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ईडब्ल्यूएस के 10 फीसद आरक्षण को लागू करने संबंधी मामले में कॉलेजों में मची खलबली

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के उप कुलसचिव (भर्ती) ने कॉलेजों को सर्कुलर जारी आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के 10 फीसदी आरक्षण संबंधी नीति को ध्यान में रखकर सीधी भर्ती प्रक्रिया में 1 फरवरी 2019 से लागू करने के निर्देश दिए हैं। इस सर्कुलर से कॉलेज प्राचार्य/लायजन ऑफिसर में रोस्टर रिकास्ट को लेकर खलबली मची हुई है। रोस्टर कैसे रिकास्ट होगा किसी को नहीं मालूम? प्राचार्यों का कहना है कि जल्द से जल्द रोस्टर रिकास्ट करके दें, लेकिन रोस्टर कैसे बनेगा उन्हें पता नहीं। सभी लायजन ऑफिसर की चिंता है कि डीयू प्रशासन को इस संदर्भ में वर्कशॉप कर बताया जाना चाहिए था कि रोस्टर कैसे रिकास्ट होगा।

डीयू एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम के चेयरमैन व पूर्व विद्वत परिषद सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने रोस्टर रिकास्ट करने संबंधी जो सर्कुलर कॉलेजों को भेजा है उसको लेकर कॉलेज लायजन ऑफिसर के मन में कई तरह के सवाल है जैसे इसे कैसे लागू करें ,कब से लागू करे, पहले चरण में कितने पद दिए गए हैं, इसके लागू होने से दूसरे वर्गों की कितनी पद बनेंगे, यूजीसी ने नए पदों पर नियुक्ति करने संबंधी निर्देश दिए हैं या नहीं। सर्कुलर में स्पष्ट नहीं किया गया कि कैसे लागू करना है।

प्रो. सुमन ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण को लागू करने से पहले डीयू प्रशासन को कॉलेजों के लायजन ऑफिसर की वर्कशॉप करके आरक्षण संबंधी जानकारी दी जानी चाहिए थी कि इसे कैसे लागू करे, रोस्टर कैसे बनेगा उसे कैसे रिकास्ट करना है। मगर यह सब जल्दबाजी में हो रहा है। उनका कहना है रोस्टर रिकास्ट को लेकर कॉलेज लायजन ऑफिसर शिकायत कर रहे हैं।

प्रो. सुमन ने बताया है कि कॉलेजों को सर्कुलर के साथ डीओपीटी का कार्यालय ज्ञापन भेजा गया है कि कैसे रोस्टर बनेगा साथ ही मॉडल रोस्टर देखना है तो डीओपीटी की ओर से जारी कार्यालय ज्ञापन में विस्तार से दिया गया है और कहा गया है कि रोस्टर को 1फरवरी 2019 के कार्यालय ज्ञापन के विवरण को ध्यान में रखकर रोस्टर को रिकास्ट करके डीयू के लायजन ऑफिसर से पास करवाकर पदों को विज्ञापित किया जाए।

ईडब्ल्यूएस आरक्षण से कॉलेज/विभागों में बढ़ेंगी सीटें

हाल ही में लागू किए गए ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसद आरक्षण दिए जाने से जहाँ कॉलेजों में 4500 टीचर्स एडहॉक पढ़ा रहे हैं इसी तरह से विभागों में 40 फीसदी पद खाली पड़े हुए हैं। इस तरह से ईडब्ल्यूएस रोस्टर बनने के बाद कॉलेजों में 2500 सीटों का इजाफा होगा वहीं विभागों में 500 सीटें बढ़ने से 3000 एडहॉक टीचर्स को आगामी शैक्षिक सत्र से नियुक्त किया जा सकेगा। उनका कहना है कि यह तभी संभव है जब यूजीसी इन पदों को भरने की अनुमति जल्द से जल्द दें। हालांकि यूजीसी कॉलेजों से पहले ही छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के कितने पद बनेंगे उनके आंकड़े मंगवा चुका है। इस तरह से 25 फीसदी कॉलेजों में शिक्षकों के नये पद सृजित होंगे।

प्रो. सुमन ने बताया है कि टीचर्स फोरम को कई कॉलेजों के लायजन ऑफिसर ने शिकायत कर कहा है कि उनके कॉलेज प्राचार्य का कहना है कि रोस्टर में सेवानिवृत्त शिक्षकों, छोड़कर चले गए शिक्षकों या जिनका देहांत हो चुका है उनके नाम रोस्टर में न दर्ज करें। इसके अतिरिक्त फिजिकल एजुकेशन और एनवायरमेंटल साइंस को रोस्टर में कहां रखे? प्रो. सुमन का कहना है कि जिस दिन से कॉलेज स्थापित हुआ है, स्थायी नियुक्ति जिस दिन से हुई हैं, कितने शिक्षक सेवानिवृत्त हुए, छोड़कर चले गए या दूसरी जगह पदोन्नति हुई, देहांत होने पर सभी शिक्षकों के नाम सीनियरिटी के आधार पर रोस्टर रजिस्टर में रखे जाएंगे।

