दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू)में रोस्टर रिकास्ट को लेकर उलझनें हैं, प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों को 27 फीसद आरक्षण दिया गया। ईडब्ल्यूएस रोस्टर रिकास्ट करके भर्ती प्रक्रिया शुरू वाला पहला विश्वविद्यालय इलाहाबाद बना।
हाल ही में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े (ईडब्ल्यूएस) अभ्यर्थियों के लिए केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालयों/शिक्षण संस्थानों में 10 फीसद आरक्षण लागू किया है। इन वर्गों के अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ देने संबंधी कार्य जोरों पर है दूसरी ओर इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय ने ईडब्ल्यूएस कोटे की सीटों को भरने के लिए विज्ञापन निकाल दिए हैं। वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय/कॉलेजों में रोस्टर रिकास्ट को लेकर उलझनें बनी हुई हैं। यहां पर रोस्टर को लेकर किसी तरह की कोई वर्कशॉप भी नहीं हुई जबकि एक तरफ दावा किया जा रहा है कि आगामी शैक्षिक सत्र से पहले इन पदों को भर लिया जायेगा लेकिन, कैसे भर पाएंगे ? अगले माह से डीयू में स्नातक स्तर पर प्रवेश की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। वहीं मई के पहले सप्ताह के स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों की परीक्षाएं आरम्भ हो जाएंगी।
ऑल इंडिया यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेजिज एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स एसोसिएशन के नेशनल चेयरमैन व दिल्ली विवि में विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि ईडब्ल्यूएस कोटे की सीटों को भरने के लिए जहां एक ओर विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में रोस्टर रिकास्ट करने का कार्य बड़ी तेजी से चल रहा है, वहीं कॉलेजों के लायजन ऑफिसर को समझ नहीं आ रहा है कि रोस्टर रिकास्ट कैसे करें। रोस्टर रिकास्ट को लेकर पिछले एक सप्ताह से डीयू के डिप्टी रजिस्ट्रार कॉलेजों के प्राचार्यों व लायजन ऑफिसर को बुलाकर रोस्टर रिकास्ट संबंधी जानकारी दे रहे हैं लेकिन, यह जानकारी अधूरी बताई जा रही है। उन्हें ही यह नहीं मालूम है कि
-रोस्टर रिकास्ट कैसे होगा
-कब से लागू होगा
-शॉर्टफाल व बैकलॉग के पदों को कब से देना है
-ओबीसी आरक्षण कब से लागू करते हुए उनके कितने पद आज तक भरे हैं
कोई जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन को नहीं है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि डीयू के कुलपति ने आरक्षण और रोस्टर को लेकर काले कमेटी बनाई। कमेटी ने आरक्षण व बैकलॉग पर अपने सुझाव दिए। एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के पदों को लेकर नाराजगी जताई मगर डीयू प्रशासन ने काले कमेटी की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
प्रो. सुमन ने आगे बताया है कि ईडब्ल्यूएस कोटे के अभ्यर्थियों को 10 फीसदी आरक्षण देने संबंधी कार्य को अंजाम देने के लिए इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय ने सहायक प्रोफेसर की सीधी भर्तियों में ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत शिक्षकों के पद निकाले हैं, वहीं प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों को 27 फीसद आरक्षण देते हुए यूजीसी रेगुलेशन 2018 का पालन करते हुए इन पदों को भरने संबंधी विज्ञापन निकाले हैं।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से की गई ईडब्ल्यूएस के तहत पदों को भरने की पहल से दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधार्थियों में इसको लेकर खुशी का माहौल नजर आया लेकिन, वे दुःख व्यक्त कर रहे हैं कि डीयू में पिछले एक दशक से शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति न होने से शोधार्थियों की उम्र व बेरोजगारों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। उनका कहना है कि विभागों द्वारा बनाए जा रहे हैं। एडहॉक शिक्षकों के पैनल में हर साल सैंकड़ो नाम जुड़ने के बाद 7- 8 श्रेणी बन रही हैं।
