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डीयू में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जल्द कोरिजेंडम निकाले जाने की मांग

तस्वीरः गूगल साभार

डीयू कॉलेजों में निकाले गए सहायक प्रोफेसर के पदों के विज्ञापनों की समय सीमा समाप्त हो गई है। विश्वविद्यालय को जल्द ही कोरिजेंडम निकालने चाहिए। विज्ञापनों की अवधि 21 को महीने बीत चुके हैं। कॉलेज जमा राशि से हजारों रुपये ब्याज के रूप में कमा रहे हैं। डीयू में 4500 एडहॉक टीचर्स (तदर्थ शिक्षकों) के पदों व लगभग 80 विभागों में स्थायी नियुक्ति होनी है। 45 कॉलेजों ने अपने विज्ञापन निकाले थे।

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने यूजीसी चेयरमैन और डीयू के कुलपति प्रो. योगेश कुमार त्यागी को पत्र लिखकर मांग की है कि, विभागों और कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए स्थायी नियुक्ति के जो विज्ञापन निकाले गए थे उन पदों को समय पर ना भरने के कारण विज्ञापनों की समय सीमा समाप्त हो गई है। उन्होंने मांग की है कि विश्वविद्यालय इन पदों के लिए जल्द से जल्द कोरिजेंडम निकाले क्योंकि इन विज्ञापनों को निकाले 21 महीने से अधिक समय बीत चुका है, ऐसे में सारे विज्ञापन रद्द हो गए हैं जिससे उम्मीदवारों के धन व समय की बर्बादी ना हो और उन्हें फिर से आवेदन ना करना पड़े कोरिजेंडम निकालकर कॉलेजों के प्रिंसिपलों को सर्कुलर जारी किया जाए।

उनका कहना है कि सरकार द्वारा अध्यादेश पारित किए जाने के बाद यूजीसी ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य और मानद विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिवों को सर्कुलर जारी कर स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया को शुरू किया जाये,लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय में स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया तब तक शुरू नहीं की जा सकती जब तक निकाले गए पदों के कोरिजेंडम नहीं दिया जाता।

प्रो. सुमन ने बताया है कि डीयू से सम्बद्ध कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्तियों में आवेदन करने की प्रक्रिया पहले निःशुल्क थी, लेकिन पिछले एक दशक से सहायक प्रोफेसर के पदों हेतु आवेदन करने के लिए सामान्य वर्ग एवं ओबीसी कोटे के पुरुष अभ्यर्थियों से क्रमशः 500 और 250 रुपये प्रति कॉलेज में उक्त पदों के लिए वसूला गया। उनका कहना है कि बेरोजगार शिक्षकों से नियुक्ति के नाम पर डीयू द्वारा धन उगाही करना अमानवीय है, जो कि कॉलेजों ने लाखों रुपये बेरोजगारों से कमाया।

डॉ. बन्नी सिंह ने बताया कि उन्होंने 42 कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर पद के लिए आवेदन किया था जिसकी एवज में उन्हें 21 हजार रुपये देने पड़े और आज तक किसी कॉलेज से साक्षात्कार के लिए कोई खबर नहीं आयी। इसी तरह से इतिहास के शिक्षक डॉ. राजीव कुमार ने भी अपना दर्द बयां किया।उन्होंने बताया कि 35 कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर पद के लिए आवेदन करने में लगभग 18 हजार रुपये चुकाने पड़े। इस तरह हजारों ऐसे बेरोजगार अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

प्रो. सुमन ने बताया है कि वर्ष-2017 में डीयू के विभिन्न विभागों एवं कॉलेजों में शैक्षणिक पदों के लिए 45 कॉलेजों ने अपने यहां 2047 पदों के विज्ञापन निकाले थे, इसके अलावा विभागों में सहायक प्रोफेसर-378, एसोसिएट प्रोफेसर-399, और प्रोफेसर-153 पदों का विज्ञापन निकाला गया था। आवेदन हेतु निकाले गए विज्ञापन के आधार पर 4 लाख 11 हजार आवेदन पत्र प्राप्त हुए। विश्वविद्यालय ने आवेदन पत्रों की विषयवार स्क्रुटनी और स्क्रीनिंग का कार्य पूरा करने के बाद उम्मीदवारों के अंक विभाजन कर मेरिट लिस्ट बनाई जा चुकी थी। उन्होंने बताया है कि आवेदन पत्रों की स्क्रूटनी और स्क्रीनिंग के बाद लॉ फैकल्टी में -126 शिक्षकों की नियमित नियुक्ति, शिक्षा विभाग में-16 और मैनेजमेंट आदि में स्थायी पदों के लिए साक्षात्कार हो चुके हैं जिनमें से 150 पदों पर नियुक्ति की जा चुकी है। इसके अलावा कॉलेज स्तर पर दौलतराम कॉलेज ने अपने एक विभाग में स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू किया, उसके बाद से नियुक्तियों को रोक दिया गया।

इन-इन पदों के लिए होनी थी भर्तियां

डीयू में फरवरी 2017 में विभिन्न विभागों में 830 पदों के विज्ञापन निकाले गए थे। इन पदों में आरक्षण के अनुसार निम्न पदों पर भर्तियां होनी थीं।

सहायक प्रोफेसर- कुल पद (378)

सामान्य (187), एससी (55), एसटी (29), ओबीसी (100), पीडब्ल्यूडी (07) ,

एसोसिएट प्रोफेसर

सामान्य (293), एससी (55), एसटी (33), पीडब्ल्यूडी (18), कुल पद (399) है।

प्रोफेसर- कुल पद 153

सामान्य (111), एससी(25), एसटी(10), पीडब्लूडी (07)

इसी तरह से डीयू से संबद्ध 45 कॉलेजों ने अपने यहां स्थायी पदों के विज्ञापन निकाले। इन पदों में सामान्य-992, एससी-296, एसटी-154, ओबीसी-498, पीडब्ल्यूडी-75 के पदों पर नियुक्ति के विज्ञापन निकाले गए थे लेकिन, इन विभागों के बाद कॉलेज स्तर पर साक्षात्कार की प्रक्रिया शुरू की गई थी जिनमें दौलतराम कॉलेज में एक विभाग में साक्षात्कार भी हुए, इसके बाद से किसी कॉलेज या विभाग में साक्षात्कार नहीं हो सका।

प्रो. सुमन ने कुलपति से मांग की है जल्द से जल्द नियुक्ति और पदोन्नति के लिए कमेटी बनाई जाए क्योंकि पिछले एक दशक से 4500 शिक्षकों का नियुक्ति और 3000 शिक्षकों का प्रमोशन ना होने के कारण उन्हें आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है।

साथ ही उन्होंने कुलपति से मांग की है कि जल्द से जल्द ईसी की बैठक बुलाकर सहायक प्रोफेसर के पदों की समय सीमा समाप्त होने पर कोरिजेंडम निकालकर सभी कॉलेजों को तुरंत सर्कुलर जारी कर स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाए और यह सुनिश्चित किया जाये कि उम्मीदवारों को पुनः आवेदन शुल्क का भुगतान न करना पड़े।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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