एससी, एसटी ओबीसी आरक्षण के साथ नहीं होगी छेड़छाड़

प्रो. सुमन ने बताया है कि जब भी ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसद आरक्षण संबंधी रोस्टर को रिकास्ट किया जायेगा, एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के किसी पद के साथ छेड़छाड़ नहीं होगी। उनका कहना है कि डीओपीटी ने 200 पॉइंट रोस्टर के अंतर्गत जो 10 फीसद आरक्षण का फार्मूला दिया है उसमें कोई भी पोस्ट आरक्षित वर्गों की नहीं है। डीओपीटी फार्मूले में उन्हें जो पॉइंट दिए हैं वे- 10, 21, 31, 43, 50, 62, 70, 83, 90, 98,110,122,131,142,150,164,170,181,190,196 आदि मॉडल रोस्टर में दिए गए हैं।

रोस्टर रिकास्ट के नाम पर कॉलेज कर रहे शिक्षकों को गुमराह

उनका कहना है कि रोस्टर रिकास्ट के नाम पर कॉलेज प्राचार्य/एक्टिविस्ट राजनीति कर रहे हैं। ईडब्ल्यूएस के लिए जो पद सृजित हुए हैं यदि उन पदों पर कोई शिक्षक किसी भी श्रेणी का पढ़ा रहे हैं तो कॉलेज उनके लिए ओबीसी कोटे के सेकंड ट्रेंच में यूजीसी से पोस्ट मांग सकते हैं। इसके अलावा स्वयं यूजीसी ने 31 जनवरी 2019 तक कॉलेजों से आंकड़े मांगें थे कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण के बाद कितनी सीटों का विस्तार होगा, सम्पूर्ण जानकारी परफॉर्मा में दे।

डीयू प्रशासन रोस्टर रिकास्ट पर वर्कशॉप कराए

प्रो. सुमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश कुमार त्यागी से मांग की है कि ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसद रोस्टर को लागू करने संबंधी समस्या के समाधान के लिए आवश्यक है कि रोस्टर रिकास्ट पर वर्कशॉप कराई जाए, वर्कशॉप में कॉलेजों के प्राचार्य, लायजन ऑफिसर और प्रशासनिक अधिकारी को बुलाकर रोस्टर के नियमों से अवगत कराया जाए तथा 10 फीसद ईडब्ल्यूएस का आरक्षण कैसे लागू होगा जैसी सम्पूर्ण जानकारी दी जाए। इसके अलावा उन्हें लागू करने संबंधी लायजन ऑफिसर को सरकारी दस्तावेज भी उपलब्ध कराए जो डीओपीटी/कार्यालय ज्ञापन के रूप में सरकारी दस्तावेज है।

यूजीसी से ओबीसी आरक्षण का सेकेंड ट्रेंच देने की मांग

प्रो. सुमन ने बताया है कि उच्च शिक्षा में विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के पदों पर ओबीसी आरक्षण 21 मार्च 2007 को लागू किया गया था। यूजीसी ने अपने पहले ट्रेंच (चरण) में लगभग तीन हजार सीटें शिक्षकों की दी गई थी जिसे कॉलेजों ने ओबीसी कोटे पर शिक्षकों की एडहॉक बेसिस पर नियुक्ति हुई और कुछ जगहों पर स्थायी भी। उन्होंने यूजीसी चेयरमैन से मांग की है कि ओबीसी कोटे की बकाया सेकेंड ट्रेंच की सीटों को आगामी शैक्षिक सत्र से पहले दी जाए ताकि उससे पहले कॉलेज इन पदों को नियुक्ति कर सके।

कॉलेज/विभाग रोस्टर को वेबसाइट पर डालें

उन्होंने यह भी मांग कुलपति से की है कि कॉलेज/विभागों के रोस्टर रिकास्ट होने के बाद सार्वजनिक रूप से वेबसाइट /पोर्टल पर अवश्य डालना चाहिए ताकि यह पता चल सके कि रोस्टर नियमों का सही से पालन हुआ है या नहीं।

प्रो. सुमन ने डीयू प्रशासन से यह भी मांग की है वह कॉलेजो को यह निर्देश जारी करे कि जब रोस्टर रिकास्ट हो उस समय दिल्ली विश्वविद्यालय की कमेटी ने काले कमेटी की ओर से दी गई रिकमंडेशन को लागू करते हुए 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर के साथ शॉर्टफाल और बैकलॉग देकर भविष्य में पदों को विज्ञापित करे। इसके अतिरिक्त कॉलेजों के रोस्टर को यूजीसी, संसदीय समिति, एससी एसटी कमीशन के अधिकारियों से जांच के बाद ही रोस्टर को सार्वजनिक कर पदों को भरने के विज्ञापन निकालकर भरा जाये ताकि सामाजिक न्याय का सिद्धांत ठीक से लागू कर सभी समुदायों को न्याय मिल सके।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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