टीचर्स के रूप में डॉ. सुभाष गौतम का किया है जबकि इस विभाग में लंबे समय से एससी, एसटी और ओबीसी कोटे की सीटें खाली पड़ी हैं। उनका कहना है कि ओबीसी कोटे के उम्मीदवार राजकुमार यादव को कॉलेज ने आज तक क्यों नहीं ज्वाइनिंग दी? क्या वे इस पद पर किसी अन्य की नियुक्ति करना चाहते हैं। उन्होंने इसकी पूरी जांच आयोग के किसी अधिकारी से कराने की मांग की है।

प्रो. यादव ने बताया है कि भीमराव आंबेडकर कॉलेज दिल्ली सरकार के अंतर्गत आता है इसकी प्रबंध समिति का कार्यकाल 7 मार्च को पूरा हो जाने से प्राचार्य और कॉलेज प्रशासन नहीं चाहते कि एससी, एसटी और ओबीसी पदों को भरा जाए वे इन पदों को गेस्ट टीचर्स से ही काम चलाना चाहते हैं।

उनका कहना है कि वे गेस्ट टीचर्स की नियुक्तियों के खिलाफ नहीं है लेकिन, जिस कॉलेज/विभाग में जहां एडहॉक टीचर्स की पोस्ट बन रही है उसके स्थान पर दो गेस्ट फैकल्टी में तब्दील कर जिस तरह से पदों की कमी की जा रही है इससे लगता है आने वाले समय में एडहॉक पोस्टों को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा और गेस्ट टीचर्स को ही रखा जाएगा जो प्राचार्य व डीयू सिस्टम के लिए बेहतर साबित होगा। प्रशासन नहीं चाहता कि कोई एडहॉक टीचर्स लगे।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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