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डीयू में 10 फीसद आरक्षण को लेकर खतरे में है सैकड़ों एडहॉक शिक्षकों की नौकरी

रोस्टर को लेकर तीन सप्ताह से प्राचार्यों की लग रही है क्लास, कॉलेजों में रोस्टर रिकास्ट को लेकर अफरा-तफरी का माहौल

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में पिछले तीन सप्ताह से कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती के लिए बनाये जाने वाले रोस्टर को लेकर अफरा-तफरी मची हुई है। डीयू प्रशासन प्राचार्य व कॉलेज लायजन ऑफिसर को बुलाकर मौखिक रूप से जानकारी तो दे रहे हैं लेकिन, उन्हें लिखित में कुछ नहीं दिया जा रहा कि रोस्टर रिकास्ट कैसे होगा। वह अपना पल्ला झाड़कर उनके माथे मढ़ रहे हैं कि जल्द से जल्द रोस्टर रिकास्ट करके लाओ। अब लायजन ऑफिसर यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि रोस्टर रिकास्ट किस तिथि से बनाए? इस मुद्दे पर प्राचार्य भी चुप हैं, कुछ बता पाने में सक्षम नहीं हैं। उन्हें जैसा कहा गया है उसी आदेश का पालन कर रहे हैं।

डीयू में उप कुलसचिव (भर्ती) ने विभागों और कॉलेजों के प्राचार्यों को 28 मार्च 2019 को सर्कुलर जारी करते हुए रोस्टर रजिस्टर तैयार करने को कहा है। यह रोस्टर 200 पॉइंट पोस्ट बेस्ड रोस्टर रजिस्टर के अंतर्गत ही सामान्य रूप से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को 10 फीसद आरक्षण (ईडब्ल्यूएस) पदों को दर्शाया गया है, लेकिन कॉलेज प्राचार्यों की ओर से विभागवार रोस्टर बनाया जा रहा है, जिसमे 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो चुके शिक्षकों को इसमें नहीं जोड़ने के लिए लायजन ऑफिसर को कहा गया है।

कॉलेज लायजन ऑफिसर प्राचार्यों से रोस्टर रिकास्ट संबंधित कार्यालय ज्ञापन/सर्कुलर मांग रहे हैं, मगर प्राचार्यों का कहना है कि डीयू प्रशासन ने उन्हें मौखिक रूप से बताया है लिखित कुछ नहीं दिया। उन्हें 1 फरवरी  2019 से इसे लागू मानने का आदेश दिया गया है।

डीयू विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि 7 मार्च 2019 को आरक्षण पर आए अध्यादेश के कारण 13 पॉइंट रोस्टर के स्थान पर (विभागवार) 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर (कॉलेज को एक यूनिट मानकर रोस्टर) रिकास्ट करना था लेकिन, दिल्ली विश्वविद्यालय ने तीन सप्ताह तक रोस्टर को लेकर किसी तरह का कॉलेजों से पत्र व्यवहार नहीं किया। उनका कहना है कि जैसे ही सामान्य वर्गों के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग का 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने का फरमान (सर्कुलर ) एमएचआरडी/यूजीसी से आता है डीयू प्रशासन 28 मार्च को सर्कुलर जारी कर रोस्टर रिकास्ट करने के लिए कॉलेजों को कहता है। रोस्टर कैसे रिकास्ट होगा?, किस तिथि से होगा?, एससी, एसटी, ओबीसी कोटे का बैकलॉग व शॉर्टफाल कब से देना है? कुछ नहीं बताया गया।

प्रो. सुमन ने बताया है कि कॉलेजों के लायजन ऑफिसर के फोन उनके पास आ रहे हैं। लायजन ऑफिसर का कहना है कि उन्हें रोस्टर की कॉपी दे दी गई है लेकिन, यह नहीं बताया जा रहा है कि रोस्टर रिकास्ट किस तिथि से होगा? केवल यह कहा जा रहा है कि ईडब्ल्यूएस को 10 फीसद आरक्षण 1 फरवरी 2019 से देना है। ईडब्ल्यूएस रोस्टर में दिए गए बिंदुओं में कहीं भी एससी/एसटी/ओबीसी कोटे के एडहॉक शिक्षकों के साथ छेड़छाड़ नहीं होने वाली है लेकिन, प्राचार्य रोस्टर को 2013 के निर्देशों का पालन करते हुए विभागवार रोस्टर बना रहे हैं जिससे एससी/एसटी/ओबीसी के पूरे रोस्टर को हिला दिया है। इससे आरक्षित वर्गों के एडहॉक शिक्षकों की सीटों पर असर पड़ेगा और सामान्य वर्गों की तरह उनकी पोस्ट कम हो जाएगी।

प्रो. सुमन ने यह भी  बताया है कि जो एडहॉक शिक्षक वर्तमान में सामान्य वर्गों के पदों पर नियुक्त हुए हैं यदि वे ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ लेना चाहते हैं तो ईडब्ल्यूएस में इनकम को लेकर जो प्रावधान किए गए हैं उसमें 8 लाख रुपये रखी गई है। इसमें सभी एडहॉक शिक्षक आ रहे हैं वे इस आरक्षण का लाभ नहीं ले पाएंगे।

उनका कहना है कि जिन शिक्षकों की इस शैक्षिक सत्र (2019-20) में ईडब्ल्यूएस पर नियुक्ति होगी, अगले सत्र में रिज्वाईनिंग (पुनर्नियुक्ति) के समय वे इस योग्य नहीं माने जाएंगे, क्योंकि 8 लाख से ज्यादा एडहॉक शिक्षक की सैलरी बनती है।

