विकास
उद्योग-धंधे तो लगातार बढ़ ही रहे हैं। साथ ही अन्य कारकों की वजह से भी प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह से दिल्ली जैसे कई शहरों में तो स्मॉग का कहर भी हर साल देखने को मिलता है। पर्यावरण प्रदूषण को तो खतरा दिनोंदिन बढ़ ही रहा है, साथ ही ये जलवायु परिवर्तन का कारक भी बन रहे हैं। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से भी पर्यावरण संकट बढ़ रहा है। इसके कई बड़े-बड़े कारण तो हैं ही, लेकिन हमारी रोजाना की जिंदगी आसान करने वाली कई छोटी-छोटी चीजें भी पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचा रही हैं।
1- पेपर टॉवेल : बड़े-बड़े ऑफिस में हाथ पोंछने के लिए धड़ल्ले से पेपर टॉवेल इस्तेमाल हो रहे हैं। हालांकि यह काम पहले रूमाल ही कर दिया करते थे। एक वॉशरूम में इस्तेमाल होने वाले पेपर टॉवेल को बनाने के लिए साल भर में 176 पेड़ों को हलाल होना पड़ता है।
2- हैंड ड्रॉयर : पेपर टॉवेल के अलावा हैंड ड्रॉयर भी गीले हाथ सुखाने के लिए इस्तेमाल होते हैं। यहां भी यह काम रूमाल के जरिये हो सकता है, लेकिन हाईजीन जैसे बहानों के साथ धड़ल्ले के साथ इसका इस्तेमाल होता है। ड्रॉयर के चलने में अतिरिक्त बिजली खपत होती है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है।
3- एटीएम पेपर : एटीएम से पैसे निकालने के बाद मिलने वाली पर्ची भी पर्यावरण को हानि पहुंचाती है। हालांकि इसके लिए स्लिप न निकालने का ऑप्शन भी एटीएम में मौजूद होता है, लेकिन हड़बड़ी में या जानकारी न होने के कारण लोग स्लिप निकाल लेते हैं। एटीएम स्लिप भी पेड़ों की कटाई का कारण बनती हैं।
4- च्यूंइगम : च्यूंइगम खाने में तो बहुत मजेदार होती हैं, लेकिन खाने के बाद थूके जाने पर यह पर्यावरण प्रदूषण का कारण बन जाते हैं। दरअसल च्यूंइगम रबड़ के टायर जैसा कूड़ा बन जाती है। ये जल्दी रिसाइकिल भी नहीं होती।
5- सीएफएल : सीएफएल का इस्तेमाल भी अब हर घर में होने लगा है और इसने पुराने पीली रोशनी वाले पारंपरिक बल्ब को रिप्लेस किया है। बिजली की खपत कम करने के कारण भी यह सभी की पहली पसंद है। बावजूद सीएफएल का प्रयोग घातक है। दरअसल सीएफएल खराब होने के बाद इसे रिसाइकल करने का सही तरीका नहीं अपनाया जाता है और इसे कचरे में फेंक दिया जाता है। सीएफएल की मरकरी तालाब को मछलियों सहित जहरीला बना देती है और हवा में घुलने पर सांस के जरिये बॉडी को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
6- कार : अगर आपकी कार गहरे रंग की है तो यह ठंडी होने में अधिक वक्त लेगी। इसके लिए एसी का अधिक देर तक इस्तेमाल होगा, जो पर्यावरण के लिए घातक है।
7- स्मार्ट फोन: अगर आप रात भर अपने फोन को चार्जिंग में लगा कर यूं ही छोड़ देते हैं तो माफ कीजिए स्मार्ट फोन होते हुए भी आप बुद्धू हैं। दरअसल आम तौर पर आपका फोन 3 से 4 घंटे में चार्ज हो जाता है, लेकिन आप सोते हैं कम से कम 6 से 8 घंटे। ऐसे में चार्जर देर तक लगा रहता है और बिजली भी बरबाद होती है। फोन की क्षमता पर भी असर पड़ता है। अगर इस पर ध्यान दें तो निश्चित ही किसी न किसी रूप में पर्यावरण को सही रखने में मदद मिल सकती है।
8- जींस: जींस आज हर किसी का फैशन स्टेटमेंट बन चुकी है और लगभग हर उम्र के लोग इसे पहनना पसंद कर रहे हैं, लेकिन एक स्टाइलिश जींस बनने में कई हजार लीटर पानी खर्च हो जाता है। (एक रिसर्च के मुताबिक 10 हजार लीटर, लेकिन यह पुख्ता नहीं है) इसके अलावा जींस रंगाई वाली फैक्ट्रियों के आस-पास के भूगर्भ जल में कैंसर कारक तत्व पाए गए हैं।
Be the first to comment on "रोजाना इस्तेमाल की ये चीजें बिगाड़ रहीं पर्यावरण का मिजाज, पांचवीं चीज तो बेहद जहरीली है"