आम्बेडकरवादी लेखक संघ (अलेस) के तत्वावधान में बोधिसत्व बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर जी की 128 वी जयंती की पूर्व संध्या पर शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजी मेंज हॉस्टल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर पीडी सहारे मुख्य अतिथि थे।
आम्बेडकर जयंती के इस अवसर पर शिक्षा, साहित्य, संस्कृति, पत्रकारिता, राजनीति और समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाली महिलाओं को आम्बेडकर सम्मान 2019 से सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाली महिलाओं में डॉ. गीता सहारे, डॉ. रजत रानी मीनू, नीतिशा खलखो, नाज खेर, डॉ. हीरा मीणा, पुष्पा विवेक आदि को अलेस की ओर से प्रशस्ति पत्र और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि प्रो. पीडी सहारे ने अपने संबोधन में विचार रखते हुए कहा कि महिला सशक्तिकरण वक़्त की जरूरत है। अलेस की ओर से महिलाओं को सम्मानित किए जाने की तारीफ करते हुए सहारे ने वर्तमान समाज के लिए इस तरह के कार्यों को प्रेरणादायी भी बताया।
प्रो. सहारे ने कहा कि वह एक व्यक्ति नहीं बल्कि संस्थान है जिसमें लाखों लोग ज्ञान ग्रहण कर उच्च पदों पर आसीन हुए। यह सब बाबा साहेब की ज्ञान रोशनी के विस्तार ही है।
प्रो. सहारे ने आम्बेडकर के आंदोलन को याद करते हुए वर्तमान विसंगतियों पर कड़ा प्रहार किया। उनका कहना था कि वे सामाजिक क्रांति के सबसे बड़े अग्रदूत थे। उन्होंने महिलाओं को बराबरी का सम्मान दिया। आजादी के आंदोलन में महिलाओं की भूमिका की तारीफ की और कहा कि आज जो महिलाएं राजनीति, शिक्षा में आ रही है वे उनकी देन हैं।
रिदम के निदेशक व संरक्षक प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि आम्बेडकर सामाजिक आंदोलन के अग्रदूत थे, जिन्होंने समाज में फैली कुरीतियों, रूढ़ियों और अंधविश्वास को दूर करने के लिए ज्ञान के मंदिरों में प्रवेश के लिए शिक्षा का रास्ता दिखाया। उन्होंने कहा कि जब तक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में आम्बेडकर को नहीं लगाया जाता तब तक वंचित, पिछड़े और आदिवासियों को उनके विषय में जानकारी नहीं मिल सकती। उन्होंने मांग की है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में गांधी भवन की तर्ज पर डॉ भीमराव आम्बेडकर भवन बने। साथ ही यह भी मांग रखी कि डीयू में आम्बेडकर चेयर की जल्द स्थापना हो। उनके नाम पर स्टडी सेंटर खोलने की मांग भी रखी।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया कवि सम्मेलन में विभिन्न कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। इनमें टीपी सिंह, डॉ. ज्ञान प्रकाश, नीलम, राजपाल सिंह राजा, डॉ. नामदेव, डॉ. बलराज सिंह, डॉ. सूरज बडत्या, वीरेंद्र सिंह, पुष्पा विवेक, सुदेश आदि शामिल रहे।
अध्यक्षता करते हुए सुदेश तंवर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आम्बेडकर जी के शिक्षाओं से हमें शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। शिक्षा को वक्त की जरूरत बताते हुए कहा कि आज संविधान पर जगह-जगह हमले हो रहे हैं हमे उसे बचाना है तभी समता, समानता और बंधुत्व कायम रह सकता है।
कार्यक्रम का मंच संचालन जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रोफेसर मुकेश मिरोठा और अशोक बंजारा ने किया। आए हुए अतिथियों का धन्यवाद डॉ. सूरज बड्त्या ने किया। कार्यक्रम में डॉ. गीता सहारे, प्रो. स्योराज सिंह बेचैन, आदि ने महिलाओं के सशक्तीकरण की चर्चा करते हुए आगे बढ़ने का संकल्प लिया।
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