मंतव्य पत्रिका के तत्वावधान में पहला साहित्य पुरस्कार दिए जाने को लेकर एक बैठक हुई। बैठक में प्रोफेसर चौथीराम यादव, डॉ नाम देव, डॉ सूरज बड़त्या और हरे प्रकाश उपाध्याय की निर्णायक समिति ने ‘मंतव्य’ पत्रिका की ओर से दिया जाने वाला पहला ‘मंतव्य’ साहित्य पुरस्कार वरिष्ठ कवि असंगघोष को देने का निर्णय लिया है। रिदम व अलेस भी जल्द ही कवि असंगघोष पर कार्यक्रम कर उन्हें सम्मानित करेगा। रिदम के निदेशक ने यह घोषणा की है कि उनके साहित्य पर भी एक विचार गोष्ठी आयोजित की जाएगी।
समिति के सदस्य के अनुसार असंगघोष का जन्म 29 अक्टूबर, 1962 को पश्चिम मध्य् प्रदेश के कस्बा जावद के एक दलित परिवार में हुआ। उनके आठ कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं- ‘‘खामोश नही हूँ मैं’’, ‘‘हम गवाही देंगे’’, ‘‘मैं दूंगा माकूल जवाब’’, ”समय को इतिहास लिखने दो”, ”हम ही हटाएंगे कोहरा” ”ईश्व र की मौत”, ”अब मैं साँस ले रहा हूँ” तथा ”बंजर धरती के बीज”। त्रैमासिक ‘‘तीसरा पक्ष’’ के वे संपादक हैं। उन्हें मप्र दलित साहित्य अकादमी, उज्जैन द्वारा पुरस्कार (2002), ‘‘सृजनगाथा सम्मान (2013), ”गुरु घासीदास सम्मान (2016)”, ”भगवानदास हिंदी साहित्य पुरस्कार (2017)” प्राप्त हो चुके हैं।
रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर दलित आदिवासी एंड माइनॉरिटी (रिदम ) के निदेशक प्रो. हंसराज ‘सुमन ‘ ने आम्बेडकरवादी साहित्यकार असंगघोष को पहला मंतव्य साहित्य सम्मान दिए जाने पर खुशी जाहिर की है और उन्हें बधाई दी है। उन्होंने बताया है कि कवि अपनी कविताओं में मनुष्यता और वैज्ञानिकता की लौ प्रज्ज्वलित करते हुए बहुत साहस और विवेक के साथ उन तत्वों का मुखर विरोध करता है, जिन्होंने अपने छद्म, दुष्चक्र, दुर्बुद्धि और पाश्विक ताकत से न सिर्फ वर्चस्व कायम किया है बल्कि समता, न्याय और बंधुत्व के कालचक्र को भी बाधित किया है। एक बेहतर दुनिया की तलाश ही असंगघोष की कविताओं का मूल मंतव्य है।
अलेस के वरिष्ठ संयोजक डॉ सूरज बड़त्या ने असंगघोष को यह पुरस्कार दिए जाने पर कहा कि यह पुरस्कार सामाजिक न्याय और दलित साहित्य आंदोलन को आगे बढ़ाने वाला है। आंबेडकरवादी लेखक संघ अलेस के अध्यक्ष बलराज सिंहमार और महासचिव सुदेश तनवर ने संयुक्त बयान जारी करके कहा कि अलेस जल्दी ही असंगघोष कि कविताओं पर कोई कार्यक्रम करने की योजना बना रहा है। इसके लिए शनिवार को बैठक भी बुलाई गई है।
Be the first to comment on "पहला ‘मंतव्य’ साहित्य पुरस्कार वरिष्ठ कवि असंगघोष को"