दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से संबद्ध 51 विभागों में 157 पाठ्यक्रमों में होने वाले एमफिल पाठ्यक्रमों के लिए 700 सीटों और पीएचडी के लिए 200 सीटों पर हुई प्रवेश परीक्षा में ज्यादातर छात्र इसलिए असफल रहे क्योंकि डीयू ने आरक्षित वर्गों के छात्रों को इस बार आरक्षण ही नहीं दिया। छूट न मिलने की वजह से एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के छात्रों में असंतोष व्याप्त है।
डीयू विद्वत परिषद सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि एमफिल/पीएचडी में नए नियमों के अनुसार प्रवेश परीक्षा में सभी उम्मीदवारों के लिए 50 फीसद अंक प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया है, भले ही छात्र एससी, एसटी और ओबीसी कोटे से संबंधित हों। इस प्रवेश परीक्षा में आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को आरक्षण का कोई लाभ नहीं दिया गया जबकि पहले उन्हें प्रवेश परीक्षा में 5 फीसद अंकों की छूट देकर एमफिल/पीएचडी में प्रवेश का अवसर दिया जाता था, ताकि हाशिए के छात्र भी उच्च शिक्षा में प्रवेश कर सकें। यूजीसी ने अपनी सर्विस कंडीशन के अंतर्गत किसी तरह की छूट नहीं दी है, यूजीसी के इस नकारात्मक रवैये के कारण एससी, एसटी और ओबीसी कोटे के उम्मीदवार उच्च शिक्षा से बिल्कुल वंचित कर दिए गए। हालांकि नेट/जेआरएफ प्राप्त छात्रों को इसमें प्राथमिकता देने की बात कही गई है।
वंचित वर्गों के खिलाफ बनाए जा रहे नियम
प्रो सुमन ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि यूजीसी और विश्वविद्यालय की ओर से आए दिन इस तरह से किए जा रहे बदलाव से यह जाहिर होता है कि किसी भी तरह से सरकार द्वारा चलाई जा रही उच्च शिक्षा में ऐसा किया जाए कि यह व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाए ताकि निजी विश्वविद्यालयों को उच्च शिक्षा में प्रवेश करने का मौका मिले। उनका कहना है कि निजी विश्वविद्यालयों के आने से जाहिर है कि उनकी फ़ीस संरचना अत्यधिक महंगी होगी जिसे वंचित समाज के लोग चुका पाने में असमर्थ होंगे औऱ वे मुख्यधारा के लोगों से अलग-थलग हो जाएंगे।
साक्षात्कार का किया जाएगा विरोध
प्रो सुमन का कहना है कि विभिन्न विभागों के डीन/अध्यक्ष अपने विभागों में अगस्त माह में एमफिल/पीएचडी में साक्षात्कार कराने वाले हैं। यह साक्षात्कार एससी, एसटी और ओबीसी कोटे के उम्मीदवारों को बिना 5 प्रतिशत अंकों की छूट दिए कराया जा रहा है। उनकी मांग है कि जब तक उन्हें 5 प्रतिशत अंकों की छूट नहीं दी जाती तब तक साक्षात्कार न हो। इसके लिए विभिन्न विभागों में जाकर साक्षात्कार का विरोध किया जायेगा।
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