वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से एक बड़ा फैसला किलोग्राम की परिभाषा को बदलने का लिया। इसके अनुसार अब पेरिस में अपनाए गए प्लैटिनम अलॉय सिलिंडर (बाट) का उपयोग बंद हो जाएगा और इसकी जगह प्लांक कॉन्सटैंट ईकाई का प्रयोग यानी कि द्रव्यमान की यूनिट (इलेक्ट्रिकल फोर्स के जरिए निर्धारित होती है) होगी। ये अहम बदलाव 20 मई 2019 से वर्ल्ड मेट्रोलोजी डे पर प्रभाव में आएंगे। किलोग्राम के अतिरिक्त एम्पियर, केल्विन और मोल की भी परिभाषा बदली गई है। यह निर्णय वर्सैलिस, फ्रांस में बीआईपीएम (इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट एंड मेजर्स) की ओर से आयोजित वजन और माप पर जनरल कॉन्फ्रेंस में लिया गया।
IT’S OFFICIAL – the science community has voted! All of the SI units will be defined by fundamental constants of nature as of 20 May 2019! #SIRedefinitionhttps://t.co/U1V0TFxXLG pic.twitter.com/xpcddbAAmV
— NPL (@NPL) November 16, 2018
कैसे और कब शुरू हुई थी किलोग्राम की परिभाषा
एक किलोग्राम यानी एक हजार ग्राम। अभी तक हम यही समझते आए हैं। विभिन्न वस्तुओं का आकार अलग होता है, लेकिन वजन समान हो सकता है। मौजूदा किलोग्राम का वैश्विक पैमाना वर्ष 1889 में पेरिस में तय किया गया था।
फ्रांस में पेरिस के समीप सेंट क्लाउड शहर में ‘इंटरनेशनल प्रोटोटाइप किलोग्राम (आईपीके) नाम का प्लेटिनम इरीडियम धातु का टुकड़ा (ब्लॉक) रखा है। उसी से किलोग्राम का पैमाना तय किया गया था। यह ब्लॉक एक किलोग्राम वजन का सबसे शुद्ध रूप है, परंतु इसके वजन में अंतर आता है। इसे शुद्ध बनाए रखने के लिए कुछ दशकों में साफ करके इसे पुन: तौला जाता है। जो परिणाम आता है, वही वैश्विक तौर पर किलोग्राम का सबसे श्रेष्ठ मानक माना जाता है।
वैज्ञानिक बदलने के प्रयास में क्यों लगे थे?
आपको बता दें कि किलोग्राम का स्टैंडर्ड अब तक फ्रांस में रखे सिलेंडर आकार के एक धातु से तय होता आया है। उस धातु के वजन को एक किलोग्राम मान लिया गया और अब उसी स्टैंडर्ड के हिसाब से किलो का वजन तय है, लेकिन वैज्ञानिक इसे बदलने का प्रयास में लगे थे।
किसी वस्तु का वजन मापने के लिए हम किलो शब्द का इस्तेमाल करते हैं। सब्जी-भाजी से लेकर दूसरे सामानों तक का वजन किलो के हिसाब से तय होता आया है। पहले किलोग्राम का स्टैंडर्ड तय करने के लिए बाट का इस्तेमाल होता था, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने किलोग्राम वजन को पेरिस में रखे मिश्रित धातु के सिलेंडर (बाट) से नापने की बजाए किसी प्राकृतिक भार को नापने की ईकाई बनाया है, और ये ईकाई है ‘प्लांक कॉन्सटैंट’।
फ्रांस में रखे धातु को आखिर क्यों बदलना चाहते हैं इस पर अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी (एनआईएसटी) के जीना कुब्रायच का कहना है कि किलो के स्टैंडर्ड भार को दर्शाने के लिए जिस धातु का इस्तेमाल किया जाता है, वो गोल्फ की बॉल के बराबर ऊंचा एक सिलेंडर है, जिसे एक छोटे से कांच के बक्से में रखा गया है। उनका कहना है कि इसकी देख-रेख में काफी संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है और इसके बाद भी इनके नष्ट होने का खतरा बना रहता है। अगर ये नष्ट हो गया तो दुनिया के पास किलो के सटीक भार को दर्शाने के लिए कोई पैमाना नहीं बचेगा। इसलिए ऐसा किया जा रहा है कि इसके नष्ट होने का डर ही न हो।
एक न्यूज चैनल के मुताबिक पेरिस में रखा यह किलो धीरे-धीरे सिकुड़ रहा था। कोई यह बात सही-सही नहीं कह सकता कि ऐसा धातु के धीरे-धीरे क्षरण के चलते हो रहा है या फिर दुनिया के दूसरे बांटों पर धीरे-धीरे और चीजें (धूल वगैरह) जमा हो रहीं हैं, जिसके चलते ऐसा हो रहा है।
कुछ दिन पहले बांट में 30 माइक्रोग्राम की बढ़त देखी गई थी। हालांकि यह ग्राहकों के लिए फायदे की ही बात थी, लेकिन दुनियाभर के विज्ञान के लिए यह चिंता का सबब बन गया था। क्योंकि दवाओं के मार्केट जैसे कई क्षेत्रों में इसके चलते बड़े बदलाव आ सकते थे, खासकर उनमें जिनमें कम वजन की बहुत अहमियत होती है।
दुनिया में आदर्श भार वाले धातु के बक्से को खोलने की है 3 चाबी
पैरिस में रखे एक किलो के आदर्श भार वाले धातु में 90% प्लेटिनम और 10% इरेडियम है। इस बक्से को खोलने की दुनिया में 3 ही चाबी हैं। तीनों अलग-अलग जगह रखी गई हैं।
अब माप के तौर पर प्लांक कॉन्स्टैंट जिसका प्रयोग वैज्ञानिक करेंगे, वह क्वांटम मैकेनिक्स की एक वैल्यू है। यह ऊर्जा के छोटे-छोटे पैकेट्स का भार होता है। इसकी मात्रा 6.626069934*10-34 जूल सेकेंड है, जिसमें सिर्फ 0.0000013% की ही गड़बड़ी हो सकती है। इससे एम्पियर, केल्विन और मोल जैसी ईकाईयों में भी बदलाव आ सकता है।
एसआई के सात बेस यूनिट में से 4 यूनिट पर पड़ेगा प्रभाव
एसआई के सात बेस यूनिट में से 4 यूनिट (किग्रा, एम्पियर, केल्विन व मोल और इससे व्युत्पन्न वोल्ट, ओम और जूल) पर अब प्रभाव पड़ने के आसार हैं।
किलोग्रामः यह प्लांक कॉन्स्टैंट यानी ‘h’ से परिभाषित होगा।
एम्पियरः इलेमेंट्री इलैक्ट्रिकल चार्ज से यानी ‘e’ से परिभाषित होगा।
केल्विनः बोल्ट्जमैन कॉन्स्टैंट से यानी ‘k’ से परिभाषित होगा।
मोलः अवाग्रादो कॉन्सटैंट से यानी ‘NA’ से परिभाषित होगा।
हालांकि इन यूनिट्स की साइज में कोई बदलाव नहीं किए जाएंगे (किग्रा अभी भी किग्रा ही रहेंगे)। इस बदलाव के बाद तकनीक, पर्यावरण, व्यापार, स्वास्थ्य और विज्ञान के क्षेत्र में नवाचार के अवसर बढ़ेंगे और वैश्विक स्तर पर जुड़ सकेंगे।
-प्रभात
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