उनका कहना है कि सरकार सामान्य वर्गों के लिए आर्थिक रूप से पिछड़े 10 फीसद ईडब्ल्यूएस आरक्षण जनवरी में लेकर आई और एससी/एसटी/ओबीसी कोटे का अध्यादेश 7 मार्च 2019 को आया मगर कॉलेजों के प्राचार्य रोस्टर रिकास्ट करते समय जानबूझकर सेवानिवृत्त शिक्षकों को या जिनका सेवा में रहते देहांत हो गया उन्हें रोस्टर से पूरी तरह हटा दिया गया जबकि डीओपीटी के नियमों के अनुसार संस्थान/कॉलेजों में कार्य करने वाले सभी के नाम रोस्टर रजिस्टर में शामिल होंगे। कॉलेज डीओपीटी के नियमों की सरेआम अवेहलना कर रहे हैं। कॉलेज प्राचार्यों का कहना है कि उन्हें यह निर्देश डीयू प्रशासन ने दिए हैं, उन्हें लिखित में रोस्टर संबंधित कुछ नहीं दिया।

प्रो. सुमन ने बताया है कि हाल ही में कॉलेजों द्वारा भेजे जा रहे रोस्टर रजिस्टर में कई तरह की विसंगतियां हैं, जहां एससी/एसटी/ओबीसी कोटे के बिंदुओं को छेड़ना नहीं था उसे हिलाकर आरक्षित श्रेणी के पदों को भी कम कर दिया गया है जबकि ईडब्ल्यूएस के 10 फीसद पदों के बढ़ने से अन्य पद बढ़ने चाहिए थे ना कि घटने? पता चला है कि कुछ कॉलेजों ने आरक्षित श्रेणी के पदों को घटा दिया है या किसी विभाग में कई पद एक ही वर्गों के दे दिए गए हैं इससे सारा रोस्टर रजिस्टर हिल गया।

10 फीसदी आरक्षण (ईडब्ल्यूएस)से एडहॉक शिक्षकों के लिए नया खतरा

सामान्य वर्गों में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को 10 फीसद आरक्षण दिए जाने से जो मॉडल रोस्टर कॉलेजों को डीयू प्रशासन ने भेजा है उसमें- 10, 21,31, 43, 50, 62, 70, 83, 90, 98, 110, 122, 131, 142, 150, 164, 170, 181, 190, 196 पद हैं। वर्तमान में इन पदों पर सामान्य वर्गों के एडहॉक शिक्षकों की नियुक्तियां की हुई है।

उनका कहना है कि जैसे ही रोस्टर रिकास्ट होगा इन पदों पर लंबे समय से पढ़ा रहे एडहॉक शिक्षक सिस्टम से बाहर हो जाएंगे और इनके स्थान पर ईडब्ल्यूएस के नए उम्मीदवारों की नियुक्ति होंगी। इस तरह प्रत्येक कॉलेज से 6 से लेकर 8 एडहॉक शिक्षकों के लिए नया खतरा मंडरा रहा है। यह खतरा फिलहाल तो टल गया है लेकिन, जुलाई में इस खतरे से सामान्य वर्गों के एडहॉक शिक्षकों को कोई नहीं बचा पायेगा। इसमें 500 से 600 एडहॉक शिक्षकों की नौकरी जाना तय है।

प्रो. सुमन ने बताया है कि डीयू प्रशासन ने बड़ी चालाकी से ईडब्ल्यूएस रोस्टर रिकास्ट के लिए ऐसा समय चुना है जिसमें 20 मार्च को सभी एडहॉक शिक्षकों को चार महीने के लिए रिज्वाईनिंग का लेटर दिया जा चुका है। शैक्षिक सत्र 2019-20 के आरम्भ में जब जुलाई में कॉलेज खुलेंगे तब तक 10 फीसद आर्थिक रूप से सामान्य वर्गों के शिक्षकों के लिए रोस्टर बन चुका होगा, किन शिक्षकों को सिस्टम से बाहर का रास्ता दिखाया जाना है। ऐसे में कोई शिक्षक संगठन नहीं बोलेगा और जिसे इन पदों पर आना है वह प्रशासन पर जोर डालने का प्रयास करेंगे।

10 फीसद आरक्षण (ईडब्ल्यूएस) बनेगा चुनावी मुद्दा

प्रो. सुमन के अनुसार, आने वाले शैक्षिक सत्र में अगस्त 2019 में डूटा का चुनाव होना है। सामान्य वर्गों के उम्मीदवार वर्तमान में ईडब्ल्यूएस के पदों पर कार्य कर रहे हैं जब उन्हें एडहॉक शिक्षक के पदों से हटाया जाएगा तभी सभी शिक्षकों के संगठन अपनी ताल ठोकने के लिए इनके लिए खड़े हो जाएंगे और नए पद सृजित करने को कहेंगे कि इन्हें बाहर न निकाला जाये। लेकिन अब हर कॉलेज का रोस्टर रिकास्ट हो रहा है सभी राजनैतिक दलों के शिक्षक संगठनों को पता है कि कितने सामान्य वर्गों के या एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के एडहॉक शिक्षकों को बाहर किया जाएगा, सबके सब अभी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, कुछ नहीं बोलेंगे ?

प्रो. सुमन ने रोस्टर रिकास्ट की आड़ में एडहॉक शिक्षकों की बलि चढ़ाने की डीयू प्रशासन की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा है कि रोस्टर पर डीओपीटी कार्यालय के अधिकारियों, यूजीसी, एससी, एसटी संसदीय समिति, ओबीसी संसदीय समिति के उच्च अधिकारियों को जो रोस्टर पर समझ रखते हैं उन्हें बुलाकर रोस्टर पर लैक्चर/वर्कशॉप कराए ताकि किसी समुदाय का जो एडहॉक शिक्षक लगा हुआ है वह इस रोस्टर के कारण बाहर न निकाला जाये।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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