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डीयू: कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की जगह छठे वेतन आयोग के अनुसार क्यों दी जा रही पेंशन?

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से सम्बद्ध विभागों/कॉलेजों से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को आज भी छठे वेतन आयोग के अनुसार पेंशनधारियों को पेंशन नहीं दी जा रही है जबकि सातवां वेतन आयोग लागू हुए तीन साल बीत चुके हैं। गौरतलब हो कि अन्य विश्वविद्यालयों में सातवें वेतन के अनुसार पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है। केवल डीयू के साथ ही सौतेला व्यवहार देखने को मिल रहा है।

डीयू विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों/कॉलेजों से दो हजार से अधिक कर्मचारी श्रेणी ए,बी,सी से जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं उन्हें आज तक सांतवे वेतन आयोग के अनुसार पेंशन नहीं दी जा रही है। उन्होंने आगे बताया है कि इसी तरह से कर्मचारियों को पेंशन, डियरनेस रिलीफ 139 फीसद ही दिया जा रहा है जबकि 1 जनवरी 2019 से केंद्र सरकार का 154 फीसदी तक डीए पहुंच गया है। लेकिन उन्हें आज भी 139 फीसद ही दिया जा रहा है। कर्मचारियों को 15 फीसदी का घाटा प्रति माह उठाना पड़ रहा है।

प्रो. सुमन की मानें तो दिल्ली विश्वविद्यालय के दो हजार से अधिक कर्मचारियों को 15 फीसदी कम डीए देने से जो पैसा डीयू के खाते में (लाखों रुपये) कर्मचारियों का इकट्ठा हो रहा है उसके ब्याज का लाभ कर्मचारियों को मिलने की बजाय दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को मिल रहा है।

एसी में उठा चुके हैं मांग

प्रो. सुमन ने बताया है कि जब वह विद्वत परिषद के सदस्य थे तब भी कर्मचारियों के पेंशन का मुद्दा, उनकी नियुक्ति, पदोन्नति के अलावा टेम्परेरी व कंट्रक्चुअल कर्मचारियों के वेतन संबंधी समस्याओं को उठाया था और आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही समाधान किया जाएगा, मगर उनकी समस्या जस की तस बनी हुई हैं। आज तक कोई समाधान नहीं हुआ है।

कुलपति से की मांग

प्रो. सुमन ने कुलपति से मांग की है कि कर्मचारियों को जल्द से जल्द सातवें वेतन आयोग के अनुसार सेवानिवृत्त पेंशनधारियों को पेंशन योजना का लाभ मिले। साथ ही 15 फीसदी कम डीए का ब्याज ही लाखों रुपये प्रति माह डीयू के खाते में जमा हुआ है ऐसे कर्मचारियों को ब्याज सहित पैसा लौटाया जाए।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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