मोदी सरकार होश में आओ, बहुजनों से मत टकराओ, आरक्षण पर सरकार अध्यादेश लाओ, वरना सरकार को उखाड़ फ़ेंकाओ, मोदी सरकार….जब से आई, नौकरी, अपॉइंटमेंट्स पेंशन खाई, आरक्षण विरोधी सरकार नहीं चलेगी, हम अपना हक मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते। यही नारे 31 जनवरी को मंडी हाउस से संसद तक आक्रोश मार्च में लगाए जा रहे थे। शिक्षकों की मांग है कि वे यूजीसी/एमएचआरडी की एसएलपी खारिज होने पर आरक्षण पर अध्यादेश लाएं।
विश्वविद्यालयों में 13 प्वाइंट रोस्टर लागू होने से आरक्षण में आ रही समस्या से आक्रोशित देशभर के शिक्षकों ने अलग-अलग शहरों में रैलियां निकाली और सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। बता दें उच्च शिक्षा के संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति में 13 प्वाइंट रोस्टर का मुद्दा तब और गरमा गया जब सरकार की ओर से दायर 13 प्वांइट रोस्टर को खत्म करने की एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। तभी से डीयू, बीएचयू, जेएनयू, इलाहाबाद और लखनऊ विवि सहित अनेकों विश्वविद्यालयों में लगातार आरक्षण खत्म करने को लेकर छात्रों व शिक्षकों की ओर से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इस विरोध में अब केवल छात्र-शिक्षक ही नहीं, बल्कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भी जुड़ गए हैं औऱ इस मुद्दे पर खुलकर समर्थन दे रहे हैं। गुरुवार को मंडी हाउस से संसद तक आक्रोश मार्च में तमाम पार्टियों के नेता शामिल हुए। इनमें तेजस्वी यादव, समाजवादी सांसद धर्मेंद्र यादव, उपेंद्र कुशवाहा, आप के मनीष सिसोदिया, दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम, डी राजा, सीताराम येचुरी, मीसा भारती, प्रो. मनोज झा, अली अनवर, जय प्रकाश, जिग्नेश, चन्द्रशेखर आजाद, आदि प्रमुख रहे। सभी ने सरकार को दलित और आदिवासी विरोधी बताया और 2019 के लोकसभा चुनाव में हराने का आह्वान किया।
शिक्षक संगठनों ने यह आक्रोश मार्च मंडी हाउस से जंतर मंतर तक निकला। इमसें शिक्षक, छात्र, राजनेता के अलावा बड़ी संख्या में आम लोग शामिल हुए। इनमें राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव, मीसा भारती, आप के मनीष सिसोदिया, सांसद मनोज झा, सांसद धर्मेद्र यादव सहित तमाम नेताओं ने भीड़ को संबोधित किया। इसमें सभी ने 13 प्वाइंट रोस्टर को तत्काल हटाकर 200 प्वाइंट रोस्टर लाने की मांग किया और कहा कि सरकार इस पर अध्यादेश लाए वरना जाए। तेजस्वी यादव ने कहा कि मौजूदा सरकार दलित, आदिवासी, पिछड़ा, आरक्षण और संविधान विरोधी है। जिस तरह से 13 प्वाइंट रोस्टर लागू किया गया है उससे पता चलता है कि सरकार का मंसूबा किसी भी तरह से पिछड़े, दलित, आदिवासी समाज के लोग शिक्षक बनने से रोकना है। वह आगे न बढ़ पाएं और गुलामी करे।
उन्होंने कहा आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग के लोगों को जो आरक्षण दिया गया है हम पूर्ण रूप से उसके खिलाफ है क्योंकि एक व्यक्ति जो महीने के ₹4000 कमाता है क्या वह गरीब होता है नहीं वह गरीब नहीं है इसलिए हम इस 10 फीसद आरक्षण के खिलाफ हैं जहां पर सभी पार्टियों के नेताओं ने एक साथ मिलकर मोदी सरकार को सत्ता से उतार फेंकने की बात की।
मुद्दे को गंभीरता से उठाएंगे : सिसोदिया