प्रो. सुमन ने बताया है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने अपने यहां विभिन्न विभागों में 591 पदों के विज्ञापन निकाले है।
इनमे प्रोफेसर के सामान्य-35, ओबीसी-17, एससी-10, एसटी-04, पीडब्ल्यूडी-04 यानी कुल-70 सीट हैं।
इसी तरह से एसोसिएट प्रोफेसर के सामान्य-80, ओबीसी-42, एससी-23, एसटी-12, पीडब्ल्यूडी-09 यानी कि कुल-166 पद हैं।
सहायक प्रोफेसर ,सामान्य–133 ,ईडब्ल्यूएस–32 ,ओबीसी–88 ,एससी–50, एसटी–25 पीडब्ल्यूडी–27 ,कुल पद–355 पदों पर विज्ञापन निकाले गए हैं।
उन्होंने बताया है कि इन पदों के आवेदन करने की तिथि 25 अप्रैल से लेकर 22 मई तक है। इसके साथ आवेदन करते समय सामान्य, ईडब्ल्यूएस, ओबीसी कोटे अभ्यर्थियों को 1000 रुपये और एससी, एसटी के अभ्यर्थियों को 400 व पीडब्ल्यूडी के उम्मीदवारों को किसी प्रकार का कोई आवेदन शुल्क नहीं देना होगा।
ओबीसी अभ्यर्थियों को प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर पदों में मिला आरक्षण
प्रो. सुमन ने बताया है कि यूजीसी रेगुलेशन-2018 के सेक्शन-3 (1) में ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों को सीधी भर्ती में आरक्षण दिए जाने का प्रावधान किया गया है। उसी के तहत इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने अपने यहां विभिन्न विभागों में ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों को 27 फीसद आरक्षण दिया गया है। इससे पहले ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों को सहायक प्रोफेसर के पदों तक ही आरक्षण दिए जाने का प्रावधान रखा गया था लेकिन, अब सभी स्तरों पर आरक्षण दिया जाएगा।
उन्होंने चिंता जताई है कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने ओबीसी अभ्यर्थियों को एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों पर आरक्षण देने संबंधी एसी/ईसी की बैठक अभी तक नहीं बुलाई और न ही यूजीसी रेगुलेशन को लागू करते हुए इन वर्गों के पदों को निकालने की पहल ही की?
इसलिए एक बार आरक्षण को लेकर मामला लटकता दिखाई दे रहा है। देश का सबसे बड़ा केंद्रीय विश्वविद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय में आगामी शैक्षिक सत्र से अभ्यर्थियों को लग रहा था कि आगामी शैक्षिक सत्र से स्थायी नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी लेकिन, कॉलेजों में रोस्टर रिकास्ट को लेकर जिस तरह से उलझनों और सीटों में बदलावों को लेकर किसी समुदाय की काट कर दूसरों को देने का खेल चल रहा है। अब देखना यह है कि रोस्टर रिकास्ट के इस खेल में वे कितने सफल हो पाते हैं।
विभागों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर के -1706 स्वीकृत पद हैं, ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू होने के बाद 427 सीटें बढ़ जायेगी। विभाग में जाने के लिए इन सीटों पर सभी की गिद्ध दृष्टि लगी हुई है।
प्रो. सुमन का कहना है कि इसी तरह से डीयू से सम्बद्ध कॉलेजों में 10 हजार से अधिक शिक्षक हैं, ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू होने पर इन कॉलेजों में 2500 सीटों की बढ़ोतरी होने की सम्भावना है।
उन्होंने बताया है कि वर्तमान में लगभग 5000 शिक्षक तदर्थ रूप में कार्य कर रहे हैं। इनमें 5 से 8 सामान्य वर्गों के शिक्षक जो लंबे समय से पढ़ा रहे हैं जब ईडब्ल्यूएस का रोस्टर बनेगा तो वह इधर से उधर रिप्लेस होंगे, कुछ तो बिल्कुल हटाएं जा सकते हैं।
उन्होंने संदेह व्यक्त किया है कि जिस प्रकार से ओबीसी आरक्षण पूरी तरह से विश्वविद्यालयों में लागू नहीं हुआ है, वही हश्र 10 फीसद ईडब्ल्यूएस आरक्षण का ना हो? उन्होंने कहा कि आगामी शैक्षिक सत्र से पहले इन पदों को भरने की पहल करनी होगी, वरना शैक्षिक सत्र- 2019-20 के लिए एडहॉक/स्थायी नियुक्ति इनके लिए सपना बनकर रह जायेगा।
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