दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से संबद्ध कॉलेजों में हो रही तदर्थ (एडहॉक) और अतिथि शिक्षकों (गेस्ट टीचर्स) की नियुक्तियों में कॉलेजों के प्राचार्यों और शिक्षक इंचार्ज पर मनमानी करने का आरोप लग रहा है। नियुक्तियों के लिए कॉलेज अपनी सुविधा के अनुसार पहली से चौथी श्रेणी तक के उम्मीदवारों को बुला रहे हैं।
डीयू विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ने बताया है कि आजकल कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया में प्राचार्य और शिक्षक इंचार्ज दोनों मिलकर मनमानी कर रहे हैं। नियुक्ति से पूर्व कॉलेज प्राचार्य संबंधित विभागों से एडहॉक पैनल मंगवाता है। उन्होंने आगे बताया है कि जिस उम्मीदवार की नियुक्ति वे करना चाहते हैं उसी श्रेणी तक के उम्मीदवारों को बुलाया जाता है। जबकि विभागों में बने पैनल की सात श्रेणियां हैं। इसमें से केवल चौथी श्रेणी तक के उम्मीदवारों को ही साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। डीयू के विभागों में बने एडहॉक पैनल में 5,6 और 7 वीं श्रेणी में एससी, एसटी और ओबीसी कोटे के वे उम्मीदवार आते हैं जो या तो पीएचडी कर रहे हैं या पीएचडी कर चुके हैं। उनका कहना है कि इस श्रेणी में अधिकांश शोधार्थी कमजोर तबके से आते हैं। ऐसे उम्मीदवारों को दरकिनार करना उच्च शिक्षा में कमजोर वर्ग को विकसित करने के विरुद्ध है।
प्रो. सुमन ने आरोप लगाया कि कॉलेजों द्वारा पहले तदर्थ व अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन को दिल्ली विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर डाला जाता था, लेकिन आजकल कॉलेजों ने डीयू की वेबसाइट पर विज्ञापन डालना बंद कर दिया है। इससे विश्वविद्यालय प्रशासन को यह नहीं पता चलता कि किस कॉलेज में ऐसे शिक्षकों का नया पद सृजित हुआ है और डीयू पैनल में से किस श्रेणी तक के उम्मीदवारों को बुलाया गया है।
उन्होंने मांग की है कि ऐसे शिक्षकों की नियुक्तियों में कॉलेज प्राचार्यों की मनमानी रुके और एडहॉक पैनल में जितनी भी श्रेणियां है उन सभी उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता तो वह कॉलेज प्राचार्यों की शिकायत यूजीसी और एमएचआरडी, संसदीय समिति और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग में इनका अनुदान काटने के लिए करेंगे और वह अकादमिक मामले को देख रही स्टैंडिंग कमेटी में भी इस मुद्दे को उठाएंगे।
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