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि राज्य सभा और लोक सभा में हमारे सदस्य इस मुद्दे को गंभीरता से उठाएंगे। यह लड़ाई हम लड़ेंगे। इस आंदोलन को हमारा पूरा समर्थन है।
संविधान पर हमला बर्दाश्त नहीः मीसा भारती
बिहार से आईं मीसा ने कहा कि वह संविधान पर हमला करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जनता अब समझ गई है कि यह सरकार अब दलित आदिवासी और पिछड़ों की कभी हितैषी नहीं हो सकती।
फोरम के केंद्रीय समिति के सदस्य और श्यामलाल कॉलेज में इतिहास के अस्सिटेंट प्रोफेसर जितेंद्र मीणा ने बताया कि दिल्ली में मार्च के साथ-साथ देशभर में गुरुवार को लगभग 100 जगहों पर 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम के खिलाफ धरना-प्रदर्शन हुए और इस आंदोलन का करीब 80 संगठनों ने समर्थन किया है।
आरक्षण और रोस्टर पर सरकार जब तक अध्यादेश लेकर नहीं आती, शिक्षकों का आंदोलन जारी रहेगा जब शिक्षक मंडी हाउस से पार्लियामेंट की ओर कूच करने लगे तो भारी पुलिस बल नें जबरदस्त अवरोध लगाकर पहले जनपथ कुछ समय के लिए रोका, लेकिन कुछ समय बाद शिक्षकों को जंतर मंतर के निकट लगे अवरोधक लगाकर उन्हें वहीं रोक दिया गया। इस पर डीयू विद्वत परिषद के सदस्य हंसराज सुमन कहते हैं कि रास्ते में रोकने पर शिक्षकों और पुलिस के बीच काफी झड़प भी हुई। बाद में शिक्षकों ने वहीं मंच लगाकर धरना प्रदर्शन किया और सरकार विरोधी नारेबाजी की।
उनका कहना है कि 5 मार्च के आरक्षण विरोधी सर्कुलर के बाद यूजीसी/एमएचआरडी सुप्रीम कोर्ट गई। सरकार कोर्ट के समक्ष आरक्षण और रोस्टर पर अपना पक्ष सही से नहीं रख पाई जिससे कोर्ट ने एसएलपी को खारिज कर दिया। यदि कोर्ट का निर्णय लागू हुआ तो 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर पर लगे शिक्षक इस सिस्टम से बाहर कर दिए जाएंगे।
पूर्व सांसद श्री सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार आरक्षण में बदलाव कर रही हैं इसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे, हमने पहले भी इस तरह के सर्कुलर का विरोध किया है। संसद के अंदर और बाहर हमारी पार्टी आरक्षण के समर्थन में साथ है।
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने कहा कि उनका संगठन आपके मुद्दे के साथ है। उन्होंने कहा कि यह सरकार धीरे धीरे आरक्षण को समाप्त कर रही हैं लेकिन हम मजबूती से देशभर में भीम आर्मी के सिपाही इसका जवाब देंगे। उन्होंने आश्वासन दिया है कि उनका संगठन सदैव साथ है।
एमडीयू टीचर्स एसो. सचिव डॉ. हरिओम दहिया ने विभागवार रोस्टर से उच्च शिक्षा में दलित, पिछड़े वर्गों के अभ्यर्थियों को आने से रोकना है।
हरियाणा से आए प्रो. मनोज कुमार संधु ने बताया कि हरियाणा में कुछ समय पहले ही एसो. प्रोफेसर व प्रोफेसर में आरक्षण लागू हुआ था। पहले विश्वविद्यालय को एक यूनिट मानकर वरिष्ठता के आधार पर रोस्टर बनाया जाता था लेकिन, अब रोस्टर डिपार्टमेंट और सब्जेक्ट वाइज बनेंगे, जिससे एससी की सीटें कम हो जाएगी।
इलाहाबाद से आईं डॉ. नेहा ने अपने संबोधन में कहा कि जब से विभागवार रोस्टर की चर्चा हुई इससे एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के उम्मीदवारों में खलबली मची हुई है, उनका कहना कि हमें उच्च शिक्षा से वंचित किया जाना ही सरकार की मंशा है।
