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डीयू में विद्वत परिषद की बैठक 12 दिसंबर को, शिक्षकों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए जल्द आ सकता है अध्यादेश

दिल्ली विश्वविद्यालय व उससे सम्बद्ध कॉलेजों के शिक्षकों के लिए यूजीसी रेगुलेशन-2018 को लागू करने के लिए शिक्षकों की सेवाशर्तों के लिए विनियमन कमेटी के सदस्यों ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सभी सदस्यों ने रिपोर्ट पर अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसे पास करने के लिए विद्वत परिषद की बैठक 12 दिसम्बर को होगी। बैठक जल्द बुलाने के लिए 15 नवम्बर को कुलपति को एक सख्त पत्र लिखा था, जिसमें मांग की गई थी कि वे तुरंत एसी की बैठक बुलाकर यूजीसी रेगुलेशन पास कराएं।

दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि 12 दिसम्बर को हो रही विद्वत परिषद की बैठक में मुख्य मुद्दा यूजीसी रेगुलेशन-2018 को पास करने के अलावा पहली बार कॉलेजों में आ रही प्रोफेशरशिप,शिक्षकों की प्रमोशन के समय एडहॉक सर्विस को काउंट करना, लंबे समय से रुकी 3000 कॉलेज शिक्षकों की प्रमोशन,कॉलेजों व विभागों में कार्यरत्त 4500 एडहॉक शिक्षकों को स्थायी करने की प्रक्रिया होगी। इसके लिए कमेटी ने जो सिफारिशें दी हैं उन्हें विद्वत परिषद/कार्यकारी परिषद में पारित कर जल्द से जल्द अध्यादेश बनाकर नियुक्ति व प्रमोशन का रास्ता खोला जा सकता है।

विद्वत परिषद के अन्य सदस्य डॉ. रसाल सिंह ने बताया है कि 12दिसम्बर को हो रही एसी की बैठक काफी हंगामेदार होने की संभावना है। इस बैठक में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के विषयों को भी पारित कराया जाएगा। उनका कहना है कि संभावना है कि इतिहास, राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र जैसे पाठ्यक्रमों को लेकर हंगामे की पूरी संभावना है। डॉ. सिंह ने बैठक के बारे में बताया है कि डीयू में सीबीसीएस के अनुरूप स्नातकोत्तर विषयों को अगले सत्र से लागू करके पढ़ाना, पाठ्यक्रमों में परिवर्तन कर उन्हें रोजगार से जोड़ना ताकि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके।

प्रो. सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पहली बार सीबीसीएस के तहत स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में कौशल विकास केंद्रित पाठ्यक्रमों पर जोर दिया जाएगा। उनका कहना है कि डीयू में लंबे समय से चल रहे परम्परागत पाठ्यक्रमों जैसे हिंदी, संस्कृत, इतिहास, राजनीति विज्ञान आदि विषयों को रोजगार से जोड़ने के लिए छात्रों में स्किल डेवलपमेंट हो, इसके लिए जरूरी है कि उन्हें बाजार के अनुरूप शिक्षा दी जाये ताकि उच्च शिक्षा पूर्ण करने के बाद उन्हें बेरोजगारी की पंक्ति में खड़ा ना होना पड़े।

प्रो. सुमन ने बताया है कि यूजीसी रेगुलेशन-2018 को लेकर बनी कमेटी ने अपनी 10-12 बैठक में शिक्षकों के लिए नयी सेवाशर्तों को बेहतर बनाने के लिए उसमें एडहॉक टीचर्स का टीचिंग एक्सपीरियेंस जोड़ना, एडहॉक महिला शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश दिलाना, स्थायी नियुक्ति के समय एडहॉक टीचर्स को प्राथमिकता देने, ओएमएसपी के शिक्षकों को प्रमोशन देना आदि विषयों पर चर्चा हुई थी।

उनका कहना कि डीयू द्वारा गठित कमेटी का सदस्य होने के नाते मैंने तदर्थ महिलाओं के मातृत्व अवकाश देने संबंधी सिफारिश की थी तथा मैने मांग की है कि तदर्थ महिला शिक्षिकाओं को  मातृत्व अवकाश प्रदान करने और कॉलेजों में एसोसिएट प्रोफेसरों की पदोन्नति को लागू करने हेतु तत्काल विद्वत परिषद, कार्यकारी परिषद की बैठक बुलाए और इन संबंधित विषयों पर चर्चा करके इन सिफारिशों को लागू कर अध्यादेश बनकर तुरंत लागू करें ताकि लंबित स्थायी नियुक्ति और पदोन्नति की जा सके।

प्रो. सुमन ने दिसम्बर के अंत तक नियुक्तियों व पदोन्नति संबंधी अध्यादेश लाने की जोरदार मांग करते हुए कहा कि यदि दिसम्बर माह में अध्यादेश आ जाता है तो आने वाले वर्ष के शुरुआती महीनों में लंबे समय से रुके नियुक्ति व पदोन्नति संबंधी प्रक्रिया पूरी हो जाएंगी और आने वाला वर्ष उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में स्थायित्व लाने वाला होगा और यह उच्च शिक्षा में एक बड़ा मील का पत्थर सिद्ध होगा।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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