हाल ही में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े (ईडब्ल्यूएस) अभ्यर्थियों के लिए 10 फीसद आरक्षण लागू किए जाने से देशभर के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आगामी शैक्षिक सत्र में शिक्षकों की 4 हजार से अधिक पदों की बढ़ोतरी होगी। अकेले दिल्ली विश्वविद्यालय में लगभग 3 हजार नये पद सृजित होंगे। ईडब्ल्यूएस के तहत आने वाले अभ्यर्थियों में सरकार के इस फैसले को लेकर खुशी का माहौल है।
दिल्ली विश्वविद्यालय विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्वीकृत 17,092 शैक्षिक पदों में से 11,486 पदों को भरा गया है। इसमें 5606 पद पिछले कई वर्षों से खाली हैं। अब जब सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े अभ्यर्थियों को 10 फीसद आरक्षण देने से इन विश्वविद्यालयों में 4273 सीटों का इजाफा होगा। ये सीटें विश्वविद्यालयों के विभागों में बढ़ेंगी, इन विश्वविद्यालयों के अंतर्गत सम्बद्ध कॉलेजों में सीटों का इजाफा रोस्टर के हिसाब से किया जायेगा।
प्रो. सुमन ने बताया है कि देश का सबसे बड़ा केंद्रीय विश्वविद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय में आगामी शैक्षिक सत्र से जहां विभागों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर के 1706 स्वीकृत पद है, ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू होने के बाद 427 सीटें बढ़ जायेगी। इसी तरह से डीयू से सम्बद्ध कॉलेजों में 10 हजार से अधिक शिक्षक हैं, ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू होने पर इन कॉलेजों में 2500 सीटों की बढ़ोतरी होने की सम्भावना है। उन्होंने बताया है कि वर्तमान में लगभग 5000 शिक्षक तदर्थ रूप में कार्य कर रहे हैं। पिछले एक दशक से शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति के ना होने से प्रति वर्ष तदर्थ शिक्षकों की संख्या बढ़ती जा रही है।
प्रो. सुमन ने आगे बताया है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की सीटों को जल्द से जल्द भरने के लिए एमएचआरडी/यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को सर्कुलर जारी कर रोस्टर रिकास्ट कर पदों को भरने के निर्देश दिए हैं। यदि सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय अपना रोस्टर रिकास्ट करके लायजन ऑफिसर से रोस्टर पास करा लेते हैं तो इन पदों को आगामी शैक्षिक सत्र से पहले विज्ञापित कर भरा जा सकता है।
40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में जहां सीटें बढ़ेंगी उन विश्वविद्यालयों के नाम इस प्रकार हैं
यूनिवर्सिटी/सीटें सीटों का इजाफा
दिल्ली विश्वविद्यालय-1706 427
जेएनयू-892 223
बीएचयू-1930 483
इलाहाबाद-852 213
जामिया मिल्लिया-827 207
हैदराबाद विश्वविद्यालय-572 143
गुरुघासीदास विवि-435 109
हरिसिंह गौर विवि-345 86
मणिपुर यूनिवर्सिटी-347 87
नार्थ ईस्ट हिल विवि-445 111
पांडिचेरी यूनिवर्सिटी-489 122
हेमवतीनंदन बहुगुणा विवि-468 117
इंदिरा गांधी ट्राइबल विवि-236 59
केंद्रीय विवि हरियाणा-225 56
आसाम यूनिवर्सिटी-432 108
तेजपुर यूनिवर्सिटी-283 71
नागालैंड यूनिवर्सिटी-253 63
त्रिपुरा यूनिवर्सिटी-278 70
मौलाना आजाद उर्दू विवि-397 99
उनका कहना है कि इस तरह से यदि रोस्टर रिकास्ट हो जाता है तो आगामी शैक्षिक सत्र में कुल 4273 सीटों का इजाफा होगा, विश्वविद्यालय पहले चरण में इतनी सीटें नहीं भर पाते हैं तो कम से कम 2 हजार सीटों के विज्ञापन निकाले जाते हैं तो कुछ शिक्षकों को बेरोजगारी से मुक्ति मिलेगी और यह तभी सम्भव है जब विश्वविद्यालय रोस्टर बनाकर उसे जल्द पास कर पदों को विज्ञापित कराने में सहायता देंगे अन्यथा सामान्य वर्ग के पिछड़े वर्गों को दिया जाने वाले 10 फीसदी आरक्षण केवल दिखावा साबित होगा।
प्रो. सुमन ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े (ईडब्ल्यूएस) को दिए गए 10 फीसद आरक्षण को लागू करते समय एससी, एसटी, ओबीसी व पीडब्ल्यूडी के अभ्यर्थियों का भी ख्याल रखा जाए ताकि उनके आरक्षण को भी साथ-साथ भरा जाये। उनका कहना है कि 2007 में लागू हुए ओबीसी आरक्षण आज तक विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में 10 फीसदी कोटा पूरा नहीं हुआ है। अभी तक पहले चरण में कॉलेजों को आवंटित ओबीसी कोटे की 27 फीसद सीटों को भरा नहीं है। उन्होंने संदेह व्यक्त किया है कि जिस प्रकार से ओबीसी आरक्षण पूरी तरह से विश्वविद्यालयों में लागू नहीं हुआ है, वहीं हश्र 10 फीसद ईडब्ल्यूएस आरक्षण का ना हो? उन्होंने आगामी शैक्षिक सत्र से पहले इन पदों को भरने की कोशिश हो।
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