फोरम के उपाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार ने कहा कि यह सर्कुलर पूरी तरह से आरक्षण विरोधी तो है ही साथ ही दलित, पिछड़े वर्गों को उच्च शिक्षा से वंचित करने वाला भी है।
मंडी हाउस से संसद कूच में दिल्ली विश्वविद्यालय हरियाणा स्टेट के अलावा दिल्ली एनसीआर के कॉलेजों में कार्यरत आरक्षित वर्ग के शिक्षकों ने इसमें भाग लिया।
ज्ञापन भी सौंपा
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को दिए गए ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि विभागवार रोस्टर कालेज या विश्वविद्यालय के आधार पर न बनाकर विभागों/ विषयों के आधार पर बनाया जाएगा.ऐसा करने से इन वर्गों के लिए नियुक्तियों और पदोन्नतियों के दरवाजे बंद हो जाएंगे।
इस प्रदर्शन में जंतर मंतर पर डूटा अध्यक्ष डॉ. राजीव रे, पूर्व डूटा अध्यक्ष डॉ. आदित्य नारायण मिश्र, पंजाब से प्रवीण कुमार, मेरठ से सतीश कुमार, डॉ. हरिओम दहिया, डॉ. मनोज कुमार संधु डॉ राजेश पासवान, अजमेर सिंह काजल, प्रो. हेमलता महेश्वर, डॉ. मुकेश मिरोटा, डॉ. सुधांशु कुमार, डॉ. आलोक पांडेय, डॉ. आभा देव हबीब, डॉ. नंदिता नारायण, डॉ. राजकुमार, डॉ. सुरेश कुमार, डॉ. संदीप कुमार, डॉ. लक्ष्मण यादव, डॉ. ज्ञानप्रकाश, डॉ. संतोष कुमार आदि हजारों ने रैली प्रदर्शन में भाग लिया।
विभागवार रोस्टर के विरोध में बीएचयू के मुख्य द्वार से मिनी पीएमओ रविंद्रपुरी तक आक्रोश मार्च का आयोजन किया गया। आयोजन बनारस में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय व महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के साथ विभिन्न सम्बद्ध महाविद्यालयों के शिक्षकों व नागरिक समाज के विभिन्न संगठनों के संयुक्त प्रयास किया गया।
13प्वाइंट रोस्टर के विरोध मे तथा ओबीसी, एससी और एसटी के लोगों को उनकी जनसंख्या के अनुपात मे प्रतिनिधित्व दिलाने के लिये आज बीएचयू के बहुजन छात्र-छात्राओ तथा शिक्षकों ने लंका गेट से पीएमओ कार्यालय तक आक्रोश मार्च निकाला, जिसमें बीएचयू व बनारस के अनेक साथी मौजूद रहे। बीएचयू के बहुजन चिन्तक तथा शिक्षकगण प्रो. चौथीराम यादव, प्रो. एम पी अहिरवार, प्रो. नागेंद्र कुमार, डॉ. अमरनाथ पासवान, डॉ. प्रतिमा गौड़ व डॉ. मधु कुशवाहा, डॉ. प्रमोद बांगड़े, डॉ. अशोक सोनकर, डॉ. अमृता कात्यायनी ने इस आन्दोलन को संबोधित एवं नेतृत्व प्रदान किया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के रविन्द्र प्रकाश भारतीय , विजेंद्र मीणा, विश्वनाथ, विनय संघर्ष, प्रवीण यादव ने सभा को संबोधित किया। काशी विद्यापीठ से डॉ. अनिल चौधरी के साथ डॉ. रेशम लाल व कई अन्य शिक्षक मौजूद रहे और सभा को संबोधित किया। काशी विद्यापीठ के युवाओं का नेतृत्व मिथिलेश गौतम व अन्य साथियों की ओर से किया गया।
नागरिक समाज का नेतृत्व मनीष शर्मा, कुसुम वर्मा व एसपी राय ने किया और सभा को भी संबोधित किया। युवाओं का आह्वान व नारा था- ओबीसी एससी एसटी जिन्दाबाद। यूजीसी होश मे आओं! एमएचआरडी होश मे आओ! जय भीम! जय मंडल। लड़ेगे ! जीतेंगे!
संयुक्त समिति की ओर से सिटी मजिस्ट्रेट को विज्ञप्ति देकर आक्रोश सभा का समापन किया गया। साथ ही यह सुनिश्चित किया गया कि जब तक बहुजनों का प्रतिनिधित्व उनकी संख्या के आधार पर नहीं सुनिश्चित किया जाएगा। तब तक ऐसे ही आंदोलन चलते रहेंगे।
-नीरज
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