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विरोध प्रदर्शन की राजनीति पर सांसद मनोज झा का बड़ा बयान, जानिए क्या कहा ऐसा

जुबली हॉल, दिल्ली विश्वविद्यालय में समकालीन भारत में विरोध प्रदर्शन की राजनीति पर बोलने के लिए बैठे वक्ता

जुबली हॉल, दिल्ली विश्वविद्यालय में 25 अगस्त को समकालीन भारत में विरोध प्रदर्शन की राजनीति विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विषय पर वक्ता के रूप में प्रो. संजय, प्रो. मनोज झा आदि ने विरोध प्रदर्शन की राजनीति पर खुलकर बोला। बिहार विधानपरिषद सदस्य प्रो. संजय ने कहा हमें विरोध प्रदर्शन के नए तरीकों का ईजाद करना चाहिए। आज के दौर में जो प्रदर्शन कहा जाता है वह सही मायने में प्रदर्शन है ही नहीं। मॉब लिंचिंग भी कहीं से स्वागत योग्य नहीं है। वहीं, राज्य सभा सांसद मनोज झा ने कहा कि आज अगर कबीर होते और कुछ ट्वीट कर देते तो उस पर मीडिया में बहस होती और अंत में उन्हें देशद्रोही साबित कर दिया जाता। भारत विभिन्नताओं का देश है यहां जो कुछ भी होता है अगर केवल सत्ता पक्ष की ही बात कोई सुने तो उसे परेशानी होने लगेगी। किसी न किसी को विरोध में बोलना ही चाहिए।

फोरम4 से प्रदीप शाह की विशेष बातचीत में मनोज झा ने बताया कि आजकल जो महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार होते हैं। दुष्कर्म किया जाता है। इसके लिए समाज ज्यादा जिम्मेदार है सरकार नहीं। वहीं संजय पासवान ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि राहुल के बय़ान पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा कि प्रतिक्रिया कि क्या वह भारत की सुपारी ले रखे हैं इस तरह का बयान बहुत ही हल्के स्तर की है।

कार्यक्रम में प्रो. आरबी सिंह (भूगोल विभाग) ने कहा कि देश की प्रगति के लिए सवाल पूछना जरूरी है। सवाल यह उठना चाहिए कि कैसे हमारे देश में रोजगार मिले और कैसे आधारभूत संरचनाओं पर अच्छे से काम हो सके। अगर सरकार के लोग छात्रों के साथ और वंचित वर्ग के बीच आकर मिलें तो प्रदर्शन की नौबत ही नहीं आएगी। प्रो. प्रेम सिंह (हिंदी विभाग) ने कहा कि नव साम्राज्य के विरोध में जो प्रतिरोध किए जाते हैं जैसा कि पहले होता था असल मायने में वही विरोध प्रदर्शन है।

वहीं, जुबली एल्युमिनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष और अधिवक्ता संजय चड्ढा ने कहा कि सभी ने यह माना कि शांतिपूर्ण ढंग से किया गया प्रदर्शन देश के हित में है क्योंकि प्रदर्शन और आंदोलन देश में नए माहौल पैदा करते हैं। कुछ सकारात्मक होने की शुरुआत होती है। फिर भी यह देश बना ही है विरोध प्रदर्शन से। यहां जरा से प्रदर्शन से सरकार बन जाती है। अन्ना आंदोलन के बाद ही मोदी की सरकार बनी। हां, लेकिन अगर प्रदर्शन का स्वरूप उग्र हो तो उसे सरकार को कतई बर्दाश्त नहीं करना चाहिए।

कार्यक्रम का संचालन जुबली हॉल छात्र संघ के अध्यक्ष चंदन ने किया। चंदन ने कहा कि इस तरीके की चर्चा से ही देश की प्रगति हो सकती है। आजकल कोई भी सकारात्मक बात करने को तैयार नहीं होता। यहां बातें हुई तो कुछ सामने निकल कर आया वह यह कि विरोध प्रदर्शन पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। विरोध प्रदर्शन अगर सही दिशा में हो तो उससे सभी का फायदा ही होगा। इस मौके पर कई शिक्षक, छात्रसंघ के सदस्य, कर्मचारी और छात्र उपस्थित रहे।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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