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यूजीसी रेगुलेशन लागू करने को लेकर हंसराज सुमन ने डीयू के कुलपति को लिखा पत्र

तस्वीरः गूगल साभार

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने कुलपति प्रो. योगेश कुमार त्यागी को पत्र लिखकर मांग की है कि यूजीसी रेगुलेशन को लेकर बनी कमेटी ने जो सिफारिशें दी है उन्हें विद्वत परिषद व कार्यकारी परिषद में पारित कराया जाए। इसके बाद जल्द से जल्द अध्यादेश बनाकर शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति और कॉलेजों में प्रोफेसर की पदोन्नति सुनिश्चित करने का रास्ता साफ किया जाए।

कुलपति को लिखे पत्र में उन्होंने बताया है कि विश्वविद्यालय और कॉलेजों में शिक्षकों तथा अन्य अकादमिक कर्मचारियों की नियुक्ति हेतु न्यूनतम योग्यता निर्धारित करने के लिए एक सांविधिक समिति का गठन किया गया था जिसको इन रेगुलेशन के संदर्भ में लागू करने संबंधी विचार करना था। साथ ही उच्च शिक्षा में गुणवत्ता मानक निर्धारण करने हेतु भी इस समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने दिल्ली विश्वविद्यालय तथा उससे सम्बद्ध कॉलेजों में मातृत्व अवकाश के लिए तदर्थ शिक्षिकाओ के लिए चार महीने के अवकाश की सिफारिश भी की है।

विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन ‘ने यह भी जानकारी दी कि दिल्ली विश्वविद्यालय में महिला शिक्षिकाओं के मातृत्व अवकाश की सिफारिश हेतु भारत के राष्ट्रपति के कार्यालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, उपराष्ट्रपति कार्यालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय व अन्य विभागों से संबंधित संसदीय समिति दिल्ली विश्वविद्यालय में सुधार लाने और विकास करने के लिए गठित समिति केंद्रीय प्रशासनिक आयोग, जन हित याचिका (पीआईएल) तथा तमाम न्यायालय के फैसलों द्वारा तदर्थ शिक्षिकाओं के मातृत्व अवकाश की सिफारिशों के लिए सुझाव दिए जा चुके हैं।

प्रो. सुमन ने एक पत्र का हवाला देते हुए बताया है कि 17 जून 2016 के विश्वविद्यालय के पत्र, जिसमें अभी भी तदर्थ शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश प्रदान करने की प्रक्रिया को लागू करने तथा मातृत्व अवकाश प्रदान करने के संबंध में स्पष्टीकरण देने की बात कही गई है। इस संबंध में दो वर्ष बीत चुके हैं पर अभी तक इस संदर्भ में विश्वविद्यालय की तरफ से विद्वत परिषद/कार्यकारी परिषद में इस विषय को लेकर कोई चर्चा नहीं की जबकि केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय का उदाहरण ही लें तो उसमें तदर्थ महिलाओं को मातृत्व अवकाश का अधिकार प्राप्त है। यही नहीं बल्कि केंद्रीय प्रशासनिक आयोग तथा अनेक न्यायालय के फैसलों में यह स्पष्ट किया जा चुका है कि तदर्थ महिला शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश प्रदान किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि तदर्थ महिला शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश प्रदान करने और कॉलेजों में एसोसिएट प्रोफेसरों की पदोन्नति को लागू करने हेतु तत्काल विद्वत परिषद, कार्यकारी परिषद की बैठक बुलाया जाए और इन संबंधित विषयों पर चर्चा करके इन सिफारिशों को लागू कर ऑडिनेंश बनकर तुरंत लागू करे ताकि लंबित स्थायी नियुक्ति और पदोन्नति की जा सके।

प्रो. सुमन ने पत्र में दिसम्बर के अंत तक नियुक्तियों व पदोन्नति संबंधी अध्यादेश लाने की जोरदार मांग करते हुए कहा कि यदि दिसम्बर माह में अध्यादेश आ जाता है तो आने वाले वर्ष के शुरुआती महीनों में लंबे समय से रुके नियुक्ति व पदोन्नति संबंधी प्रक्रिया पूरी हो जाएंगी और आने वाला वर्ष उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में स्थायित्व लाने वाला होगा और यह उच्च शिक्षा में एक बड़ा मील का पत्थर सिद्ध होगा।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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